UP में उर्दू को दूसरी भाषा बनाने का फैसला सही : सुप्रीम कोर्ट
नई
दिल्ली।
एक
ओर
जहां
भाषा
को
लेकर
केंद्र
सरकार
के
बीच
ही
तनातनी
रही
वहीं
सुप्रीम
कोर्ट
ने
उर्दू
भाषा
को
एक
अलग
पहचान
से
नवाजा
है।
सुप्रीम
कोर्ट
ने
उस
याचिका
को
खारिज
कर
दिया
है
जिसमें
यूपी
में
उर्दू
को
दूसरी
आधिकारिक
भाषा
का
दर्जा
देने
संबंधी
नोटिफिकेशन
को
चुनौती
दी
गई
थी।
दरअसल 25 साल पहले यूपी सरकार ने उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था और इस बाबत जारी नोटिफिकेशन को यूपी हिंदी साहित्य सम्मेलन ने चुनौती दे दी थी, जिस पर अब स्पष्ट फैसला आया है।
पढ़ें-
दिल्ली
में
सियासत
गर्म
सर्वोच्च
न्यायालय
ने
यूपी
में
उर्दू
को
दूसरी
आधिकारिक
भाषा
के
तौर
पर
घोषित
करने
के
फैसले
पर
कहा
कि
देश
में
भाषा
संबंधित
कानून
कठोर
नहीं
है
बल्कि
वह
उदार
है
व
यह
फैसला
भाषाई
एकरूपता
को
प्रोत्साहन
देता
है।
यूपी ऑफिशियल लैंग्वेज एक्ट में बदलाव व यूपी को दूसरी आधिकारिक भाषा बनाने संबंधी नोटिफिकेशन असंवैधानिक नहीं है। एक्ट में बदलाव व नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिका में कोई मेरिट नहीं है।
अदालत ने यूपी ऑफिसियल लैंग्वेज (अमेंडमेंट) एक्ट 1989 को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य से संबंधित अनुच्छेद-345 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि हिंदी के अलावा राज्य में एक या उससे ज्यादा भाषाओं को आधिकारिक भाषा घोषित करने से रोक दिया जाता हो।
सुनवाई के दौरान बिहार का उदाहरण दिया गया और कहा गया कि वहां उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है। साथ ही मध्यप्रदेश में मराठी को दूसरी राजभाषा का दर्जा है। यूपी पहला राज्य नहीं है जहां उर्दू को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया दिया जा रहा हो। हालांकि स्पष्ट फैसले में यूपी की दूसरी राजभाषा के तौर पर उर्दू पर मुहर लगा दी गई है।