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वो महिला जिसने सैकड़ों साल पहले महिलाओं को पहनवाई 'स्कर्ट पैंट'

ये सब तब हुआ था, जब भारत में 1857 की क्रांति भी नहीं हुई थी. जानिए इस ताकतवर महिला की कहानी

By BBC News हिन्दी
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ऐसे वक़्त में जब कभी महिलाओं के ख़िलाफ़ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले डोनल्ड ट्रंप अमरीकी राष्ट्रपति चुने गए हैं.

अमरीका में महिलाओं के हक की बात करने वाले अख़बार का 168 साल बाद पुनर्जन्म हुआ है.

वो महिला जिसने सैकड़ों साल पहले महिलाओं को पहनवाई 'स्कर्ट पैंट'

अब इस अखबार को वेबसाइट के तौर पर शुरू किया गया है.

'द लिली' अमरीका का पहला ऐसा अख़बार था, जो महिलाओं के द्वारा महिलाओं के लिए चलाया गया.

इस अख़बार ने अमरीकी समाज में ऐसे दौर में अपनी जगह बनाई, जब महिलाओं को शॉर्ट स्कर्ट या पैंट पहनने तक का भी हक नहीं मिला था.

अमेलिया जेंक्स ब्लूमर ने 1849 में इस अखबार की शुरुआत की थी. ये अखबार 1849 से 1853 तक अमेलिया के नेतृत्व में छपा. बाद में ये अखबार 1854 में मैरी बर्डसैल को बेच दिया गया.

'द लिली' अख़बार का इतिहास

अ़ख़बार को शुरू करने का श्रेय महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली अमेलिया ब्लूमर को जाता है.

महिलाओं के कपड़े पहनने को लेकर समाज की पाबंदियों को तोड़ने में भी अमेलिया का काफ़ी योगदान रहा था.

द लिली अ़ख़बार ने अपने शुरुआती दिनों में टेंपेरेंस मूवमेंट का भी जमकर समर्थन किया.

टेंपेरेंस मूवमेंट यानी शराब का पूरी तरह से विरोध. इस आंदोलन की शुरुआत 1820 के दौरान हुई थी.

कहां से मिली 'द लिली' की प्रेरणा?

अमरीका में 1848 में न्यूयॉर्क के पास सेनेका फॉल्स कनवेंशन हुआ था. यानी महिलाओं के अधिकारों के लिए आयोजित पहला सम्मेलन. इस सम्मेलन में अमेलिया भी शरीक हुई थीं.

अमेलिया जब 22 साल की थीं, तब उन्होंने डेक्सटर ब्लूमर से शादी की.

डेक्सर ने अमेलिया से अपने अख़बार सेनेका फॉल्स काउंटी कोरियर में लिखने के लिए कहा.

डेक्सर ने अमेलिया को अपने अख़बार में लिखने के लिए तो कहा लेकिन 'द लिली' शुरू करने के फ़ैसले पर ऐतराज़ जताया.

'द लिली' में बगावत की गूंज

'द लिली' अख़बार की टैगलाइन में उसका मकसद साफ लिखा हुआ था- महिला हितों के लिए समर्पित.

द लिली अखबार के पहले पेज पर पहले एक लाइन लिखी होती थी- महिलाओं की एक कमेटी की ओर से प्रकाशित .

हालांकि 1850 में ब्लूमर का नाम लिखा जाने लगा.

पहले इश्यू में क्या छपा था?

द लिली अख़बार के पहले इश्यू में अमेलिया ब्लूमर ने लिखा था,

  • 'द लिली' के ज़रिए महिलाएं अपनी बात आज़ादी से रखेंगी. शराबखोरी शांति और खुशियों के लिए दुश्मन की तरह है.
  • ये उन सबसे ज्यादा बदतर है जो एक औरत के घर को उजाड़ बनाता है और उसके वंशजों को भीख मांगने पर मजबूर करता है.

नहीं रुकी अमेलिया, छपकर खिला 'द लिली'

इस तरह अमेलिया ने द लिली छापने का फ़ैसला किया और अमरीका में महिलाओं का महिलाओं के लिए पहला अख़बार छपा.

शुरू में अख़बार को इस सम्मेलन के बाद बनी सोसाइटी की महिलाओं के बीच बांटने के लिए छापा गया.

उस ज़माने में इस अख़बार को पढ़ने वालों की संख्या चार हज़ार के करीब और एक साल की कीमत 50 सेंट रही.

द लिली में अमेलिया के साथ अमरीका की मशहूर एक्टिवस्ट एलिजाबेथ केडी भी जुड़ीं. शराब के विरोध करते टेंपरेंस आंदोलन से इस अख़बार ने बाकी मुद्दों पर भी खुलकर लिखना शुरू किया.

फिर चाहे महिलाओं के वोट देने का अधिकार हो या फिर प्रॉपर्टी पर अधिकार.

ये अख़बार 1854 में बेचा गया, इसके बाद भी अमेलिया इस अख़बार के लिए लिखती रहीं.

अमेलिया की कलम द लिली के लिए 1856 में आखिरी इश्यू छपने तक बेख़ौफ महिलाओं के हक में चलती रही.

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English summary
The woman who wore the women hundreds of years ago, 'skirt pants'
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