तो अरविंद , गालियां देना पैगाम तुम्हारा?
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) शनिवार को आम आदमी पार्टी बंटे या ना बंटे, पर कभी अरविंद केजरीवाल को चाहने वाले उनसे नाराज हैं। जो शख्स अपने शपथ ग्रहण से लेकर सभा समारोहों तक में इनसान के इनसान से भाईचारे के पैगाम का गाना गाता फिरता हो ,उसके लिए अपने ही चंद असहमत साथियों से भाईचारा बनाये रखना इतनी जल्दी असंभव सा हो गया?
गांधीवाद हवा हो गया
खबरिया चैनल आज तक से जुड़े रहे अमिताभ श्रीवास्तव ने ठीक सवाल उठाया कि फिर ये उम्मीद कैसे की जाय कि वह किसी अनजान आम आदमी से भाईचारा कायम करेगा? सारा गांधीवाद हवा हो गया? तमाचे मारने वालों को भी माफ कर देने की मसीहाई अदा वाला अरविंद खुद मन ही मन अपने साथियों के लिए गालियां पाले बैठा रहता है? क्या यही असली चेहरा है आम आदमी के नाम पर पार्टी बनाकर बड़े बदलाव का सपना दिखाकर वही दांवपेंच वाली कुर्सी की राजनीति करने वालों का?
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डेमोक्रेटिक लोग नहीं
वरिष्ठ लेखक अरुण कुमार कहते हैं कि योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण की असहमतियों पर केजरीवाल और उनके चंपुओं का व्यवहार बेहद निंदनीय रहा है। ये कतई डेमोक्रेटिक लोग नहीं हैं।
इल्मी से बिन्नी तक
इसमें कोई शक नहीं कि केजरीवाल के इसी तरह के आचरण के कारण उनसे पूर्व शाजिया इल्मी, विनोद बिन्नी और दूसरे तमाम लोग दूर हो गए। वे तो बिल्कुल तानाशाह वाला व्यवहार करते हैं अपने साथियों के साथ भी।