ये हैं वो पांच बड़ी भूख हड़तालें जिन्होंने दुनिया को हिला दिया
नई दिल्ली। मणिपुर में आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) के खिलाफ 16 सालों तक आंदोलन करने वाली इरोम शर्मिला ने मंगलवार को भूख हड़ताल खत्म कर दी। उन्होंने वर्ष 2000 में यह अनशन शुरू किया था। इरोम शर्मिला की ही तरह दुनिया के कई देशों में लोगों ने अनशन किए हैं। पढ़िए, हाल ही के वर्षों में हुई पांच बड़ी भूख हड़तालों की वजहें..
1.
जुलाई
2016:
जापान
इमिग्रेशन
डिटेंशन
सेंटर
में
अनशन
ओसाका
स्थित
जापानी
डिटेंशन
सेंटर
में
14
इनमेट्स
ने
परिस्थितियां
सही
न
होने
के
विरोध
में
भूख
हड़ताल
शुरू
की
थी।
हड़ताल
में
शामिल
एक
शख्स
ने
कहा,
'लंबे
समय
से
जेल
में
बंद
रहने
और
मेडिकल
केयर
न
मिलने
की
वजह
से
हम
न
सिर्फ
शारीरिक
बल्कि
मानसिक
तौर
पर
भी
बीमार
हो
रहे
हैं।'
पढ़ें: बुलंद इरादे और जिद की पक्की इरोम शर्मिला, पढ़ें संघर्ष के 16 साल की कहानी
2.
मई
2016:
दिल्ली
में
जेएनयू
के
छात्रों
का
आंदोलन
देश
विरोधी
गतिविधि
में
शामिल
रहने
के
आरोप
में
जवाहर
लाल
नेहरू
यूनिवर्सिटी
की
ओर
से
कार्रवाई
किए
जाने
के
विरोध
में
छात्रों
ने
आंदोलन
शुरू
किया
था।
विश्वविद्यालय
प्रशासन
के
फैसले
के
खिलाफ
जेएनयू
छात्रसंघ
अध्यक्ष
कन्हैया
कुमार
के
अलावा
दो
अन्य
छात्र
उमर
खालिद
और
अनिर्बान
भट्टाचार्य
ने
भूख
हड़ताल
पर
बैठ
गए
थे।
यह
अनशन
16
दिनों
तक
चला।
बाद
में
दिल्ली
हाईकोर्ट
के
कहने
पर
उन्हें
अनशन
वापस
लेना
पड़ा।
3.
फरवरी
2016:
फिलिस्तीनी
जर्नलिस्ट
ने
100
दिनों
तक
किया
अनशन
फिलिस्तीन
के
जर्नलिस्ट
मोहम्मद
अल-किक
को
एक
सुन्नी
समूह
की
गतिविधियों
में
शामिल
होने
के
आरोप
में
इजरायल
में
गिरफ्तार
कर
लिया
गया
था।
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
अल-किक
ने
आरोपों
ने
इनकार
किया
और
जेल
में
पूछताछ
के
नाम
पर
हुई
ज्यादती
के
खिलाफ
आमरण
अनशन
शुरू
कर
दिया।
उसका
अनशन
करीब
100
दिनों
तक
चला।
बाद
में
जेल
अधिकारियों
ने
उसे
रिहा
करने
का
फैसला
लिया।
बताया
जा
रहा
है
कि
अनशन
के
दिनों
में
वह
सिर्फ
पानी
पीकर
ही
रहा।
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4.
अक्टूबर
2015:
श्रीलंका
में
200
कैदियों
ने
जेल
में
ही
हड़ताल
लिबेरेशन
टाइगर्स
ऑफ
तमिल
ऐलाम
(LTTE)
से
संपर्क
होने
के
आरोप
में
गिरफ्तार
किए
गए
200
कैदियों
ने
श्रीलंका
की
जेलों
में
ही
भूख
हड़ताल
शुरू
कर
दी।
इनमें
से
ज्यादातर
संदिग्ध
तमिल
थे।
उनका
कहना
था
कि
उन्हें
लंबे
समय
से
बिना
किसी
आरोप
के
जेल
में
बिना
वजह
बंद
किया
गया
है।
यह
हड़ताल
कुल
6
दिन
चली
थी।
कैदियों
ने
राष्ट्रपति
मैत्रीपाल
सिरीसेना
की
ओर
से
आश्वसन
मिलने
के
बाद
अपनी
हड़ताल
खत्म
की
थी।
हालांकि
मीडिया
रिपोर्ट्स
के
मुताबिक,
बाद
में
श्रीलंकाई
प्रधानमंत्री
ने
कैदियों
की
बात
मानने
से
इनकार
कर
दिया
था।
5.
अप्रैल
2011:
अन्ना
हजारे
का
जनलोकपाल
आंदोलन
जन
लोकपाल
विधेयक
की
मांग
को
लेकर
समाजसेवी
अन्ना
हजारे
और
उनके
साथियों
ने
5
अप्रैल
2011
को
दिल्ली
के
जंतर-मंतर
पर
अनशन
शुरू
किया
था।
आंदोलन
का
असर
यह
हुआ
देश
भर
से
लोग
भ्रष्टाचार
मुक्त
भारत
का
नारा
बुलंद
करते
हुए
दिल्ली
में
जमा
हो
गए।
आंदोलन
बढ़ा
तो
तत्कालीन
यूपीए
सरकार
संकट
में
आ
गई।
सरकार
ने
16
अगस्त
तक
बिल
पास
कराने
की
बात
कहकर
समिति
गठित
कर
दी।
अगस्त
में
जब
सरकार
ने
कमजोर
लोकपाल
बिल
पेश
किया
तो
अन्ना
ने
फिर
आंदोलन
की
चेतावनी
दी।
जिसके
बाद
अन्ना
और
उनके
साथियों
को
16
अगस्त
को
गिरफ्तार
कर
लिया
गया।
अन्ना
ने
तिहाड़
जेल
में
भी
अपना
अनशन
जारी
रखा।
उनकी
गिरफ्तारी
से
आंदोलन
और
भड़क
गया।
बाद
में
सरकार
जब
बिल
को
लेकर
अन्ना
की
तीन
शर्तें
मानने
को
तैयार
हुई
तब
जाकर
28
अगस्त
को
आंदोलन
समाप्त
हुआ।
इस
आंदोलन
में
अरविंद
केजरीवाल
और
किरण
बेदी
जैसे
लोग
भी
शामिल
थे।