देशविरोधी एनजीओ के पीछे पड़ी मोदी सरकार, रातोंरात गायब हो गयी 510 संस्थायें
बेंगलुरू। केंद्र सरकार ने स्वयंसेवी संस्थाओं के खिलाफ अपने तेवर काफी सख्त कर लिये हैं। सरकार ने उन 9000 एनजीओ के लाइसेंस रद्द कर दिये हैं जिन्हें विदेशों से फंड प्राप्त होता था और वो अपनी सालाना रिपोर्ट सरकार को देने में असफल रहे।
2009
से
सरकार
को
नहीं
दिया
चंदे
का
ब्योरा
गृहमंत्रालय ने कहा कि 8975 संस्थाओं ने ना तो अपना 2009 से वार्षिक रिटर्न भरा है ना ही इसकी कोई वजह सरकार को बतायी है। वहीं सरकार ने संबंधित जिलाधिकारियों को भी निर्देश देते हुए कहा है कि इन संस्थाओं के फंड के बारे में जानकारी देने को भी कहा है।
510
संस्थायें
रातोंरात
हुई
गायब
वहीं केंद्र सरकार के लिए वो संस्थायें भी बड़ी चुनौती बन गयी हैं जो रातोरात गायब हो गयी हैं। सरकार के दस्तावेजों के अनुसार 510 ऐसे संस्थायें ऐसी हैं जो अब सरकार की पहुंच से बाहर हैं। इन संस्थाओं को कई बार नोटिस भी भेजा गया लेकिन हर बार नोटिस वापस आ जाती थी क्योंकि इन संस्थाओं के पते पर कोई उपलब्ध नहीं होता था।
देशविरोधी
गतिविधियों
में
लिप्त
संस्थायें
खुफिया विभाग का कहना है कि ऐसी कई संस्थायें हैं जो देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। यही नहीं कई ऐसी संस्थायें भी हैं जिन्होंने अपना पूरा कारोबार रातो रात खत्म कर दिया। ये संस्थायें रातोरात गायब हो गयी हैं, ये संस्थायें अपने काम करने के बाद संस्थाओं को बंद कर देती हैं। आईबी का कहना है कि कई ऐसी संस्थायें हैं जो जबरन धर्म परिवर्तन और आतंकी गतिविधियों में भी लिप्त हैं।
सेवा
के
नाम
पर
होता
था
एनजीओ
का
रजिस्ट्रेशन
खुफिया विभाग के अधिकारी का कहना है कि ये संस्थायें अपने मकसद को पूरा करने के लिए एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कराती हैं ताकि उन्हें कानूनी तौर पर डोनेशन लेने में कोई अड़चन नहीं आये। लेकिन जब ये संस्थायें अपने डोनेशन का ब्योरा देने में विफल होती हैं जोकि कानूनी जरूरी है तो ये अपनी संस्था को निष्क्रिय करके चले जाते हैं।
संसद
से
सरकार
और
उद्योग
घरानों
तक
है
इनकी
पैठ
इन
संस्थाओं
को
विदेशों
से
बड़ी
मात्रा
में
डोनेशन
प्राप्त
होता
है।
इन
एनजीओ
का
एक
रैकेट
है
जो
बहुत
ही
बड़े
स्तर
पर
चल
रहा
है।
इन
संस्थाओं
को
अन्य
देशों
की
सरकारें
भी
जासूसी
के
लिए
मदद
करती
हैं।
इन
संस्थाओं
के
पास
अथाह
पैसे
के
चलते
ये
कानूनी
लड़ाई
भी
अक्सर
जीत
जाते
हैं।
यही
नहीं
सरकार
से
लेकर
संसद
तक
अपनी
पैठ
पैसे
के
दम
पर
बना
चुके
हैं।