स्वदेशी आंदोलन से जुड़ी है पीएनबी के बनने की कहानी
11,360 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद चर्चा में बने हुए पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) के शेयर्स में लगातार तीसरे दिन भी गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं इससे जुड़ी ख़बरों के ग्राफ में खासी वृद्धि हो गई है.
जानकार कहते हैं कि इस घोटाले से बैंक पर पड़ने वाले असर का आकलन कर पाना अभी कठिन है और अभी 'वेट ऐंड वॉच' की पॉलिसी अपनानी पड़ेगी.
11,360 करोड़ रुपये के घोटाले के बाद चर्चा में बने हुए पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) के शेयर्स में लगातार तीसरे दिन भी गिरावट देखने को मिल रही है, वहीं इससे जुड़ी ख़बरों के ग्राफ में खासी वृद्धि हो गई है.
जानकार कहते हैं कि इस घोटाले से बैंक पर पड़ने वाले असर का आकलन कर पाना अभी कठिन है और अभी 'वेट ऐंड वॉच' की पॉलिसी अपनानी पड़ेगी.
वहीं जहां एक ओर यह फर्ज़ीवाड़ा जितना सनसनीखेज है, वहीं 123 साल पुराने इस बैंक की स्थापना से जुड़ी कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है.
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आज लगभग 7 हज़ार ब्रांच, करीब 10 हज़ार एटीएम और 70 हज़ार से अधिक कर्मचारियों के साथ अपनी सेवाएं दे रहा पंजाब नैशनल बैंक 19 मई 1894 को केवल 14 शेयरधारकों और 7 निदेशकों के साथ शुरू किया गया था.
लेकिन जिस एक शख्स ने इस बैंक की नींव रखने में अहम भूमिका निभाई थी, वो हैं भारत के प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी लाल-बाल-पाल की तिकड़ी के लाला लाजपत राय.
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लाजपत राय का आइडिया
लाला लाजपत राय इस तथ्य से काफी चिंतित थे कि ब्रिटिश बैंकों और कंपनियों को चलाने के लिए भारतीय पैसे का इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन इसका मुनाफा अंग्रेज़ उठा रहे थे जबकि भारतीयों को महज कुछ ब्याज मिला करता था.
उन्होंने आर्य समाज के राय बहादुर मूल राज के साथ एक लेख में अपनी इस भावना का इजहार किया. खुद मूल राज भी लंबे समय से यह विचार रखते थे कि भारतीयों का अपना राष्ट्रीय बैंक होना चाहिए.
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कैसे हुई बैंक की स्थापना?
राय मूल राज के अनुरोध पर लाला लाजपत राय ने चुनिंदा दोस्तों को एक चिट्ठी भेजी जो स्वदेशी भारतीय ज्वाइंट स्टॉक बैंक की स्थापना में पहला कदम था. इस पर संतोषजनक प्रतिक्रिया मिली.
फौरन ही क़ागजी कार्रवाई शुरू की गई और इंडियन कंपनी एक्ट 1882 के अधिनियम 6 के तहत 19 मई 1894 को पीएनबी की स्थापना हो गई. बैंक का प्रॉस्पेक्टस ट्रिब्यून के साथ ही उर्दू के अख़बार-ए-आम और पैसा अख़बार में प्रकाशित किया गया.
23 मई को संस्थापकों ने पीएनबी के पहले अध्यक्ष सरदार दयाल सिंह मजीठिया के लाहौर स्थित निवास पर बैठक की और इस योजना के साथ आगे बढ़ने का संकल्प लिया. उन्होंने लाहौर के अनारकली बाज़ार में पोस्ट ऑफिस के सामने और प्रसिद्ध रामा ब्रदर्स स्टोर्स के पास एक घर किराए पर लेने का फ़ैसला किया.
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लाहौर से हुई शुरुआत
12 अप्रैल 1895 को पंजाब के त्योहार बैसाखी से ठीक एक दिन पहले बैंक को कारोबार के लिए खोल दिया गया. पहली बैठक में ही बैंक के मूल तत्वों को स्पष्ट कर दिया गया था. 14 शेयरधारकों और 7 निदेशकों ने बैंक के शेयरों का बहुत कम हिस्सा लिया.
लाला लाजपत राय, दयाल सिंह मजीठिया, लाला हरकिशन लाल, लाला लालचंद, काली प्रोसन्ना, प्रभु दयाल और लाला ढोलना दास बैंक के शुरुआती दिनों में इसके मैनेजमेंट के साथ सक्रिय तौर पर जुड़े हुए थे.
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क्या है पीएनबी का भविष्य?
पीएनबी का घोटाला बैंक के मार्केट कैपिटलाइजेशन (एमकैप) के 31 फ़ीसदी के बराबर है. लिहाजा घोटाले की ख़बर के सामने आने के साथ ही इसके शेयर्स की कीमतों में पहले दिन 10 फ़ीसदी और दूसरे दिन 12.89 फ़ीसदी की गिरावट हुई.
एक वेल्थ मैनेजर के मुताबिक, "पीएनबी का भविष्य इसकी बुनियाद पर निर्भर करता है. अगर इसकी बुनियाद इतनी मजबूत है कि मैनेजमेंट वापसी कराने में सक्षम रहा (या एक मजबूत नेतृत्व कार्यभार संभालता है), तब इसमें किए गए निवेश को बरकरार रखना चाहिए. अभी इस नुकसान का समूचा आकलन करना बचा है लेकिन इससे बैंक का एनपीए का आकार बहुत बड़ा आकार हो जाएगा जिससे उबरने में उसे खासी कठिनाई होगी."