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#tripletalaqverdict: समझिए मोदी सरकार का पूरा सियासी गुणा-भाग

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीन तलाक को असंवैधानिक तो बताया है साथ ही गेंद केंद्र सरकार के पाले में भी डाल दी है।

By Vikashraj Tiwari
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नई दिल्ली। देश की मुस्लिम महिलाएं पहले से ज्यादा पावरफुल हो गई है। अब उनको ट्रिपल तलाक का टॉर्चर नहीं झेलना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ऐतिहासिक फैसला देते हुए तीन तलाक को 'असंवैधानिक' करार दिया है और साफ किया है कि यह 'इस्लाम का हिस्सा नहीं' है। मतलब ये कि दुनिया के कई देशों की तरह हिंदुस्तान की मुस्लिम महिलाओं को भी समानता का अधिकार मिल गया है। लेकिन इन सब चर्चाओं के बीच डर इस बात का भी बना हुआ है कि कहीं ट्रिपल तलाक का मुद्दा फिर से 2019 के लिए चुनावी मुद्दा ना बन जाए क्योंकि इसी साल हुए यूपी चुनाव में ट्रिपल तलाक के मुद्दे को जमकर भुनाया गया था। बीजेपी ने अपने तरीके से भुनाया तो कांग्रेस ने इसका समर्थन कर के चुनावी फायदा लेने की कोशिश की थी।

ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने की राह में कई रोड़े

ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने की राह में कई रोड़े

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में तीन तलाक को असंवैधानिक तो बताया है साथ ही गेंद केंद्र सरकार के पाले में भी डाल दी है। कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध करार देते हुए केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि अगले छह महीने में के भीतर तीन तलाक पर कानून बनाए। साथ ही कोर्ट ने यह साफ किया है कि अगले छह महीने तक तीन तलाक पर रोक रहेगी। सभी जानते हैं कि किसी कानून को बनाने के लिए 6 महीने का वक्त काफी कम है। और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दे पर तो कुछ ज्यादा ही वक्त लग सकता है क्योंकि कानून बनाने कि एक प्रक्रिया है जिसके तहत सरकार को गुजरना होगा।

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कहीं ना बन जाए 2019 का मुद्दा ?

कहीं ना बन जाए 2019 का मुद्दा ?

ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने को लेकर फैसला केंद्र सरकार को करना है अब मुस्लिम महिलाओं की पैरोकारी करने वाली मोदी सरकार पर निर्भर करता है कि वो कितनी तेजी से काम करती है। ट्रिपल तलाक पर संसद में कानून बनाना इतना आसान भी नहीं है क्योंकि एआईएमपीएलबी के वकील और चेयरमैन जफरयाब जिलानी ने कहा, हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्यन करेंगे और उसके बाद आगे का फैसला लेंगे। वहीं देश में कई ऐसे राजनीतिक दल हैं जो इस राह में रोड़ा भी बन सकते है वहीं कई पार्टियां चुनावी फायदा लेने की कोशिश भी करेंगी। चुकि दो साल बाद 2019 में लोकसभा चुनाव होने है ऐसे में बहुत संभावना है कि पार्टिया तीन तलाक के मुद्दे को लटकाकर चुनावी वैतरनी पार करने की कोशिश करे। क्योंकि राजनीति में समय और मुद्दे की बहुत कीमत होती है।

तीन तलाक पर राजनीति होगी तेज ?

तीन तलाक पर राजनीति होगी तेज ?

सुप्रीम कोर्ट ने तमाम राजनीतिक दलों को इस मुद्दे पर आपसी मतभेद को अलग रखकर केंद्र सरकार को तीन तलाक पर कानून बनाने में मदद करने को भी कहा है। लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि तीन तलाक पर जमकर राजनीति होगी। ऐसे में संभावना इस बात की है कि आनेवाला लोकसभा चुनावों में इसको मुद्दा बनाया जाए और तबतक इस मुद्दे को लटका कर रखा जाए क्योकि बीजेपी को ये लगता है कि मुस्लिम महिलाओं के दर्द के जरिए मुस्लिम वोट पर सेंधमारी की जा सकती है इसके लिए जरुरी है कि मुद्दा जिंदा रहे और चर्चाए होती रहे।

बीजेपी तीन तलाक के मुद्दे को जिंदा रखना चाहती है?

बीजेपी तीन तलाक के मुद्दे को जिंदा रखना चाहती है?

दरअसल बीजेपी ने यूपी के 2017 विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को खूब हवा दी थी, जिसके चलते काफी मुस्लिम महिलाओं ने बीजेपी को वोट भी किया था। 15 अगस्त के मौके पर लालकिले से देश को संबोधन में नरेंद्र मोदी ने ट्रिपल तलाक का जिक्र किया और कहा कि मैं उन माताओं बहनों का अभिनंदन करना चाहता हूं जिन्होंने तीन तलाक की वजह से काफी मुश्किल सहा। इसके बावजूद तीन तलाक के खिलाफ जो उन्होंने संघर्ष किया उसमें देशवासियों ने और मीडिया ने भी साथ दिया, इससे पूरे देश में तीन तलाक के खिलाफ एक माहौल बना। हमें उनको इंसाफ दिलाना है और हिंदुस्तान उनके साथ खड़ा है। ऐसे में मोदी के मंसूबे साफ है कि ट्रिपल तलाक का मुद्दा जिंदा रहे और बहस लगातार चलती रहे। इसके जरिए एक माहौल बनेगा और सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा। इसीलिए संकेतों में मोदी ने साफ कि ट्रिपल तलाक के आंदोलन में मुस्लिम महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा लें।

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English summary
Triple talaq verdict: what is the pm modi plan behind triple talaq
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