रिपोर्ट: भारत में रोज जा रही 550 लोगों की नौकरी, अभी और बिगड़ेंगे हालात
नई दिल्ली। देश के निर्माण और विकास के दावों के बीच एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जो देश और देशवासियों के भविष्य को लेकर खतरनाक इशारा कर रही है। देश में हर रोज बेरोजगारी बुरी तरह से बढ़ रही है।
दिल्ली के सिविल सोयासटी समूह प्रहार ने देश में बेरोजगारी पर एक अध्ययन किया है। देश में बढ़ती बेरोजगारी के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
अध्यन के मुताबिक पिछले चार साल से 550 नौकरीपेशा लोगों की नौकरी रोज छूट रही है। यही सिलसिला अगर जारी रहा तो 2050 तक भारत में नौकरी जाने से हुए बेरोजगारों की एक बड़ी फौज तैयार हो चुकी होगी। ये आंकड़ा 70 लाख होगा।
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मजदूर और वेंडर भी मुश्किल में
अध्ययन के मुताबिक, ना सिर्फ नौकरी करने वाले बल्कि वेडंर, मजदूर, छोटे स्तर की ठेकेदारी जेसे काम करने वाले लोग भी रोजी-रोटी के भारी संकट का सामना कर रहे हैं।
श्रम ब्यूरो ने 2016 के शुरुआत में ही एक डाटा रिलीज किया था, इसके मुकाबिक देश में 2015 में 1.35 लाख नई नौकरियों का ही सर्जन हुआ। वहीं 2013 में 4.19 लाख और 2011 में 9 लाख नई नौकरियों का सर्जन हुआ।
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इससे साफ है कि देश में नई नौकरियां बहुत कम है। जबकि देश की ज्यादातर आबादी जवान है और उसे काम का जरूरत है।
देश में कृषि 50 फीसदी लोगों को रोजगार मुहैया कराती है। जबकि छोटे और मझले उद्योगों के जरिए 40 फीसदी लोगों को काम मिला हुआ है।
भारत का संगठित क्षेत्र नहीं देता रोजगार
भारत का संगठित क्षेत्र सबसे कम लोगों को रोजगार देता है। ये एक प्रतिशत से भी कम लोगों को राजगार देता है। भारत में संगठित क्षेत्र सिर्फ 30 मिलियन जबकि असंगठित क्षेत्र 440 मिलियन लोगों को नौकरी देता है।
विश्व बैक के डाटा के मुताबिक, भारत में 1994 में 60 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर थी, जो 2013 में 50 फीसदी रह गई। वहीं छोटे व्यवसाय में मजदूरों की संख्या चार गुना बढ़ी है।
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रिपोर्ट कहती है कि देश को आधारभूत संरचना को ठीक करने की जरूरत है, जिससे गांव में रोजगार उत्पन्न हों। गांवों से शहरों की तरफ पलायन रोकने की बहुत जरूरत है।