17 दिनों से जंतर-मंतर पर नरमुंड के साथ प्रदर्शन कर रहे हैं तमिलनाडु के किसान, जानें पूरा मामला
तमिलनाडु के किसान संकट काल से गुजर रहे हैं। 140 साल बाद पड़े भयंकर सूखे ने उनकी कमर तोड़ दी है। अपनी मांग सरकार तक पहुंचाने के लिए वो आ गए हैं जंतर मंतर। जानें क्या है पूरा मामला।
नई दिल्ली। एक ओर तमिलनाडु में राज्य सरकार अपनी दलीय लड़ाई निपटाने के लिए आतुर है, दूसरी ओर वहां के किसान सूखे और भारी कर्ज की दोहरी मार झेल रहे हैं। ऐसे में किसानों ने अपनी मांग सरकार तक पहुंचाने के लिए दिल्ली का रास्ता चुना और वो फिलहाल जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। बीते 17 दिनों से जारी किसानों के प्रदर्शन में महिलाएं, बूढ़े, जवान सभी शामिल है। इतना ही नहीं इन्होंने अपने साथ नरमुंड भी ले रखा है।
किसानों ने किया अंतिम संस्कार
इनका कहना है कि ये नरमुंड उन लोगों के किसानों के हैं, जिन्होंने सूखे और कर्ज के चलते आत्महत्या कर ली। इन किसानों की सरकार ने भले ना सुनी हो लेकिन प्रसिद्ध अभिनेता प्रकाश राज और विशाल उनके बीच तो गए ही साथ ही केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर इन किसानों की मांग उच्च स्तर तक पहुंचाई। इन किसानों ने रविवार को बतौर प्रदर्शन किसान का अंतिम संस्कार किया। इस दौरान वहां मरूमलारछी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) के प्रमुख वाइको मौजूद थे। उन्होंने किसानों से बात की। आइए आपको बताते हैं कि इन किसानों की ओर से ऐसा प्रदर्शन करने की और क्या वजहे हैं।
राज्य के सभी 32 जिले सूखा ग्रस्त घोषित
बता दें कि तमिलनाडु में ई पलानीसामी की सरकार ने 2 हजार 247 करोड़ रुपए का सूखा राहत पैकेज देने की बात कही हालांकि किसान इसे कम मान रहे हैं। दरअसल, तमिलाडु के किसान इसलिए बदहाल हैं क्योंकि उत्तर पूर्वी मानसून में बारिश की कमी है। यहां बीते साल अक्टूबर से दिसंबर तक हुई बारिश में 140 मिलीमीट की कमी रिकॉर्ड दर्ज की गई है। आंकड़ों की मानें तो यहां इतनी कम बारिश इससे पहले साल 1876 में हुई थी। इतना ही नहीं राज्य के सभी 32 जिलों को सूखा ग्रस्त घोषित कर दिया है।
5 साल में 2 हजार से ज्यादा किसानों ने की आत्महत्या
किसानों से जुड़ी एक संस्था के अनुसार साल 2016 से अब तक 250 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि सिर्फ कावेरी डेल्टा के 8,000 एकड़ की फसलें खराब मानसून के चलते चौपट हो गई हैं। बता दें कि साल 2015 में यहां 600 से अधिक किसानों ने मौत को गले लगाया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक साल 2011 से 2015 तक तमिलनाडु में 2,728 किसानों ने आत्महत्या की।
प्रदर्शन के दौरान 2 किसानों ने की आत्महत्या की कोशिश
इतना ही नहीं इस प्रदर्शन के दौरान दो किसानों ने आत्महत्या करने की कोशिश की। रमेश के नाम के किसानों ने कहा कि हम लोग यहां 17 दिन से यहां धरने पर बैठे हैं लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की और पूरे राज्य को सिर्फ 2,000 करोड़ रुपए ही दिए। मंत्री यहां आते हैं, हमें आश्वासन देते हैं कि वो कुछ करेंगे। रमेश के मुताबिक जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती वो दिल्ली से नहीं जाएंगे।
खुद को मारने के सिवा कोई और रास्ता नहीं
प्रदर्शन में ही तमिलनाडु से दिल्ली आए 19 वर्षीय अखिलान ने कहा कि बैंक हमें पढ़ाई के लिए लोन नहीं दे रहे हैं। मेरी पढ़ाई लिखाई ठप पड़ गई है। हम क्या करें? मेरे परिजन किसान है, हमारे पास खुद को खत्म कर लेने के सिवा कोई और रास्ता नहीं है। बता दें कि रमेश के साथ अखिलान ने भी आत्महत्या करने की कोशिश की थी। किसानों की मांग है कि सरकार 40,000 करोड़ रुपए का सूखा राहत को दे, किसानों के ऋण माफ किए जाएं, कावेरी मैनेजमेंट बोर्ड का गठन करने के लिए साथ ही अन्य नदियों का एकीकरण किया जाए।
देश भर से आएंगे किसान
इन किसानों ने आज 27 मार्च को बड़े स्तर पर धरना प्रदर्शन करने का मन बनाया है। योजना है कि देश के अन्य राज्यों से किसान आकर इनके साथ प्रदर्शन करेंगे। साल 1980 में दिल्ली में किसानों के बड़ी रैली करने वाला भारतीय किसान मंच भी इस प्रदर्शन में शामिल होगा।
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