सर्जिकल स्ट्राइक के लिए इंडियन आर्मी ने किया अमावस की रात का इंतजार, प्लान की 13 बातें
इंडियन आर्मी ने दुनिया को बताया कैसे हुई थी 20 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक और कैसे 19 पैरा कमांडोज ने पीओके में तबाह किए थे आतंकियों के कैंप।
नई दिल्ली। 18 सितंबर को उरी आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की बातें होने लगी थीं। हर कोई चाहता था कि भारत की ओर से कोई ऐसा कदम उठाया जाए जो हाल के वर्षों में नहीं लिया गया था। इसके बाद 29 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक की खबरें आईं।
गणतंत्र दिवस पर मिला है बहादुरों को सम्मान
इंडियन आर्मी ने अब एस सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में जानना चाहता था। हाल ही में गणतंत्र दिवस के मौके पर इस स्ट्राइक में शामिल उन 19 पैरा कमांडोज को पुरस्कार दिए गए जिनकी वजह से यह हो सका था। इंडियन आर्मी के इन पैरा कमांडोज में ने क्या-क्या किया इस बारे में कोई भी जानकारी देने से भारत सरकार ने मना कर दिया था। इंडियन आर्मी ने अब इस अहम कॉम्बेट ऑपरेशन के बारे में हर डिटेल को लोगों के सामने लाकर रख दिया गया है। न सिर्फ सर्जिकल स्ट्राइक बल्कि आर्मी ने बताया है कि इस खास ऑपरेशन में शामिल मेजर रोहित सूरी और बाकी कमांडोज ने कैसे बहादुरी दिखाई इस बारे में भी बताया गया है। भले ही ऑपरेशन की प्लानिंग और इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए कई सैनिक शामिल थे लेकिन 19 पैरा-कमांडोज इस सर्जिकल स्ट्राइक का सबसे अहम हिस्सा थे। पढ़ें-15 वर्ष पहले हुई एक सीक्रेट सर्जिकल स्ट्राइक जिसके बारे में कोई नहीं जानता
उरी आतंकी हमले के बाद तैयारी शुरू
सेना ने इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने की तैयारियां 18 सितंबर को हुए आतंकी हमले के बाद से ही शुरू कर दी। उरी हमले के बाद से ही इसकी तैयारियां हो रही थीं कि पीओके में मौजूद आतंकी ढांचे को कैसे तबाह किया जाएगा। उरी आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हो गए थे।
अमावस्या की रात का इंतजार
सर्जिकल स्ट्राइक को कब अंजाम दिया जाएगा इसके लिए सही मौके का इंतजार हो रहा था और यह मौका का था अमावस्या की रात का। उस दिन चांद नहीं होता है और अंधेरा ही अंधेरा रहता है और यह काफी मददगार साबित हो सकता था। 28-29 सितंबर को आठ सदस्यों वाली स्ट्राइक टीम की लीड कर रहे मेजर रोहित सूरी को आतंकियों के ढांचे पर हमला बोलने का जिम्मा दिया गया।
मेजर रोहित सूरी ने की रेकी
मेजर सूरी ने रेकी को पूरा किया और फिर अपनी टीम को आदेश दिया कि वे आतंकियों को लॉन्चपैड में खुले में लाकर व्यस्त रखेंगे। इसके बाद मेजर सूरी और उनका सहायक टारगेट के 50 मीटर अंदर आए और उन्होंने दो आतंकवादियों का खात्मा किया।
मेजर सूरी को महसूस हुई आहट
जब खुले मैदान में आतंकवादियों को मार गिराया गया तभी मेजर सूरी का ध्यान पास के जंगल में दो आतंकवादियों के मूवमेंट पर गया। यूएवी के जरिए भी आतंकवादियों मूवमेंट को ट्रैक किया जा रहा था। मेजर सूरी ने अपनी सुरक्षा को नजरअंदाज किया और आतंकवादियों का पता लगाकर उन्हें करीबी लड़ाई में व्यस्त किया और आखिरी में मेजर सूरी ने उनका खत्मा कर डाला।
48 घंटे पहले क्रॉस हुई एलओसी
इंडियन आर्मी के एक और मेजर को 27 सितंबर को लॉन्चपैड्स पर करीब से नजर रखने का ऑर्डर दिया गया था। यह ऑफिसर अपने असॉल्ट ग्रुप के साथ सर्जिकल स्ट्राइक के 28 घंटे पहले एलओसी पारकर दूसरी तरफ गया और इसने टारगेट पर सर्जिकल स्ट्राइक होने तक करीब से नजर रखी थी।
पूरे इलाके की मैपिंग
