सुप्रीम कोर्ट ने कहा- शारीरिक रूप से अक्षम नहीं उठा सकते OBC कोटे का लाभ
केंद्र सरकार ने दिल्ली और मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसमें OBC श्रेणी के शारीरिक रूप से अक्षम अभ्यर्थियों को 10 बार परीक्षा में बैठने की बात कही गई थी।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि शारीरिक रूप से अक्षम अभ्यर्थियों के लिए आरक्षण और उन्हें प्रदान की जाने वाली छूट सरकार की नीतियों का विषय है। इसमें न्यायालय दखल नहीं दे सकता। न्यायाधीश रंजना गोगोई और न्यायाधीश अशोक भूषण की पीठ ने मंगलवार (24 जनवरी) को एक मामले में कहा कि न्यायालय सिर्फ उसी स्थिति में दखल दे सकता है अगर सरकार की नीति पूर्णतया एकतरफा हो या फिर संविधान के अनुच्छेद 14 की आवश्यक जरूरतों को पूरा ना करता हो।
इस
दौरान
पीठ
ने
मद्रास
और
दिल्ली
हाईकोर्ट
के
उस
नजरिए
को
खारिज
किया
जिसमें
वर्ष
साल
2007
की
परीक्षा
से
सामान्य
श्रेणी
के
शारीरिक
रूप
से
अक्षम
अभ्यर्थी
के
परीक्षा
देने
के
प्रयासों
को
4
से
7
करना
और
ओबीसी
अभ्यर्थियों
की
संख्या
को
7
से
10
करना
पक्षपात
पूर्ण
और
एकतरफा
है।
पीठ
ने
कहा
कि
इस
संबंध
में
दखल
देना
न्यायालय
के
अधिकार
क्षेत्र
में
नहीं
है।
बता
दें
कि
पीठ
ने
यह
फैसला
दो
हाईकोर्ट्स
के
फैसलों
को
चुनौती
देने
वाली
केंद्र
सरकार
की
अपील
पर
आया
है
जिसमें
सिविल
सेवा
परीक्षा
के
लिए
ओबीसी
अभ्यर्थियों
को
परीक्षा
देने
के
प्रयासों
को
7
से
बढ़ाकर
10
किया
गया
था।
पीठ
ने
कहा
कि
शारीरिक
रूप
से
अक्षम
अभ्यर्थी
चाहे
वो
समान्य
श्रेणी
का
हो
अथवा
ओबीसी
श्रेणी,
उसे
सरकारी
नीति
2007
के
अनुसार
परीक्षा
देने
के
7
प्रयास
मिलेंगे।
पीठ
ने
कहा
कि
जब
दोनों
श्रेणियों
के
अभ्यर्थियों
को
परीक्षा
में
बैठने
के
लिए
7
प्रयास
उपलब्ध
कराए
जाएंगे
ऐसे
में
कोई
कोई
भेदभाव
या
मनमानापन
नहीं
पाया
जा
सकता
है।
न्यायालय
ने
कहा
कि
मौजूदा
मामला
गैरबराबर
लोगों
को
एक
बराबर
की
तरह
पेश
आने
का
नहीं
है।
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