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VIDEO: कुत्ते टहलाने और बच्चे घुमाने का काम करते हैं सेना के 'सहायक'

अधिकारियों के इन सहायकों से आधिकारिक काम करवाने के बजाय घरेलू काम भी करवाए जाते हैं। कोई सहायक अधिकारी के परिवार के कपड़े धोता है, तो कोई उनके कुत्तों को घुमाने का काम करता है।

By Anujkumar Maurya
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नई दिल्ली। भारत में सेना के बड़े अधिकारियों को कुछ जवान मिले होते हैं, जो उनके आधिकारिक कामों में उनकी मदद करते हैं। इन जवानों को भारतीय सेना में 'सहायक' कहा जाता है। अधिकारियों के इन सहायकों से आधिकारिक काम करवाने के बजाय घरेलू काम भी करवाए जाते हैं। कोई सहायक अधिकारी के परिवार के कपड़े धोता है, तो कोई उनके कुत्तों को घुमाने का काम करता है। इतना ही नहीं, कुछ सहायक तो अधिकारियों की पत्नी के ड्राइवर भी बना दिए जाते हैं, जो सुबह शाम उन्हें ब्यूटी पार्लर लाने ले जाने का काम करते हैं।

VIDEO: कुत्ते टहलाने और बच्चे घुमाने का काम करते हैं सहायक
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13 जनवरी को आर्मी के जवान लांस नायक प्रताप सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, जिसमें उसने कहा था कि सेना के अधिकारी अपने घर के काम करवाते हैं। इसके कुछ दिनों बाद एक जवान ने द क्विन्ट से संपर्क किया और अपनी बात बताई। आपको बता दें कि जवान का वीडियो वायरल होने के बाद सरकार की तरफ से एक आदेश जारी हुआ था, जिसके अनुसार कोई भी सहायक किसी अधिकारी के कुत्तों को घुमाने या बच्चों का ख्याल रखने का काम नहीं करेगा। साथ ही यह भी कहा गया था कि सहायक किसी अधिकारी की निजी गाड़ियों की सफाई या धुलाई नहीं करेगा। ये भी पढ़ें- बुलंदशहर: बच्चों से उठवाई जाती हैं मिड-डे मील के राशन की बोरियां, वीडियो वायरल

यहां यह जानना जरूरी है कि एक सहायक का काम किसी भी अधिकारी की यूनीफॉर्म और हथियारों की देखभाल करना होता है। इसके अलावा युद्ध, ट्रेनिंग या फिर किसी अन्य एक्सरसाइज के समय इस सहायक का काम उस अधिकारी के रहने की व्यवस्था करने में उसकी मदद करना होता है। साथ ही यह सहायक काम का अधिक बोझ होने पर अधिकारी की मदद करता है। सरकार की तरफ से आदेश दिए जाने के बाद भी अधिकारियों के घरों में सहायकों से घर के काम करवाए जाते हैं। इस बात का जीता-जागता सबूत है यह वीडियो।

कुछ जवान दूसरों के अंतःवस्त्र सुखाते हैं और धोते हैं तो कुछ लोग अधिकारियों के कुत्तों को सुबह शाम टहलाते हैं। यह हाल है देवलाली आर्मी कैंटोनमेंट एरिया का, जिसे अंग्रेजी हुकूमत के दौरान 1870 में बनाया गया था। कई सहायकों को तो सिर्फ अधिकारी के परिवार का ही ख्याल रखने का काम मिला हुआ है, जबकि अधिकारी की पोस्टिंग परिवार के रहने वाली जगह से कहीं दूर है। एक कारगिल हीरो रिटायर्ट कोलोनल जीके मेहेन्दिरत्ता ने कहा कि अब वह समय आ चुका है, जब सहायक सिस्टम को ही खत्म कर दिया जाए। उन्होंने कहा कि अब इन कामों में सेना के जवान के बजाय सिविलियन को लगाना चाहिए।

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English summary
soldiers are forced to drying others undergarments
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