कश्मीर: आंखों में आंसू के साथ शहीद जवान को अंतिम विदाई देने उमड़ी भीड़, देखिए तस्वीरें...
34 वर्षीय लांसनायक गुलाम मोहिउद्दीन राठेर गुरुवार को शोपियां जिले में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे।
बिजबेहारा (कश्मीर)। आतंकी हमले में शहीद लांसनायक गुलाम मोहिउद्दीन राठेर को अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी। इस दौरान लोगों की आंखों में आंसू था। शहीद लांसनायक गुलाम मोहिउद्दीन राठेर का घर दक्षिण कश्मीर के बिजबेहारा इलाके में था।
शोपियां में आतंकी हमले में शहीद हुए थे राठेर
पिछले महीने लांसनायक गुलाम मोहिउद्दीन राठेर मरहामा मोहल्ले में स्थित घर पर अपने बेटे आहिल का पहला जन्मदिन मना कर सेना में लौटे थे। उस समय किसी को इस बात का आभास नहीं था कि मोहिउद्दीन राठेर को वो आखिरी बार देख रहे हैं।
44 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे राठेर
शुक्रवार को जब राठेर का तिरंगे में लिपटा शरीर उनके घर पहुंचा तो लोगों हुजूम शहीद जवान को आखिरी विदाई के लिए उमड़ पड़ा। 34 वर्षीय लांसनायक गुलाम मोहिउद्दीन राठेर गुरुवार को शोपियां जिले में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों से भिड़ते में शहीद हो गए थे। राठेर, 4 जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री का हिस्सा थे और 44 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे।
शहीद को लोगों ने दी अश्रुपूर्ण विदाई
44 राष्ट्रीय राइफल्स एक आतंकवाद विरोधी फोर्स है जिसमें सेना की विभिन्न इकाइयों के जवान शामिल थे। इस हमले में दो अन्य जवान शहीद हुए और एक महिला नागरिक की भी जान गई थी। शहीद लांसनायक गुलाम मोहिउद्दीन राठेर का शव जब घर पहुंचा तो उनकी पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था, वहीं परिजनों के आंसू भी थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
लोगों की भीड़ देख सेना के अधिकारी भी हुए हैरान
शहीद जवान को आखिरी विदाई देने के लिए उमड़ी लोगों की भीड़ को देखकर सेना के अधिकारी और जवान भी चौंक गए। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि सेना के जवान को आखिरी विदाई के लिए इस तरह से लोग सड़क पर उतरेंगे। सेना के एक अधिकारी ने बताया कि लांसनायक राठेर बेहद साहसी और सज्जन थे, उन्होंने सेना में रहकर इसकी सभी परंपराओं का निर्वाह किया।
सेना प्रमुख ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि
श्रीनगर स्थित सेना मुख्यालय में उन्हें पूरे सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर सेना प्रमुख बिपिन रावत भी शामिल हुए। इसके बाद मोहिउद्दीन राठेर का शरीर विशेष वाहन के जरिए घर भेजा गया। जब उनका शव परिवार को सौंपा गया उस समय लोगों को अच्छी खासी भीड़ वहां जमा थी। गन-सैल्यूट के साथ शहीद जवान की आखिरी विदाई के दौरान वहां मौजूद लोगों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। हर कोई अपने बहादुर बेटे को याद कर रहा था।
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