'सिद्धांतवादी' नीतीश की पोल खोलने के लिए काफी हैं उनके ये पुराने बयान
पीएम मोदी, आरएसएस, भाजपा के खिलाफ नीतीश कुमार के 6 सबसे बड़े हमले, जिसे भुला पाना नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं होगा।
पटना। बिहार में जिस तरह से राजनीतिक घटनाक्रम बदला है उसके बाद बहुत तेजी से बयान भी तमाम नेताओं की ओर से आ रहे हैं। बुधवार को जब नीतीश कुमार ने इस्तीफा दिया तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार को बधाई दी जिसके जवाब में नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को दिल से शुक्रिया भी कहा। कुछ ही घंटों में इन दोनों नेताओं के बीच नजदीकी देखने को मिलने लगी, लेकिन समय चक्र पर नजर डालें तो नीतीश ने जो तल्ख बयान भाजपा, आरएसएस के खिलाफ दिए थे, लेकिन कहते हैं कि राजनीति में हर सुबह और शाम एक जैसी नहीं होती है।
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ये अटलजी और आडवाणीजी को भूल गए
तकरीबन चार सालों तक भाजपा से अलग रहने वाले नीतीश कुमार ने जिस वक्त एनडीएस का साथ छोड़ा था उस वक्त वह 17 सालों से एनडीए के साथ थे। इसके बाद नीतीश कुमार ने कई मौकों पर भाजपा और आरएसएस के खिलाफ बयान दिए और यहां तक कह दिया था कि वह संघ मुख्त भारत चाहते हैं। नीतीश ने इससे आगे जाते हुए कहा कि ये लोग अटल बिहारी, लालकृष्ण आडवाणी को भूल गए हैं।
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हमें भाजपा से डरने की जरूरत नहीं
एक कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने कहा था कि अधिक से अधिक विपक्ष के नेताओं को एक साथ आने की जरूरत है और यह इस समय की मांग है, हमें पुरानी बातों को भूलना होगा। यही नहीं नीतीश ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि आखिर क्यों भाजपा ही सारे मुद्दे निर्धारित करेगी, मौजूदा समय में देश को एकजुट विपक्ष की जरूरत है, जब ऐसा होगा तो आप देखिएगा कि क्या होता है। हमें डरने की जरूरत है, हमें अपने एजेंडा को 90 फीसदी तक फॉलो करने की जरूरत है।
संघ मुक्त भारत की जरूरत
वहीं मई 2016 में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नीतीश कुमार ने संघमुक्त भारत और शराब मुक्त भारत का नारा दिया था। इसके अलावा भी कई कार्यक्रम के दौरान में नीतीश ने संघ और भाजपा के खिलाफ तल्ख बयानबाजी की। गत वर्ष अप्रैल माह में नीतीश कुमार ने एक बार फिर से संघ मुक्त भारत की बात करते हुए कहा था कि अब ऐसी परिस्थिति में आज सीधे दो धुरी होगी, भाजपा एक तरफ है और दूसरी तरफ सब लोगों को मिलना पड़ेगा। वरना अलग-अलग रहेंगे तो अलग-अलग ये सबका बुरा हाल कर देंगे, ये सबको एकत्रित होना होगा। एक बार लोहियाजी ने गैर कांग्रेसवाद की बात की थी, आज वही दौर आ गया है जब आपको गैर संघवाद करना पड़ेगा। इसके लिए सबको एकजुट खड़ा होना होगा। संघ मुक्त भारत बनाने के लिए सभी गैर भाजपा पार्टी को एक होना होगा।
आरएसएस भाजपा का सुप्रीम कोर्ट
बिहार में जब महागठबंधन का गठन हुआ तो नीतीश कुमार ने पटना में 24 सितंबर 2015 को अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया था। उस वक्त उन्होंने कहा था कि भाजपा के लिए आरएसएस सुप्रीम कोर्ट की तरह है। भाजपा विकास की बात करती है, लेकिन वह लोगों को बांटने का काम करती है, वह धर्म और जाति के नाम पर लोगों को बांटने का काम करती है।
पीएम के डीएनए क बयान को बताया था बिहार का अपमान
बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला था, उन्होंने यहां तक कह दिया था कि बिहार के राजनीतिक डीएनए में कुछ कमी है, जिसके चलते उन्हें अपने साथी को छोड़ना पड़ा। पीएम के इस बयान के जवाब में नीतीश ने कहा था कि यह बिहार के लोगों का अपमान है, उन्होंने पीएम से अपना बयान वापस लेने की भी मांग की थी। इसके लिए बकायदा एक अभियान चलाया गया जिसमें 50,000 लोगों ने पीएम मोदी को अपना डीएनए सैंपल भेजेंगे।
कभी टोपी पहननी पड़ेगी, कभी तिलक लगाना पड़ेगा
6 अगस्त 2013 को भाजपा से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों के राष्ट्रीय कांफ्रेंस में बोलते हुए कहा था कि आजक हवा की बात होती है, ये कुदरत की हवा है ,लेकिन वो ब्लोवर की हवा है। नीतीश ने यह बयान मोदी लहर पर दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत जैसे देश को आगे ले जाने के लिए सबको साथ लेकर चलना होगा, कभी टोपी भी पहननी पड़ेगी, कभी तिलक भी लगाना पड़ेगा। नीतीश कुमार के इस बयान को पीएम मोदी के खिलाफ माना जा रहा था, जब पीएम ने 2011 में एक कार्यक्रम के दौरान टोपी पहनने से इनकार कर दिया था।