पाक के पास रूस को जाने से रोकने के लिए पीएम मोदी ने तैयार किया ब्लूप्रिंट
नई दिल्ली। गोवा में आयोजित होने वाले आंठवें ब्रिक्स सम्मेलन के लिए 14 अक्टूबर को रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन भारत आएंगे। राष्ट्रपति पुतिन की 17 अक्टूबर तक भारत में रुकेंगे। वह ऐसे समय में भारत आ रहे हैं जब रूस, पाकिस्तान के साथ कभी एक्सरसाइज तो कभी डिफेंस डील्स के जरिए सपंर्क बढ़ाने में लगा है।
पढ़ें-पाक
में
बढ़ती
दिलचस्पी
के
बीच
भारत
आ
रहे
हैं
राष्ट्रपति
पुतिन
डिफेंस डील्स बनेंगी सहारा
निश्चित तौर पर पाक के लिए रूस का बढ़ता झुकाव भारत के लिए चिंता का विषय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तैयारी कर ली है कि वह रूस की पाक में बढ़ती दिलचस्पी को कम करेंगे।
पीएम मोदी रूस को रोकने के लिए बिलियन डॉलर वाली डिफेंस डील्स का सहारा लेंगे। रूस, भारत के बड़े डिफेंस सप्लायर का तमगा अब खोता जा रहा है। अमेरिका, रूस की जगह ले रहा है।
पीएम मोदी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात के दौरान उन तमाम डिफेंस डील्स को ग्रीन सिग्नल दे सकते हैं जो काफी समय से अटकी पड़ी हैं।
15 अक्टूबर को राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी की मुलाकात होगी। अपने पुराने दोस्त के साथ दोस्ती को और पक्का करने के लिए पीएम मोदी फिर से रक्षा संबंधों को नया रंग देने की कोशिशें करेंगे।
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भारत और रूस दोनों के लिए अहम
जिन डील्स को पीएम मोदी मंजूरी देंगे उन डील्स की मदद से न सिर्फ भारत की अमेरिका से नजदीकियां कम होंगी बल्कि उन डील्स के बाद भारत, पाकिस्तान और चीन को एक कड़ा संदेश देने में सफल हो पाएगा।
रूसी मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों के बीच डील्स को लेकर काफी सौदेबाजी जारी है।
दोनों ही देश इस बात को सुनिश्चित करने में लगे हैं कि जब पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात हो तो इन डील्स को हरी झंडी मिल जाए। दोनों नेताओं के बीए एक द्विपक्षीय मुलाकात ब्रिक्स सम्मेलन से अलग होने वाली है।
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कौन-कौन सी हैं डील
जिन डील्स पर सबकी नजरें हैं उनमें पांच एस-400 'ट्रिम्फ' लॉन्ग डिस्टेंस एयर मिसाइल सिस्टम, कामोव-28 हेलीकॉप्टर्स के अलावा सुखोई 30एमकेआई का अपग्रेडेशन शामिल है। दो और प्रोजेक्ट्स हैं जिन पर सहमति बन सकती है।
इन पर कोमोव-226 लाइट हेलीकॉप्टर्स का मिलकर उत्पादन करना और लंबे समय से अटके हुए फिफ्थ जनरेशन फाइटर एयरक्राफ्ट (एजीएफए) का मिलकर डेवलप करना शामिल है।
40,000 करोड़ की डील
एस-400 डील अगर हो जाती है तो फिर भारत की रूस के साथ हाल के समय मे हुई यह अब तक की सबसे बड़ी डील होगी। इस डील के साथ ही भारत की आक्रमण करने की क्षमता को नई ताकत मिल सकेगी।
पिछले वर्ष रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने इस डिफेंस सिस्टम को डिफेंस एक्यूजिशन काउंसिल यानी डीएसी की मीटिंग में खरीदने के लिए मंजूरी दे दी थी। यह डील 40,000 करोड़ रुपए की होगी।
भारत अगर इसे खरीद लेता है तो चीन के बाद दुनिया का दूसरा देश होगा जिसके पास यह सिस्टम होगा।
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छह बिलियन डॉलर की डील
दोनों देशों के बीच मतभेदों के चलते एफजीएफए को डेवलप करने के काम को रुक गया था। लेकिन अब इस छह बिलियन डॉलर की डील को फिर से ट्रैक पर लाने की कोशिशें हो रही हैं।
पीएम मोदी और पुतिन इस पर चर्चा कर सकते हैं। वहीं इंडियन नेवी के लिए दो डील्स पर बात हो रही हैं।
वर्तमान में भारत के पास सिर्फ एक न्यूक्लियर अटैक सबमरीन आईएनएस चक्र है। भारत की योजना है कि 1.5 बिलियन डॉलर की लागत से रूस के साथ एक और सबमरीन की डील को मंजूरी दी जाए।