पंडित नेहरू के जन्मस्थान से बह गया पीके का सॉलिड प्लान!
लखनऊ। '27 साल यूपी बेहाल'' इस शीर्षक के तले कांग्रेस उत्तर प्रदेश में रणनीतिकार प्रशांत किशोर की मदद से खुद को दोबारा जिलाने का प्रयास कर रही है। 27 साल....मतलब ये कि 1989 में कांग्रेस की ओर से उत्तर प्रदेश में आखिरी सीएम एनडी तिवारी रहे। और उसके बाद यूपी में कांग्रेस की विधानसभा स्तर की सियासत को ग्रहण लगता चला गया।
आखिर क्या है पीके का B-2 प्लान?
नहीं चाहती कोई लूप होल
हालांकि सूबे की जनता ने अपनी सुविधाओं के लिहाज से, विश्वास के प्रतिशत के आधार पर भाजपा, सपा, बसपा को बारी-बारी मौका दिया। लेकिन एक दफे फिर से जाति केंद्रित राजनीति पर कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपने प्यादे सेट कर रही है। कमोबेश वह कोई भी ऐसा लूप होल नहीं छोड़ना चाहती कि उसे खामियाजा भुगतना पड़े। पर, पीके के द्वारा जनता को समेटने के प्लान कभी वरिष्ठ नेताओं की बीमारी तो कभी यूपी की बाढ़ की वजह से प्लान फ्लॉप हो रहे हैं।
कानपुर में आयोजित होगा कार्यक्रम
कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की जन्मस्थली से अपने कार्यक्रम की शुरुआत करने की योजना बनाई थी। वह यहां पर दो सितम्बर को ब्राह्मणों की बैठक आयोजित करने जा रही थी। शहर के कई इलाके अभी भी पानी में डूबे हुए हैं। इसके चलते पार्टी ने कार्यक्रम स्थल बदलने का फैसला किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कांग्रेस अब दो विशेष बैठकें करेगी। इनमें से एक लखनऊ में दो सितम्बर को होगी जबकि दूसरी इस कार्यक्रम के दो दिन बाद कानपुर में आयोजित की जाएगी।
ब्राह्मणों पर पीके की नजर
अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए कांग्रेस ने ब्राह्मणों पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया है। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी अलग-अलग कार्यक्रम तैयार करने में जुटी है। कांग्रेस द्वारा आयोजित इस बैठक में कांग्रेस ने सभी आला ब्राह्मण नेता मौजूद रहेंगे। हालांकि देखना दिलचस्प होगा कि काफी समय कांग्रेस से पलायन कर भाजपा के साथ जुड़ने वाला ब्राह्मण वोटबैंक फिर से कांग्रेस में झुकाव बनाता है या फिर नहीं।
पीके की रणनीति, पास होगी या फिर फेल?
इसके इतर कांग्रेस जहां एक ओर यूपी सीएम कैंडिडेट शीला दीक्षित के जरिए ब्राह्मणों को एकजुट करने की पुरजोर कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी ओर उसने गुलाम नबी आजाद को यूपी का प्रभारी बनाकर मुस्लिम वर्ग में सेंध लगाने की पूरी कोशिश की है। अब कांग्रेस पीके की रणनीति के मुताबिक कितना फेल और कितना पास होती है यह तो चुनावी नतीजे ही घोषित करेंगे।