इस ऑफिसर और उसकी टीम ने टारगेट जोन को मैपिंग की, ऑटोमैटिक हथियारों की लोकेशन का पता लगाश और उन अलग-अलग फायरिंग पोजिशन के बारे में भी जानकारी जिन्हें स्ट्राइक की टीम प्रयोग कर सकती थी। इस ऑफिसर ने एक वेपेन शेल्टर को बर्बाद किया और दो आतंकवादियों को मार गिराया।
जब मुश्किल में पड़ी जान
हमले के समय इस ऑफिसर की टीम पास के ही वेपन शेल्टर में पहुंची। अपनी टीम पर बढ़ते खतरे को भांपकर, यह ऑफिसर रेंगकर पास के शेल्टर में पहुंचा और एक और आतंकवादी को मार गिराया। इसके बाद गोलियां की आवाज बंद हो गई। इस ऑफिसर को भी गणतंत्र दिवस के मौके पर शौर्य चक्र से सम्मानि किया गया है।
एक और टीम की कामयाबी
मेजर रैंक के तीसरे ऑफिसर ने अपने सहायक के साथ मिलकर एक और आतंकी कैंप को तबाह किया और सभी आतंकवादियों को मार गिराया। इसके बाद इस ऑफिसर ने अपनी टीम के सभी सदस्यों को सुरक्षित तरीके से स्ट्राइक के लिए गाइड किया। इस मेजर को भी शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। इस मेजर ने अपने सभी सीनियर्स को इस सर्जिकल स्ट्राइके बारे में पल-पल की जानकारी दी।
चौथे मेजर और उसकी टीम की बहादुरी
सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल चौथे मेजर को सेना मेडल से सम्मानित किया गया है। इस मेजर ने अपने ग्रेनेड हमले से एक ऑटोमैटिक वेपन के अड्डे को तबाह किया। इसके अलावा क्लोज रेंज में मौजूद दो आंतकवादियों को भी मार गिराया। जो जानकारी इंडियन आर्मी की ओर से जारी की गई उसके मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक को पूरा करना इतना आसान नहीं था। स्ट्राइक टीम को आतंकवादियों की ओर से लगातार फायरिंग का सामना करना पड़ रहा था।
अपनी सुरक्षा को नजरअंदाज कर पूरा किया मिशन
सर्जिकल स्ट्राइक के पांचवें मेजर ने तीन आतंकवादियों को देखा। इन आतंकियों के पास आरपीजी यानी रॉकेट-प्रॉपेल्ड ग्रेनेड्स थे। ये आतंकी चौथे मेजर की टीम को निशाना बनाने को तैयार थे लेकिन आतंकी हमला करते इससे पहले ही पांचवें मेजर ने अपनी जान की परवाह न करते हुए भी आतंकियों को उलझाकर रखा और दो आतंकवादियों को मार गिराया। इस मेजर के सहायक ने तीसरे आतंकी को मारा।
हर किसी ने दिखाई बहादुरी
सिर्फ ऑफिसर्स ही नहीं इस सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल जेसीओ और पैराट्रूपर्स ने भी अद्भुत क्षमता और बहादुरी का प्रदर्शन किया था। एक नायब सूबेदार जिसे शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया, उसने आतंकवादियों पर ग्रेनेड से हमला किया, हथियारों के जखीरे को ध्वस्त किया और दो आतंकवादियों को मारा। जब इस नायब सूबेदार ने देखा कि आतंकवादी उसकी टीम पर हमला कर रहे हैं तो उन्होंने अपने सहायक को दूर किया और आतंकवादियों पर हमला बोलकर आतंकवादियों को मार गिराया।
पैराट्रूपर्स को आई हल्की चोट
इस सर्जिकल स्ट्राइक में कोई भी सैनिक शहीद नहीं हुआ लेकिन पैराट्रूपर्स को हल्की चोंटें जरूर आई थीं। ये पैराट्रूपर्स सर्विलांस का हिस्सा थे। 4 पैरा और 5 पैरा के कमांडोज को देश का दूसरा शांति पुरस्कार यानी कीर्ति चक्र दिया गया। पांच कमांडोज को शौर्य चक्र मिला तो 13 को सेना मेडल से पुरस्कृत किया गया है।
किसे मिला कौन सा पुरस्कार
4 पैरा के मेजर रोहित सूरी को कीर्ति चक्र, 4 पैरा के ही मेजर राज चंद्र, 9 पैरा के मेजर दीपक कुमार उपाध्याय, 4 पैरा के कैप्टन आशुतोष कुमार, 9 पैरा के पैराट्रूपर अब्दुल कांद नायब और चार पैरा के सूबेदार विजय कुमार को शौर्य चक्र दिया गया था। शौर्य चक्र तीसरा सबसे बड़ा पुरस्कार है। बाकी कमांडोज को सेना मेडल मिला है।9 पैरा के कमांडिंग ऑफिसर्स कर्नल कपिल यादव और 4 पैरा के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हरप्रीत संधू को युद्ध सेवा मेडल दिया गया।