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अंडरवर्ल्ड की शह से फूल रहा कालेधन का गुब्बारा, इसमें हवा भरने वाले कौन हैं

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[अनिल कुमार 'अमरोही'] हुसैन ज़ैदी, किताब मुंबई अंडरवर्ल्ड के छह दशक- 'डोंगरी टू दुबई' तो पढ़ी ही होगी। बेशक हो सकता है कि नहीं पढ़ी हो, लेकिन सरकार में बैठे अंडरवर्ल्ड के जानकार, तमाम आईपीएस अफसर पद पर पहुंचते ही यह किताब तो जरूर पढ़ते हैं। यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसकी एक-एक कड़ी को जोड़कर देखा जाए तो अंडरवर्ल्ड से होते हुए कालेधन तक पहुंचा जा सकता है। सही मायने में यह समझने की जरूरत है कि कालाधन का काला कारोबार बिना अंडरवर्ल्ड की शह के नहीं चल सकता या यह भी कह सकते हैं कि बिना किसी गॉड फादर के नहीं चल सकता। यानी कोई तो है। यह तीन हो सकते हैं। एक अंडरवर्ल्ड में बैठा कोई शातिर और दूसरा सफेद पौशाक के पीछे छिपा शैतान और तीसरा, पुलिस की वर्दी की आड़ में चुपके से अपना काम कर जाने वाला कोई शक्तिशाली शख्स। अगर इन तीन आकाओं तक पहुंचा जाए काला धन, हवाला कारोबार और सोने-चांदी वगैरहा की तस्करी का चक्रव्यूह टूट सकता है।

अब आपको बताते हैं कि कैसे पहुंचा जा सकता है उन तक

डोंगरी टू दुबई किताब में बड़ा ही अच्छा विवरण है कि कैसे अंडरवर्ल्ड के गुर्गे बड़े व्यापारियों से वसूली करते। बड़े व्यापारी अपना टैक्स बेशक न चुकाते लेकिन अंडरवर्ल्ड की वसूली जरूर चुकाते। इसमें पुलिस वालों की भी शह रहती। यह सब 60 के दशक का समय था। जब अंडरवर्ल्ड का पूरा खाका तैयार हो रहा था और काले धन को सुरक्षित रखने के रास्ते खुल रहे थे। लाला, पठान औऱ उसके बाद दाउद इब्राहिम का फलना फूलना। हवाला कारोबार, तस्करी जैसे कारनामों का जन्म तभी हुआ था। हवाला कारोबार तो अंडरवर्ल्ड की आड़ में इतना फला फूला कि तब से लेकर आ जक न ही इस पर रोक लग पाई और न ही कभी यह पता चल पाया कि सफेद पौशाक, अंडरवर्ल्ड का भारत में मौजूद शातिर औऱ खाकी वर्दी में चुपके अपना काम कर जाने वाले वह शक्तिशाली लोग कौन हैं।

दरअसल, अगर देश की सुरक्षा एजंसियां इन तक पहुंचना ही चाहती हैं तो एक-एक कर फूंक-फूंक कर कदम उठाने होंगे। एक विंग ऐसी हो जिसकी सूचना प्रधानमंत्री को भी न हो। उसको सिर्फ राष्ट्रपति को रिपोर्ट करने के अधिकार हो। जिसके एक-एक कदम की थोड़ी सी भी भनक खूफिया एजंसी के प्रमुख तक कभी पहुंचे ही न। ऐसी विंग के सभी सदस्य गत बचपन, फैमिली औऱ व्यवहार का सही तरीके से अध्ययन करने के बाद ही नियुक्त किए जाएं। ऐसी किसी को जानकारी भी न दी जाए कि ऐसे कोई सदस्य नियुक्त भी हुए हैं य नहीं।

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ऐसे होने चाहिएं यह तीन शख्स, जो उन तीन तक पहुंचेंगे

  • विशेष गुप्त विंग के तीन सदस्य इसमें से एक को राज्य सभा सदस्य बनाकर किसी तरह संसद तक पहुंचा दिया जाए। जो सफेद पोशाक के पीछे छिपे शैतान तक तक पहुंच सके। औऱ धीरे-धीरे सारी सूचनाए एकत्र करे। चाहे इसमें पांच साल लग जाएं।
  • एक की छवि भारतीय बाजार में करोड़पति और बड़े बिजनेसमैन की तरह बना दी जाए। ऐसी छवि जिससे बड़े-बड़े अभिनेताओं और अभिनेत्रियों से लेकर अंबानी, टाटा जैसे बड़े अमीर घरानों तक को मेल मिलाप करने से गर्व सा महसूस हो। यह छवि ऐसी हो कि अभिनेताओं और अभिनेत्रियों से लेकर अंबानी, टाटा जैसे बड़े अमीर घरानों के यहां आना-जाना आम हो और पार्टियों का कोई निमंत्रण न छूट पाए।
  • तीसरा शख्स ऐसा होना चाहिए कि, उसे देश की सुरक्षा एजंसी या पुलिस सर्विस के मुखिया वाला पद दिलाया जाए या फिर देश की सुरक्षा स्तर के प्रमुख की बराबर सारे अधिकार और शक्तियां उसके पास हों। यह तीसरा शख्स सुरक्षा एजंसियों और पुलिस सर्विस में बैठे ऐसे शक्तिशाली शख्त तक पहुंचने का काम करे जो काला धन, हवाला कारोबार औऱ अंडरवर्ल्ड से सम्पर्क रखता है। इसकी जानकारी सिर्फ और सिर्फ गुप्त दस्तावेज औऱ कोडवर्ड में ही हो। जिससे कोई दस्तावेज चुरा भी ले तो उस कोडवर्ड को तोड़ न पाए।
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English summary
Underworld and black money trap can be destroyed with special efforts.
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