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मिलिए एक जासूस से जो देश के लिए शामिल हुआ पाक सेना में

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नई दिल्‍ली। आपने देश सेवा के लिए शहादत देने वाले कई सैनिकों की वीरगाथाओं को सुना होगा। इन्‍हीं वीरगाथाओं में एक ऐसी शहादत की कहानी भी शामिल है जिसका जिक्र कभी-कभी होता है या अगर यूं कहें कि नहीं होता है तो गलत नहीं होगा।

यह कहानी है एक ऐसे जासूस की जिसे सिर्फ 23 वर्ष की उम्र में पाकिस्‍तान भेजा गया और फिर वह कभी भी लौट कर अपने वतन नहीं आ सका।

जानिए रॉ से जुड़े कुछ खास तथ्य

इस जासूस का दुर्भाग्‍य तो देखिए कि शहादत के समय इसे अपने देश की मिट्टी भी पहीं मिल सकी और इसे दुश्‍मन मुल्‍क में ही अपने प्राण त्‍यागने पड़े।

हम बात कर रहे हैं भारत की इंटेलीजेंस एजेंसी रॉ के जासूस रविंदर कौशिक की। रविंदर का जिक्र पहली बार उस समय हुआ जब देश में एक फिल्‍म 'एक था टाइगर' रिलीज हुई। रविंदर कौशिक एक अंडरकवर एजेंट थे। जानिए इस अंडरकवर एजेंट से जुड़े कुछ खास तथ्‍य।

एक बेहतरीन थियेटर आर्टिस्‍ट

एक बेहतरीन थियेटर आर्टिस्‍ट

रविंदर कौशिक का जन्‍म राजस्‍थान के श्रीगंगानगर में वर्ष 1952 में हुआ था। रविंदर को थियेटर का काफी शौक था और वह सिर्फ एक टीनएजर थे जब रॉ के लिए उनका चयन किया गया था। रविंदर ने वर्ष 1975 में ग्रेजुएशन कंप्‍लीट किया और फिर रॉ में शामिल हो गए।

युवा अंडरकवर एजेंट

युवा अंडरकवर एजेंट

रॉ की ओर से उन्‍हें पाकिस्‍तान में भारत के लिए अंडरकवर एजेंट की जॉब ऑफर की गई और सिर्फ 23 वर्ष की उम्र में उन्‍हें पाकिस्‍तान एक मिशन पर भेज दिया गया था। बताया जाता है कि रॉ ने उन्‍हें करीब दो वर्षों तक ट्रेनिंग दी थी।

ताकि लगे एक मुसलमान

ताकि लगे एक मुसलमान

कौशिक को दिल्‍ली में इस तरह की ट्रेनिंग दी गई कि वह एक मुसलमान युवक नजर आएं। उन्‍हें उर्दू सिखाई गई और मुस्लिम धर्म से जुड़ी कुछ जरूरी बातों के बारे में भी बताया गया। साथ ही उन्‍हें पाकिस्‍तान के बारे में भी कई जानकारियां दी गई। वह पंजाबी भाषा में माहिर थे जिसे पाक के ज्‍यादातर हिस्‍सों में बोला जाता है।

रविंदर से हो गए नबी अहमद शाकिर

रविंदर से हो गए नबी अहमद शाकिर

वर्ष 1975 में उन्‍हें नबी अहमद शाकिर इस नाम के साथ पाकिस्‍तान भेजा गया। इसके बाद वह बतौर सिविलियन क्‍लर्क पाकिस्‍तान सेना का हिस्‍सा बन गए। इसके बाद उन्‍हें पाक सेना के अकाउंट्स डिपार्टमेंट में भेज दिया गया। उन्‍होंने पाक जाकर इस्‍लाम धर्म कुबूल कर लिया।

एक बेटे के पिता

एक बेटे के पिता

बताते हैं कि उन्‍होंने पा‍क जाकर आर्मी यूनिट में तैनात टेलर की बेटी जिसका नाम अमानत था, उससे शादी कर ली। इसके बाद वह एक बेटे के पिता बने और बताते हैं कि उनके बेटे की मृत्‍यु वर्ष 2012-2013 के बीच हुई।

भारतीय सेना को मिली काफी मदद

भारतीय सेना को मिली काफी मदद

वर्ष 1979 से 1983 के बीच उन्‍होंने कई अहम जानकारियों को भारतीय सेना तक पहुंचाया। इन जानकारियों ने देश की काफी मदद की।

पाक को पता लगा सच

पाक को पता लगा सच

सितंबर 1983 में भारत ने एक लो लेवल जासूस इनायत मसीह को रविंदर कौशिक से संपर्क करने को कहा। लेकिन इसे पाक ने पकड़ लिया और फिर उसने सारा सच पता लग गया। कुछ लोग मानते हैं कि कौशिक अपनी नहीं बल्कि रॉ की ही गलती की वजह से पकड़े गए।

1985 में दी गई मौत की सजा

1985 में दी गई मौत की सजा

कौशिक को वर्ष 1985 में उन्‍हें पाक की अदालत ने मौत की सजा सुना दी। हालांकि बाद में पाक सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में बदल लिया। कौशिक को पाक की सियालकोट, कोट लखपत और मियांवाली जेलों में करीब 16 वर्षों तक रखा गया। जेल में रहने की वजह से उन्‍हें टीबी, अस्‍थमा और दिल की बीमारियां हो गईं।

वर्ष 1999 में हो गई मौत

वर्ष 1999 में हो गई मौत

रॉ और भारत की सरकार ने उन्‍हें अपना जासूस मानने से इंकार कर दिया। 26 जुलाई 1999 को टीबी और दिल की बीमारियों की वजह से मुल्‍तान की सेंट्रल जेल में उनकी मौत हो गई। बताते हैं कि जेल के पीछे उन्‍हें दफना दिया गया था। उन्‍होंने किसी तरह से अपने परिवार से संपर्क उसे चिट्ठियां लिखीं और जिसमें उन्‍होंने सारी दास्‍तां बयां की थी।

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English summary
Meet brave Indian spy Ravindar Kaushik who was sent to Pakistan as a RAW agent. He was just 23 years of age. However Kaushik caught by Pakistan army and he died in that country.
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