कैसे खतरनाक खेल खेल रहा था ‘संत’ रामपाल
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) हालांकि कथित संत रामपाल का देश के सामने चेहरा पहली बार आया है, पर पंजाब की एक कोर्ट ने रामपाल को भगोड़ा घोषित किया हुआ है। रामपाल और उसके 8 अनुयायियों पर आरोप था कि वे ‘ज्ञान गंगा' और ‘धरती ऊपर अवतार' नाम से कुछ ऐसी किताबों का वितरण कर रहे थे, जिनमें सिख और अन्य धर्मों के गुरुओं के खिलाफ टिप्पणियां की गयीं थीं।
भड़काता था भावनाएं
जानकार मानते हैं कि वे विभिन्न धर्मों के मानने वालों के बीच में वैमनस्य पैदा कर रहा था। यह बात दीगर है कि उसकी हरकतों के कारण कहीं कोई दंगे नहीं हुए। रामपाल के खिलाफ 5 जनवरी 2013 को समराला पुलिस थाने में एक मामला दर्ज किया गया था।
राम पाल की इस हरकत के बाद समराला के कुछ खास नागरिकों जैसे एसजीपीसी सदस्य सरबंस सिंह मानकी, पूर्व विधायक जगजीवन सिंह खिरनियां आदि थे, ने रामपाल के खिलाफ केस दर्ज करवाया था।
इस मामले में जहां मंडी गोबिंदगढ़ के धर्मपाल, बादली के रजिंदर दास, नरवाना के कुलदीप दास, संगरूर के मनजीत सिंह, नयी दिल्ली के विकास दास, झांसा के लविश दास और धूरी के रजिंदर कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था, वहीं रामपाल को न तो पुलिस गिरफ्तार कर पायी और न ही वह कोर्ट में पेश हुआ।
समराला की कोर्ट ने रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किये थे। वारंट के बावजूद वह कोर्ट में पेश नहीं हुआ और 1 जून 2014 को कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया।
4 महिलाओं के शव
इस बीच, हरिय़ाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) श्रीनिवास वशिष्ठ ने कहा कि आश्रम की ओर से 4 महिलाओं के शव पुलिस को दिए गए हैं। इसके अलावा एक महिला और बच्चे की प्राकृतिक मौत हुई है।
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि महिला एवं बच्चे की मौत पुलिस की गोली से हुई है। वशिष्ठ ने कहा कि इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी पुलिस ने अब तक गोली नहीं चलाई।
जहां 8 बजे उसकी मौत हो गई। रजनी को हार्ट वाल्व की समस्या थी। वहीं मध्य प्रदेश के विपिन प्रताप सिंह के डेढ़ साल के बेटे धैर्य को मृत अवस्था में आश्रम से बाहर लाया गया था।