मांझी-पनीरसेल्वम से उत्तर-दक्षिण की सियासत के फर्क को समझिए
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) तमिलनाडू में पनीरसेल्वम और बिहार में जीतन राम मांझी से उत्तर-दक्षिण भारत की राजनीति के फर्क को समझना चाहिए। एक ने अपने नेता जयललिता के लिए मुख्यमंत्री पद को संभालने के बावजूद मुख्यमंत्री पद को उस तरह से नहीं लिया। वे अपने वित मंत्रालय के दफ्तर से काम करते रहे।
पद के लायक
उधर, बिहार में जीतेन राम मांझी को नीतीश कुमार ने बिहार का मुख्यमंत्री बनाया तो उन्हें लगा कि वे तो सच में इस पद के लायक हैं। वे बहुत बड़े जननेता हैं। उन्हे नीतीश कुमार ने पद छोड़ने के लिए कहा तो उन्होंने बगावत ही कर दी ।
पनीरसेल्वम सीएम बने
आपको याद होगा कि जब मुख्यमन्त्री जयललिता को दोषी मान कर अदालत ने सजा सुनाई थी तो उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था। उनके स्थान पर उस सरकार के तत्कालीन वित्त मन्त्री पनीरसेल्वम को मुख्यमन्त्री बनाया गया था। पनीरसेल्वम शुक्रवार तक ही मुख्यमन्त्री हैं क्योंकि शनिवार को जयललिता फिर मुख्यमन्त्री बन जाएंगी।
गजब का उदाहरण
अपने पूरे कार्यकाल में पनेरसिल्वम मुख्यमन्त्री की कुर्सी तो छोड़िए उस कार्यालय में ही नहीँ बैठे और अपने वित्त मंत्री के कार्यालय से ही अपने मुख्यमन्त्री (या जयललिता ) के कर्तव्यों का निर्वहन करते रहे ।अपने आफिस जाते समय पहले मुख्यमन्त्री कार्यालय मे जाते और मुख्यमन्त्री की कुर्सी को लेटकर नमन करके अपने कार्यालय के लिए आगे बढ़ जाते।
अन्याय हुआ कहा
उधर मांझी को जब कुर्सी छोड़ने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहना शुरू कर दिया कि उनके साथ अन्याय हुआ। ये ही उत्तर और दक्षिण भारत की सियासत का फर्क।