इतिहास के पन्नों से- गांधी जी का एक पत्र जो हिटलर तक नहीं पहुंच सका
नई दिल्ली। द्वीतिय विश्व युद्ध दुनिया के इतिहास मेों ऐसी घटना है जिसे आज भी लोग बुरे सपने के तौर पर भूल जाना चाहते हैं। इस विश्व युद्ध में भारत के हजारों सैनिक शहीद हो गये थे। इस विश्व युद्ध के शुरु होने से पहले महात्मा गांधी ने हिटलर को एक पत्र लिखा था जिसे अगर हिटलर ने पढ़ा होता तो यकीनन दुनिया की तस्वीर आज अलग होती।
महात्मा गांधी ने 1939 में जर्मनी के नाजी तानाशाह एडोल्फ हिटलर को एक पत्र लिखा था लेकिन अफसोस की बात यह है कि गांधी का लिखा वह पत्र हिटलर तक पहुंच नहीं पाया था। 23 जुलाई 1939 को लिखे इस पत्र में गांधी जी ने हिटलर से युद्ध नहीं करने की अपील की थी।
महात्मा गांधी ने अपने पत्र में हिटलर को मानवता की दुहाई देते हुए इस युद्ध को रोक देने की अपील की थी। इस पत्र को गांधीजी ने अपने मित्रों और बेहद करीबियों के कहने पर लिखा था। लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस पत्र के ठीक एक महीने बाद जर्मनी ने पोलैंड पर धावा बोल दिया था।
गांधी जी ने अपने पत्र में लिखा कि मेरे मित्र मुझसे गुजारिश करते रहे हैं कि मैं मानवता के वास्ते आपको खत लिखूं। लेकिन मैं उनके अनुरोध को टालता रहा हूं क्योंकि मुझे लगता है कि मेरी ओर से कोई पत्र भेजना गुस्ताखी होगी। हालांकि कुछ ऐसा है जिसकी वजह से मुझे लगता है कि मुझे हिसाब-किताब नहीं करना चाहिए और आपसे यह अपील करनी चाहिए, चाहे इसका जो भी महत्व हो।
ये बिल्कुल साफ है कि इस वक़्त दुनिया में आप ही एक शख्स हैं जो उस युद्ध को रोक सकते हैं जो मानवता को बर्बर स्थिति में पहुंचा सकता है। चाहे वो लक्ष्य आपको कितना भी मूल्यवान प्रतीत हो, क्या आप उसके लिए ये कीमत चुकाना चाहेंगे?
क्या आप एक ऐसे शख्स की अपील पर ध्यान देना चाहेंगे जिसने किसी उल्लेखनीय सफलता के बावजूद जगजाहिर तौर पर युद्ध के तरीके को खारिज किया है? बहरहाल, अगर मैंने आपको खत लिखकर गुस्ताखी की है तो मैं आपसे क्षमा की अपेक्षा करता हूं।
आपका
दोस्त
एमके
गांधी