साल 2014 में तोल मोल कर नहीं बोल पाये कई नेता
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा‘, इस मुहावरे को बहुत से नेताओं ने खबरों में रहने का बेहतर तरीका मान लिया है। गैर-जिम्मेदार से लेकर भड़काऊ और विवादास्पद से लेकर आधारहीन बयानबाजी करके ये खबरों के संसार में छाए रहते हैं। इन्हें चुभते बयानों की ताकत का अहसास है। विचार और विचारधारा के स्तर पर नेताओं में भले ही तमाम मतभेद हों, पर ये टुच्ची बयानबाजी करने में एक हैं। आइये अपने कुछ रहनुमाओं के बयानों को समझें।
गोरखपुर से सांसद और महंत आदित्यनाथ ने 6 दिसंबर की घटना को हिंदुओं के लिए शौर्य, स्वाभिमान और एकता का प्रतीक बताया है। 15 दिसंबर को बिहार के वैशाली जिले में संतों की एक सभा में योगी आदित्यनाथ ने कहा, जिस तरह संतों की एकजुटता ने बाबरी मस्जिद का सत्यानाश किया, उसी तरह देश में हिंदू विराधी तत्वों को खत्म करने के लिए संतों की एकजुटता की जरूरत है।
ताज महल बने वक्फ संपत्ति: आजम खां
उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री आजम खान की जुबान कुछ ज्यादा ही फिसलती है। यूं तो वे लगातार विवादास्पद बयान देते हैं, पर उनके इस बयान देखिए।उत्तर प्रदेश के वक्फ मंत्री आजम खान ने कहा है कि ताजमहल को वक्फ की संपत्ति घोषित कर देनी चाहिए और उसकी कमाई मुस्लिमों के विकास में खर्च की जानी चाहिए। आजम खान ने सुझाव दिया कि ताजमहल और उससे होने वाली पूरी आय राज्य के वक्फ बोर्ड को सौंपी जानी चाहिए क्योंकि यह स्मारक एक मकबरा है। शहरी विकास मंत्री ने कहा, 'ताजमहल एक मकबरा है और प्रत्येक मकबरा 'वक्फ' है और वह सुन्नी केन्द्रीय वक्फ बोर्ड के तहत आता है।'खान ने कहा, 'ताजमहल दो मुसलमानों शाहजहां और मुमताज महल का मकबरा है।
नितिन गडकरी- लक्ष्मी को मना मत करना
केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 2 अक्तूबर को एक विवादास्पद बयान देकर सियासी बहस छेड़ दी थी। नितिन गडकरी ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जनता से कहा, लक्ष्मी को मना मत करना। गडकरी ने अपने भाषण के दौरान कहा कि बस एक बात याद रखना खाओ, पीना है पियो, जो मिलने वाला है सब लेलो। आप समझ गए होंगे कि वे दरअसल कहना क्या चाहते थे।
बलात्कारियों से गलती हो जाती है: मुलायम सिंह
तो अपने नेता जी यानी मुलायम सिंह यादव विवादास्पद बयानबाजी करने में पीछे कहां रहते हैं। उत्तरप्रदेश में कानून और व्यवस्था के बिगड़ते हालात पर बढ़ रही आलोचनाओं के बीच समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायमसिंह यादव ने कहा, आबादी के हिसाब से यूपी में अपराध कम है, साथ ही उन्होंने कहा, सरकार से प्रत्येक क्राइम पर नियंत्रण की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। 11 अप्रैल को मुरादाबद में हुई चुनावी सभा में उन्होंने एक 'अत्यंत संवेदनहीन और विवादास्पद' बयान में कहा की लड़के कभी-कभी ग़लती कर देते हैं और बलात्कारियों को मौत की सज़ा नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र में सत्ता में आने पर वे क़ानून में संशोधन कर बलात्कारियों के लिए फांसी की सज़ा के प्रावधान को ख़त्म कर देंगें।मुलायम ने यह बात मुरादाबाद में एक जनसभा में मुंबई शक्ति मिल्स में हुईं बलात्कार की दो घटनाओं में अदालत द्वारा दोषियों को मिली मौत की सज़ा के सन्दर्भ में कही।
रामजादे या हरामजादे
आप इसे साल का सबसे घटिया बयान मान सकते हैं। दिल्ली में बीजेपी के प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी। एक जनसभा में उन्होंने कहा कि वोटर्स को 'रामज़ादों' और 'हरामज़ादों' में से चुनाव करना होगा। बाद में इस मामले पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में सभी लोग राम की संतान हैं और बाकी धर्मों के लोग कन्वर्टेड हैं। पश्चिमी दिल्ली के श्याम नगर में एक रैली को संबोधित करते हुए यूपी के फतेहपुर से बीजेपी सांसद साध्वी ज्योति ने कहा, 'आपको तय करना है कि दिल्ली में सरकार रामजादों की बनेगी या हरामजादों की। यह आपका फैसला है।'
मनमोहन को कोसा
विवादास्पद बयान देने में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह आगे रहते हैं। कार्यसमिति की बैठक से पहले पार्टी के महासचिव दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री को बेहतर वित्त मंत्री बताते हुए कहा है कि एक अच्छे पीएम को अधिक आक्रामक होना चाहिए था। उन्होंने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की वजह पार्टी के नेताओं की जनता से संवादहीनता को ठहराया है। एक तरह से उन्होंने अपने ही प्रधानमंत्री को कोसा।