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पूर्व सांसदों को मिलने वाली पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

जस्टिस जे. चेलमेश्वर और एस. अब्दुल नजीर की बेंच संसद के पूर्व सदस्यों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर नई गाइडलाइन जारी करने के पक्ष में दिखे। उन्होंने कहा कि एक तरह से ये सुविधाएं बेवजह दी जा रही हैं।

By Brajesh Mishra
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नई दिल्ली। पूर्व सांसदों को मिलने वाली पेंशन और भत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है कि क्यों न पूर्व सांसदों को मिलने वाली पेंशन और अन्य सुविधाएं खत्म कर दी जाएं, क्योंकि यह एक तरह से असंगत है।

पूर्व सांसदों को मिलने वाली पेंशन पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

'आर्थिक मदद देने में कोई बुराई नहीं'
जस्टिस जे. चेलमेश्वर और एस. अब्दुल नजीर की बेंच संसद के पूर्व सदस्यों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर नई गाइडलाइन जारी करने के पक्ष में दिखे। उन्होंने कहा कि एक तरह से ये सुविधाएं बेवजह दी जा रही हैं। इनका कोई तुक नहीं बनता। बेंच ने लोकसभा और राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल से इस बारे में जवाब मांगा है। हालांकि यह भी कहा कि पूर्व सदस्यों को आगे का जीवन चलाने के लिए थोड़ी आर्थिक मदद देने में कोई बुराई नहीं है। READ ALSO: अजमेर दरगाह ब्लास्ट: विशेष NIA कोर्ट ने देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल दोनों को दी उम्रकैद

'80 फीसदी सासंद हैं करोड़पति'
कोर्ट ने लोक प्रहरी नाम के एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि गैर जरूरी भत्ते और सुविधाएं जो पूर्व सांसदों को मिल रही हैं, उन्हें क्यों न बंद कर दिया जाए। क्योंकि यह पैसा टैक्स देने वाली जनता का है। एनजीओ की ओर से पेश हुई वकील कामिनी जयसवाल ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों को जो पेंशन दी जाती है वह उन कर्मचारियों का ही पैसा होता है जो एक निर्धारित फंड की किस्त के रूप में उनकी सैलरी से कटता है। उन्होंने कहा, '80 फीसदी सांसद करोड़पति हैं और उन्हें पेशन की जरूरत नहीं है।' READ ALSO: युवक ने लड़की के बैग में डाली मोबाइल नंबर की चिट, फोन आया तो उड़ गए होश

पहले नहीं था ये नियम
कामिनी जयसवाल ने कहा कि संविधान बनाते समय भी पूर्व सांसदों को पेंशन देने के मुद्दे पर चर्चा हुई थी लेकिन तब इसे खारिज कर दिया गया था। पहले नियम था कि जब कोई सांसद चार साल तक किसी सदन का सदस्य रहता है तभी पेंशन पाने का हकदार है लेकिन बाद में नियम बदल दिया गया और एक दिन भी संसद का सदस्य रहने पर उसे पेंशन मिलेगी।

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English summary
Supreme Court says allowances given to former MPs and MLAs is unreasonable.
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