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बहादुरी का दूसरा नाम है ये पुलिसवाला, कारनामा सुनकर आप भी करेंगे सैल्यूट

पुलिस कांस्टेबल कुम्पाल तोमर इससे पहले भी अपनी बहादुरी से कई लोगों की जान बचा चुके हैं। कुम्पाल की कहानी को आईपीएस नवनीत सिकेरा ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है।

By Dharmender Kumar
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हरिद्वार। अगर आप अभी तक पुलिसकर्मियों को उनके रूखे व्यवहार के तौर पर ही देखते हैं तो इस खबर को पढ़कर आपकी सोच बदल जाएगी। उत्तराखंड के हरिद्वार में एक पुलिसकर्मी ने साहस का वो काम किया है, जिसे सुनकर आप भी उसे सैल्यूट किए बिना नहीं रह पाएंगे। इस पुलिसकर्मी का नाम है कांस्टेबल कुम्पाल तोमर। कुम्पाल ने बहादुरी का एक नायाब उदाहरण पेश किया है। कुम्पाल की कहानी को आईपीएस अधिकारी नवनीत सिकेरा ने अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया है।

गंगनहर की बीच धारा में डूब रहा था बच्चा

गंगनहर की बीच धारा में डूब रहा था बच्चा

1 जुलाई को शाम 6 बजे के आस-पास का समय था। कुम्पाल तोमर एसएसपी कार्यालय रोशनाबाद (हरिद्वार, उत्तराखंड) से अपनी ड्यूटी खत्म करके बाइक से कोतवाली गंगनगर लौट रहे थे। इसी दौरान रुड़की के नए पुल पर कुछ लोग बचाओ-बचाओ चिल्ला रहे थे। कुम्पाल ने पास जाकर देखा तो एक बच्चा गंगनहर में बीच धारा में डूब रहा था। लोगों की भीड़ काफी थी, लेकिन किसी ने उस बच्चे को बचाने का साहस नहीं किया। गंगनहर में पानी का बहाव भी काफी तेज था।

जान की परवाह किए बिना लगाई छलांग

जान की परवाह किए बिना लगाई छलांग

कुम्पाल ने बिना वक्त गंवाए अपनी वर्दी व जूते उतारे और गंगनहर में छलांग लगा दी। काफी मशक्कत के बाद कुम्पाल सकुशल बच्चे को बचाकर बाहर ले आए। 14 साल के इस बच्चे ने अपना नाम समद पुत्र इरफान बताया। बच्चा रुड़की के अंबर तालाब का रहने वाला है। बच्चे की जान बचने पर मौजूद लोगों ने कुम्पाल के साहस की सराहना की। इसके बाद कुम्पाल अपनी मोटरसाइकिल पर सवार होकर अपनी ड्यूटी पर लौट गए।

200 फुट से ज्यादा चौड़ी है नगर

200 फुट से ज्यादा चौड़ी है नगर

जिस गंगनहर में वो बच्चा डूब रहा था, वह 200 फुट से ज्यादा चौड़ी नहर है। इस नहर में काफी पानी है और बहाव ऐसा कि देखते ही सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाए। लेकिन...कुम्पाल ने इसकी परवाह नहीं की। कुम्पाल ने अपनी जान को दांव पर लगाते हुए इंसानियत की मिसाल पेश की। ऐसा नहीं है कि कुम्पाल ने पहली बार ऐसा किया है। इससे पहले भी कुम्पाल एक बड़े हादसे में 7 लोगों की जान बचा चुके हैं।

2005 में 7 लोगों को बचाया

'वन इंडिया हिंदी' से बात करते हुए कुम्पाल तोमर ने बताया कि 2005 में वो रूद्रप्रयाग जिले में तैनात थे। एक कॉलेज के 13 छात्रों का समूह टाटा सूमो से केदारनाथ धाम के दर्शनों के लिए जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में एक तेज मोड़ पर नियंत्रित होकर छात्रों की सूमो नीचे एक तालाब में जा गिरी। कुम्पाल को जैसे ही पता चला वो तुरंत वहां पहुंचे और एक खच्चर के जरिए नीचे उतरे। कुम्पाल ने पानी में कूदकर उनमें से 7 छात्रों को बचा लिया, लेकिन 6 की जान नहीं बच पाई। छात्रों को बचाने में कुम्पाल के पैर में भी चोट आई। कुम्पाल फिलहाल कोतवाली गंगनहर में तैनात हैं।

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English summary
Story of police constable Kumpal Tomar's bravery.
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