एक दर्दनाक कहानी... मक्खन लगाकर तंदूर में जलाए गये नैना के टुकड़े
18 साल पहले जो घटना हुई थी देश उसपर यकीन नहीं कर पा रहा था। तो आईए उस घटना की तस्वीर पर लगे धुंध को साफ करते हुए आपको उस पूरे कांड के बारे में बताते हैं। सुशील शर्मा और नैना साहनी दोनों ही युवा कांग्रेस से जुड़े हुए थे। उस वक्त नैना का अफेयर मतलूब नामक युवक से था पर घर वालों के विरोध के चलते वो उनकी शादी नहीं पाई। कुछ समय बाद नैना की नजदीकी सुशील शर्मा से हुई और दोनों ने लव मैरिज कर लिया। शादी के बाद भी सुशील शर्मा को यह शक था कि उसकी पत्नी नैना साहनी का किसी और से प्रेम प्रसंग चल रहा है।
सुशील ने नैना की जासूसी भी करवाई थी। एक दिन जब वो घर लौटा तो उसने देखा कि नैना टेलीफोन पर किसी से बात कर रही है। नैना ने जैसे ही फोन रखा सुशील ने री-डायल कर दिया। दूसरी तरफ फोन पर मतलूब था। सुशील गुस्से में आग बबूला हो गया और उसने नैना पर गोली चला दी। गोली लगते ही नैना की मौत हो गई। इसके बाद सुशील ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर नैना के शव को ठिकाने लगाने का प्लान बनाया। इन दोनों ने नैना को शव को नई दिल्ली स्थित अशोक यात्री निवास ले गए।
वहां रात के डेढ़ बजे इन्होंने वहां के तंदूर में नैना के शव को काट-काट कर जलाने की कोशिश की। आप सुनकर हैरान हो जायेंगे कि जब मांस का टुकड़ा जल्दी नहीं जल रहा था तो उसने इसके लिए मक्खन का इस्तेमाल किया। तंदूर से निकलने वाले धुएं और बू ने करीब में काम करने वाली एक महिला का ध्यान खींचा, जिसने पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने केशव को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन शर्मा भागने में कामयाब रहा।
सुशील ने 10 जुलाई, 1995 को सरेंडर कर दिया। एम्स के प्रोफेसर टीडी डोगरा की अगुवाई में बोर्ड ने दूसरा पोस्टमार्टम किया। इस बार सिर और गर्दन के हिस्से से दो गोलियां निकली, जो पहले पोस्टमार्टम में नहीं मिली थी। रिपोर्ट से यह साफ हुआ कि नैना की मौत गोली लगने से हुई थी। सुशील को 7 नवंबर, 2003 को सजा ए मौत सुनाई गई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।