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SC ने पूछा सवाल, जांच के लिए तीस्ता की गिरफ्तारी पर जोर क्यों?

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नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की नई पीठ गुरुवार को वर्ष 2002 दंगा प्रभावित अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में एक संग्रहालय के नाम पर कोष के कथित गबन के मामले में सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड और उनके पति की अग्रिम जमानत की याचिका मंजूर कर ली है। कोर्ट के अहम फैसले के बाद तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद की गिरफ्तारी फिलहाल नहीं होगी। कोर्ट ने जहां तीस्ता को बड़ी राहत दी तो वहीं उनसे उन लोगों की लिस्ट मांगी है जिन्होंने इस संग्राहलय के लिंए चंदा दिया। साथ ही कोर्ट ने तीस्ता से जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करने का आदेश भी दिया है।

Teesta Setalvad

जांच के लिए तीस्ता की गिरफ्तारी पर जोर क्यों?

इससे पहले कोर्ट ने गुजरात क्राइम ब्रांच करते हुए पूछा कि आखिर तीस्ता से पूछताछ करने के लिए गिरफ्तारी क्यों जरुरी है? कोर्ट ने पूछा कि सवाल-जवाब करने के लिए तीस्ता को हिरासत में लिया जाना आखिर क्यों आस्यक है। डिवजन बेंच के जस्टिस दीपक मिश्रा और आदर्श कुमार गोयल ने क्राइम ब्रांच के सामने सवाल रखा कि आखिर तीस्ता को कस्टडी में लेना क्यों आवश्यक है।

नई पीठ ने की सुनवाई

तीस्ता मामले में पीठ में बदलाव के लिए कोई कारण नहीं बताया गया है। यह मामला न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति एनवी रमण की पीठ से न्यायमूर्ति दीपक मिश्र एवं न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ को स्थानान्तरित किया गया। पहली पीठ ने दंपति की गिरफ्तारी पर 13 फरवरी को छह दिन के लिए रोक लगा दी थी। कोर्ट ने सीतलवाड दंपति को ‘आत्मसमर्पण करने और नियमित जमानत लेने' का सुझाव दिया लेकिन बाद में उसे 19 फरवरी तक के लिये अंतरिम राहत मिल गई थी। कोर्ट ने इस मामले में ‘राजनीति' नहीं लाने की भी चेतावनी दी। न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय और न्यायमूर्ति रमण की पीठ ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि सीतलवाड और उनके पति के खिलाफ आरोप ‘गंभीर' हैं और यह प्राथमिकी निरस्त करने तक का मामला नहीं है।

क्या है पूरा मामला

गुलबर्ग सोसाइटी के निवासियों से आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक बताया है कि दंगा पीड़ितों को आर्थिक मदद देने मकानों के पुनर्निर्माण और गुलबर्ग सोसायटी को संग्रहालय बनाने के लिए देश की और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने चंदा दिया है। इसके एक एकाउंट में 63 लाख और ट्रस्ट के दूसरे एकाउंट में 88 लाख रुपये जमा कराए गए, लेकिन वह पैसे सोसायटी के लोगों को नहीं दिए गए। गुलबर्ग सोसाइटी के 12 दंगा पीड़ितों ने इसकी शिकायत की थी जिसके बाद अब पुलिस कमिश्नर ने क्राइम ब्रांच को जांच करने के आदेश दिए हैं।

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English summary
The Supreme Court has granted anticipatory bail to social activist Teesta Setalvad. This order would mean that Teesta cannot be arrested by the Gujarat Crime Branch.
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