रिपोर्ट में खुलासा: हत्या हो या लूट, इन पांच राज्यों में हावी हैं खूंखार महिलाएं
साल 2014 के एनसीआरबी रिपोर्ट की मानें तो पूरे देश भर में 1,94,867 महिलाओं को मर्डर, किडनैपिंग, लूटपाट जैसे संगीन अपराधों में गिरफ्तार किया गया।
नई दिल्ली। जैसे अपराध किसी भी समय हो सकता है वैसे ही किसी अपराध को कोई भी कर सकता है। अकसर महिलाओं के खिलाफ इतने अपराध होते हैं कि उन्हें हमेशा पीडि़त की नजर से ही देखा जाता है लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट कुछ और ही हकीकत बयान कर रही है। जी हां अपराध की दुनिया में बड़ी संख्या में महिलाएं अपनी मौजूदगी जता रही है। साल 2014 के एनसीआरबी रिपोर्ट की मानें तो पूरे देश भर में 1,94,867 महिलाओं को मर्डर, किडनैपिंग, लूटपाट जैसे संगीन अपराधों में गिरफ्तार किया गया। इन गिरफ्तारी में महाराष्ट्र सबसे आगे है। एनसीआरबी रिपोर्ट्स के मुताबिक अकेले महाराष्ट्र में 597 महिलाओं को मर्डर के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आईए आपको उन पांच राज्यों के बारे बताते हैं जहां महिला अपराधियों की संख्या सबसे ज्यादा है।
महाराष्ट्र में 30,568 महिलाएं
महाराष्ट्र में 2014 में 30,568 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है। इस राज्य में सबसे ज्यादा महिला अपराधी हैं। मुंबई पुलिस के प्रवक्ता डीसीपी धनंजय कुलकर्णी ने बताया कि जेल से छूटने के बाद बहुत कम महिलाएं ही अपराध करना छोड़ती हैं, जेल से छूटने के बाद अधिकतर महिलाएं और गंभीर अपराध करने लग जाती हैं।
उत्तर प्रदेश में 17,437 महिलाएं
उत्तर प्रदेश राज्य कानून व्यवस्था को लेकर हमेशा से बदनाम रहा है। तो जब प्रदेश के पुरुष अपराध करने में आगे हैं तो महिलाएं भी उनसे पीछे नहीं हैं। यहां अपराध के अलग-अलग मामलों में 17,437 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया।
राजस्थान में 16,187 महिलाएं
वैसे तो इस राज्य में शांति और कानून व्यवस्था रहती है लेकिन यहां की महिलाएं अपराध करने में तीसरे नंबर पर हैं। राजस्थान में 16, 187 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है।
गुजरात में 14,152 महिलाएं
कभी दंगे तो प्राकृतिक आपदाएं इस राज्य में हलचल बनाए रखती हैं। तो अगर महिला अपराधियों की बात की जाएं तो इसका नंबर चौथे नंबर पर आता है। इस राज्य की 14,152 महिलाओं को साल 2014 में अरेस्ट किया गया है।
पश्चिम बंगाल में 12,181 महिलाएं
यहां गिरफ्तार महिलाओं की संख्या 12,181 है और यह लिस्ट में पांचवें नंबर पर है। महिला अपराधियों की बढ़ती संख्या के बारे में मनोवैज्ञानिक हरीश शेट्टी ने बताया, हर मामले में लैंगिक असमानता घट रही है। जैसे अब यूनिसेक्स कपड़े आने लगे हैं, वैसे ही अब अपराध भी जेंडर न्यूट्रल हो गया है।