अर्जुन टैंक ने दागे बारूद के गोले, दहल उठा चांदीपुर!
भुवनेश्वर। 6 जनवरी, 2016 की सुबह अचानक चांदीपुर में धमाके सुनायी दिये। देखा कि भारतीय सेना का सबसे शक्तिशाली टैंक अर्जुन गोले-बारूद बरसा रहा है। धमाके इतने तेज थे, कि आस-पास के इलाके दहल उठे और आसमान से पक्षी तो मानो गायब ही हो गये।
यह सब एक परीक्षण के तहत किया गया। असल में डीआरडीओ और भारतीय सेना ने अर्जुन टैंक के लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए नए टैंक गोला-बारुद, पेनेट्रेशन कम ब्लास्ट (पीसीबी) और थर्मोबेरिक (टीबी) का सफल परीक्षण किया।
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यह परीक्षण अति प्रभावशाली रहा। लक्षित टैंक को नष्ट करने के लिए चलाया गया गोला-बारुद काफी विध्वंसक था, जिससे टैंक का बुर्ज, बैरल, पटरियां, गोला-बारुद बिन, विभिन्न स्थान, एंटीना आदि को काफी क्षति पहुंची। यह गोला-बारुद पूणे के डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं, आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (एआरडीई) तथा उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) द्वारा विकसित किया गया। टीबी गोला-बारुद के लिए व्यापक शोध करने के बाद एचईएमआरएल ने एक नवीन रसायनिक संघटक विकसित किया गया।
यह टैंक 59.5 टन का है और 10.6 मीटर लंबा है। इसे चलाने के लिये चार लोगों की जरूरत होती है। एक ड्राइवर जो दुश्मन को खदेड़ने के लिये टैंक को सही दिशा में लेकर जाता है। लोडर, जो गोला-बारूद भरता है। गनर जो गोला-बारूद को दागने का काम करता है और एक कमांडर जिसके इशारे पर दुश्मन को नेस्त्नाबूत करने का काम किया जाता है।
स्लाइडर में अर्जुन की तस्वीरें और उससे जुड़ी कुछ खास बातें-
1974 में पहली डिजाइन
इस तोप की पहली डिजाइन 1974 में बनायी गई थी। तब से अब तक डीआरडीओ इसमें नई तकनीकियां जोड़ता आ रहा है।
सटीक निशाना लगाने वाली तोप
विकसित करने के दौरान इन गोला-बारुदों का बड़े पैमाने पर विभिन्न नकली ठिकानों अर्थात कवच प्लेटों, ठोस संरचनाओं और किलेबंदी पर इनके असर का मूल्यांकन किया गया था।
डीआरडीओ ने किया परीक्षण
यह परीक्षण डीआरडीओ की टीम ने भारतीय सेना के जवानों के साथ संयुक्त रूप से किया।
नई तकनीक से लैस है अर्जुन
इसका उद्देश्य विभिन्न स्थानों और उन्नत इमेजिंग प्रणाली पर झटकें, विस्फोट का दवाब तथा तापमान मापने के उपकरण से लैस टैंक पर गोला-बारुद के प्रभाव को प्रदर्शित करना था।
अद्वितीय परीक्षण
यह परीक्षण अद्वितीय था क्योंकि भारत में पहली बार इस तरह का मूल्यांकन किया गया और इससे अर्जुन टैंकों की मारक क्षमता बढ़ेगी।
अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण
तकनीकी परीक्षण के दौरान एचईएमआरएल एंड पीएक्सई और डीक्यूआरएस के निदेशक, सैन्य प्रतिनिधि तथा डीआरडीओ के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।