दो माह बाद भी सीआरपीएफ को नहीं मिला है इसका मुखिया
पिछले दो माह से सीआरपीएफ बिना बॉस के कर रही है काम और कर रही है अपने चीफ की नियुक्ति का इंतजार। 40 दिनों के अंदर सोमवार को फिर से हुआ है सीआरपीएफ पर बड़ा नक्सली हमला।
नई दिल्ली। सोमवार के छत्तीसगढ़ के सुकमा में सीआरपीएफ की टीम पर हुए एक हमले में इसके 25 जवान शहीद हो गए। यह बात जहां निराश करती है दुख देती है तो वहीं एक और बात है जो हैरान कर देती है। जम्मू कश्मीर से लेकर छत्तीसगढ़ तक सीआरपीफ के जवान बिना चीफ के काम कर रहे हैं। पिछले दो माह से सीआरपीएफ प्रमुख का पद खाली पड़ा है और शायद सरकार को इसकी फिक्र भी नहीं है।
क्यों जरूरी है सीआरपीएफ डीजी की नियुक्ति
सीआरपीएफ पूरे देश में एंटी-नक्सल ऑपरेशन को अंजाम देती है। दिलचस्प बात है कि बिना किसी मुखिया के ही यह अपने ऑपरेशन को अंजाम दे रही है। 40 दिनों के अंदर सीआरपीएफ करीब 38 जवानों को नक्सली हमलों में गंवा चुकी 28 फरवरी को के दुर्गा प्रसाद बतौर सीआरपीएफ डीजी रिटायर हुए थे। इसके बाद गृह मंत्रालय ने एडीशनल डीजी सुदीप लखटकिया को सीआरपीएफ डीजी का अतिरिक्त चार्ज दे दिया था। गृह मंत्रालय का कहना है कि जल्दी ही सीआरपीएफ डीजी की नियुक्ति होगी। वहीं संगठन के अंदर जो लोग हैं, वे इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि योग्य आईपीएस अधिकारियों का पैनल इस मकसद से तैयार कर लिया गया है लेकिन अभी तक किसी भी नाम पर फैसला नहीं हो सका है। बिना डीजी के भी सीआरपीएफ के दिन प्रतिदिन के ऑपरेशन जारी हैं लेकिन एक नीतिगत फैसलों के लिए नियमित मुखिया का होना काफी अहम है। सीआरपीएफ न सिर्फ एंटी-नक्सल ऑपरेशंस को अंजाम देती है बल्कि यह जम्मू कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में भी तैनात है और ऐसे में एक नियमित मुखिया का होना काफी जरूरी है।
सरकार पर उठे सवाल
सोमवार को जो हमला हुआ है उससे पहले 11 मार्च को भी इसी तरह का हमला हुआ था। इस हमले में सीआरपीएफ के 12 जवान शहीद हो गए थे। सिर्फ 40 दिनों के अंदर इसी इलाके में सीआरपीएफ को एक और बड़ा हमला झेलना पड़ा है। इंडिया टुडे ने बीएसएफ के पूर्व डीजी प्रकाश सिंह के हवाले से लिखा है, 'सीआरपीएफ जिसके पास 300,000 कर्मी है, उसे पिछले दो माह से बिना चीफ के क्यों छोड़ दिया गया है?' उन्होंने सरकार से अपना गुस्सा जताते हुए कहा कि जब केंद्र में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी तब उस समय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस स्थिति से निबटने के लिए एक बड़ी नीति बनाने का ऐलान किया था। तीन वर्ष बीत चुके हैं लेकिन अभी तक कोई भी नीति नहीं आई है।