कश्मीर हिंसा: बुरहान वानी के पिता ने कहा- कोई बेटा मां-बाप की मर्जी से बंदूक नहीं उठाता
नई दिल्ली। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद कश्मीर हिंसा की आग में जल रहा है। घर जलाए जा रहे हैं, लोग मारे जा रहे हैं, घायल हो रहे हैं। सुरक्षाकर्मी शहीद हो रहे हैं। कश्मीर घाटी में जिस आतंकी की मौत पर इतना बवाल मचा है उसके पिता ने एक बड़ा बयान दिया है।
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बुरहान वानी के पिता मुजफ्फर वानी ने कहा कि अगर हिंदुस्तान बंदूक के बिना बातचीत के लिए मान जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। उन्होंने कहा, 'घाटी में बच्चों को मैं नहीं रोक पाऊंगा। जब मैं अपने बेटे को नहीं रोक सका तो दूसरे के बच्चों को कैसे रोक पाऊंगा। बेटा अगर बंदूक उठाता है और इस राह पर चलता है तो यह उसकी मर्जी है। वह कहीं से प्रेरित होता है। कोई मां-बाप अपने बेटे के हाथ में बंदूक नहीं थमाते हैं। अगर हिंदुस्तान बंदूक के बिना बातचीत पर राजी हो जाता है तो शांति बहाली हो सकती है।'
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'पुलिस
को
थाने
में
बैठा
दो,
नहीं
होगी
हिंसा'
मुजफ्फर
वानी
ने
कहा
कि
फिलहाल
बंदूक
के
बिना
बातचीत
का
दौर
चल
रहा
है।
सरकार
को
पहल
करनी
चाहिए।
उन्होंने
कहा,
'लोग
शांति
पूर्वक
जुलूस
निकालते
हैं,
कोई
घटना
नहीं
होती
है,
लेकिन
पुलिस
उन्हें
उकसाती
है।
पुलिस
को
थाने
में
बैठा
दिया
जाए
तो
किसी
तरह
की
हिंसा
नहीं
होगी,
कहीं
घर
नहीं
जलेंगे।'
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वानी
ने
बताया
कैसे
सुलझ
सकता
है
कश्मीर
मुद्दा
इंसानियत,
कश्मीरियत
और
जम्हूरियत
के
मुद्दे
पर
बातचीत
को
लेकर
उन्होंने
कहा
कि
अमन
को
लेकर
बातचीत
नहीं
हो
सकती
है।
बातचीत
हो
तो
कश्मीरियों
के
हक
के
लिए
बातचीत
हो,
जो
1947
से
उनका
हक
बनता
है
तो
उस
पर
बात
हो।
वानी
ने
कहा,
'एक
महीने,
दो
महीने
या
एक
साल
के
लिए
कश्मीर
में
अमन
लाना
अच्छी
बात
नहीं
है।
अगर
ये
चाहते
हैं
कि
हिंदुस्तान-पाकिस्तान
में
अमन
लाना
है
तो
दोनों
मुल्कों
को
मिलकर
बातचीत
करनी
चाहिए।
कश्मीर
मुद्दे
को
सुलझाएं
और
ऐसा
फैसला
लें
जो
कश्मीरियों
को
भी
मंजूर
है।'
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'हमें
चाहिए
फुल-एंड-फाइनल
समाधान'
क्या
कश्मीरी
पाकिस्तान
के
साथ
जाना
चाहते
हैं
या
अलग
देश
बनाना
चाहते
हैं?
इस
सवाल
को
मुजफ्फर
वानी
टाल
गए।
उन्होंने
कहा
कि
इस
पर
बाद
में
सोचा
जाएगा।
उन्होंने
कहा,
'इस
पर
कोई
राय
देना
ठीक
नहीं
है,
यह
जनता
से
पूछा
जाए।
मैं
चाहता
हूं
कि
कश्मीर
मसले
का
वन
टाइम
सॉल्यूशन
निकाला
जाए,
जो
फुल
एंड
फाइनल
हो।'
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अलगाववादियों
से
बातचीत
को
लेकर
भी
उठाए
सवाल
केंद्र
सरकार
की
ओर
से
अलगाववादियों
से
बातचीत
की
पहल
पर
मुजफ्फरवानी
ने
कहा
कि
सरकार
का
बातचीत
का
तरीका
सही
नहीं
है।
अगर
सरकार
चाहती
है
बातचीत
करना
तो
पहले
गृहमंत्रालय
से
बाकायदा
उन्हें
आमंत्रण
भेजा
जाना
चाहिए।
जो
जेल
में
बंद
हैं
या
घरों
में
नजरबंद
हैं,
उन्हें
रिहा
किया
जाना
चाहिए
था।
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'पहले
अलगाववादियों
को
रिहा
करते
तभी
बातचीत
संभव'
वानी
ने
कहा,
'जिस
तरह
सरकार
ने
कश्मीर
में
डेलीगेशन
भेजने
से
पहले
सर्वदलीय
बैठक
बुलाई,
उसी
तरह
पहले
कश्मीरी
नेताओं
को
रिहा
करना
चाहिए
था।
चाहे
वह
गिलानी
हों,
या
फिर
यासीन
मलिक।
सभी
दलों
के
नेता
यहां
आपस
में
मीटिंग
करते,
सिविल
सोसायटी
से
बात
करते,
आपसी
बातचीत
से
मुद्दे
तय
करते
फिर
सर्वदलीय
प्रतिनिधि
मंडल
से
मुलाकात
करते।
बातचीत
से
तीन
दिन
पहले
उन्हें
रिहा
किया
जाना
चाहिए
था
और
बातचीत
के
लिए
टेबल
पर
बुलाना
था।
24
घंटे
पहले
जेलों
और
घरों
में
बंद
रहने
वाले
लोग
क्या
बातचीत
करेंगे।'
'कश्मीरियों
में
पीडीपी
के
खिलाफ
गुस्सा'
जम्मू-कश्मीर
में
बीजेपी-पीडीपी
गठबंधन
की
सरकार
को
लेकर
उन्होंने
कहा
कि
राज्य
की
जनता
इस
गठबंधन
के
खिलाफ
है।
इससे
नाराज
है।
वानी
ने
कहा,
'जो
पार्टी
पहले
बीजेपी
और
आरएसएस
के
खिलाफ
बोलती
थी,
अब
उसी
के
साथ
है,
यह
लोगों
को
मंजूर
नहीं
है.
लोगों
में
इसको
लेकर
गुस्सा
है।'
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'हम
शांति
नहीं
चाहते,
समाधान
मिले'
मुजफ्फर
वानी
ने
कहा
कि
कश्मीर
की
जनता
शांति
नहीं
चाहती।
वह
इस
मसले
का
समाधान
चाहता
है।
उन्होंने
कहा,
'मैं
शांति
की
अपील
करने
वाला
कोई
नहीं
हूं।
शांति
बहाली
तो
कुछ
दिनों
के
लिए
हो
सकती
है,
हम
स्थायी
समाधान
चाहते
हैं
जो
कश्मीरियों
के
मन
के
मुताबिक
हो।'