आतंकियों-अंडरवर्ल्ड के दुश्मन को सलाम
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) दिल्ली के अंडर वर्ल्ड का सफाया करने वाले जांबाज पुलिस अफसर अशोक चंद्रा कल यानी मंगलवार को रिटायर हो गए। बड़े से बड़े गुंडे-बदमाश और आतंकवादी उनसे कांपते थे। संसद भवन में साल 2001 में हुए हमले के लिए जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद के अफजल गुरु को उन्होंने अपनी समझदारी के बल पर 72 घंटे में सलाखों के पीछे भिजवा दिया था।
धमाके का सरगना
वे उन दिनों दिल्ली के डिप्टी कमिश्नर (स्पेशल सेल) थे। कहते हैं कि उन्होंने अपने आला अफसरों को भरोसा दे दिया था कि वे दो-तीन दिन में पकड़ लेंगे धमाके के सरगना को। उन्होंने अपने वचन को निभाया भी।
धाकड़ अफसर
वे करीब 36 साल की दिल्ली पुलिस की सेवा से रिटायर हुए। दिल्ली पुलिस को जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेन्द्र तिपाठी कहते हैं कि अशोक चंद्रा जैसे ईमानदार और धाकड़ पुलिसवाले अब नहीं मिलेंगे।उन्होंने तमाम जटिल मामलों को सुलझाया।
ढेर किया
उन्होंने अंडर वर्ल्ड की कमर तोड़ी। राजधानी में 90 के दशक में अंडर वर्ल्ड का खतरा पनपने लगा था। कई बड़ी वारदातें हो रही थीं तब। उगाही की जा रही थी। तब अशोक चंद्रा ने अपने साथियों के साथ मिलकर अंडर वर्ल्ड को ढेर किया। राजधानी में उनके खिलाफ कई बार उनकी कार्यशैली से नाराज होकर लोगों ने जांच की भी मांग की। पर वे विचलित नहीं है।
मारा आतंकियों को उन्होंने ही बाद के सालों में इंडियन मुजाहिदिन, जैश तथा लशकर के आतकियों को मारा। पिछले 20 सालों से वे दिल्ली पुलिस के हर कमिश्न के खासमखास रहे क्योंकि वे ही बड़े केस सुलझाते रहे। उनमें जटिल मामलों को हल करने का खास गुण रहा।
आपको याद होगा कि कुछ साल पहले दिल्ली में इजराईली डिप्लोमेट पर हमला हुआ था। केस बेहद सेंसटिव था। तब अशोक चंद्रा को ही जिम्मेदारी मिली कि वह मामले को सुलझाएं। उन्होंने अपनी जांच के बाद आरोपियों को पकड़ा।
सच्चे टीम मैन
पर,अशोक चंद्रा हमेशा ये ही कहते रहे कि वे अगर सफल रहे अपने काम में तो इसके लिए उनकी टीम को भी क्रेडिट मिलना चाहिए। वे कभी अपने को ही महिमामंडित करने में यकीन नहीं करते थे। त्रिपाठी कहते हैं कि दिल्ली पुलिस को चंद्रा की किसी रूप में सेवा लेती रहनी चाहिए।