तेजी से फैल रहा स्वाइन फ्लू, गर्भवती महिलाओं को ज्यादा खतरा
नई दिल्ली। संक्रमण के लिहाज से गर्भवती महिलाओं को सबसे आसान शिकार माना जाता है। जिस स्वाइन फ्लू से दुनिया में खौफ कायम है, उसका आसान शिकार ज्यादातर वे महिलाएं हुई हैं, जिनका गर्भपात हुआ है या जो गर्भवती हुई हैं।
गर्भधारण के समय महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाती है और जिसके कारण वो इससे कहीं ज्यादा मात्रा में प्रभावित होती हैं। गर्भधारण के समय ये फ्लू तेजी से फैलता है और शरीर कमजोर तथा संक्रमित बना देता है जिससे निमोनिया या भ्रूण संकट जैसी भयानक स्थिति पैदा हो सकती है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
गर्भपात के दौरान गर्भाशय का आकर बढ़ने लगता है महिलाओं में वैसे ही इस बढ़ते हुए आकार के कारण डायाफ्राम और जिस जगह फेफड़े होते हैं वहां दबाव पड़ने लगता है, जिसकी वजह से फेफड़ों में हवा की आवाजाही में कमी हो जाती है। इस प्रकार उनका शरीर किसी भी संक्रमण से प्रभावित हो सकता है।
ऑब्स्टेट्रिशन एवं गयनेकोलॉजिस्ट एनेचर क्लिनिक की डॉ. अर्चना धवन बजाज ने बताया कि जिन महिलाओं में बाहरी संक्रमण पाया जाता है उन्हें बुखार, शरीर में दर्द, बहती नाक, गले में खराश, सर्दी और शरीर के तापमान में लगातार बदलाव महसूस हो सकता है। उन्हें दस्त तथा उल्टिया भी हो सकती है। अगर इन सब लक्षणों में से कोई लक्षण पाया जाता है तो तुरंत किसी चिकित्सक से सलाह लें और जितनी जल्दी हो सके इसका उपचार करवाएं।
अगर आप मिले हैं किसी पीड़ित से
अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति से मिले हों जो फ्लू से पीड़ित हो, तो बिना अपना समय गवाएं अपने चिकित्सक के पास जाकर जांच करवाएं कि आप कितने हद्द तक इस संक्रमण से प्रभावित हैं।
लोगों से मिलना जुलना बंद कर दें
अगर आपको फ्लू के लक्षण अपने अंदर महसूस होते हैं तो अपने घर पर ही रहें और जितना हो सके लोगों से मिलने जुलने पर रोक लगाएं। बिना समय को गंवाए या दर्द कम करने की अनावश्यक दवा खाना या दवा की दुकान का चक्कर काटने की जगह स्वास्थ्य विशेषज्ञ से जांच कराएं और सलाह लें।
अगर फ्लू के लक्षण दिखाई दें
अगर गर्भवती महिलाओं में फ्लू के लक्षण लक्षण पाए जाते हैं तो उनका उपचार एंटी वायरल से किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसी दवा 24 घंटों के भीतर काम करना शुरू कर देता है।
शुरुआत में इलाज संभव है
फ्लू के लक्षण शुरुआती चरण में हों तभी यह इलाज कारगर रहता है। एंटी वायरल सबसे बेहतर तब काम करती है जब इनका सेवन 2 दिन के अंदर शुरू किया जाए।
बुखार आये तो डॉक्टर के पास जायें
किसी भी तरह के बुखार का इलाज करें खासकर अस्टीमिनोफेना नामक बुखार का।
तरल पदार्थों का सेवन करें
तरल पदार्थो का बड़ी मात्रा में सेवन करें। एंटी-वायरल दवाओं का कोई भी बाहरी नुकसान नहीं होता ना ही शरीर को कोई हानि पहुंचाता है, बच्चा और मां दोनों सुरक्षित रहते हैं।
हाथ साफ रखें
अपने हाथों को प्राय: साफ रखें। खाना खाने से पहले तथा शौच जाने क उपरांत हाथों को धोते समय सही तरीके का इस्तमाल करें। साफ पानी से कम से कम 15 सेकंड तक हाथों को ठीक ढंग से मल-मल कर साफ करें। साबुन और पानी के नहीं होने पर सैनिटिजेर्स जेल का इस्तेमाल करें।
छींकते समय हाथों से मुंह को दूर रखें
खांसते तथा छींकते समय अपने खली हाथों को मुंह से दूर रखें। उसके कारण पूरे शरीर में कीटाणु फैल जाते हैं तथा आसानी से लोगों में भी फैलते हुए नजर आते हैं। ऐसे में टिश्यू का इस्तमाल करना लाभकारी होगा। अगर फिर भी टिश्यू का इस्तमाल नहीं किया गया तो तुरंत खांसी के बाद हाथों को सही तरीके से साफ करें।
आंखें, नाक, मुंह न छुएं
अपनी आंखें, नाक तथा मुंह को न छुएं क्योंकि आपके हाथों होने वाले कीटाणु प्रभावित कर सकते हैं। कपड़े का भी ध्यान रखें। अगर आपके घर में कोई बीमार है तो उनसे कम से कम 6 फीट की दूरी बनाए रखें।