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सोनिया-राहुल नहीं इंदिरा-नेहरू तक से बदला लेने की तैयारी में मोदी सरकार

By विवेक शुक्ल/अजय मोहन
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नई दिल्ली/बेंगलुरु। चुनाव के दौरान यूट्यूब पर एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हुआ था, जिसमें राहुल गांधी की आवाज़ में एक गीत था, "कांग्रेस पार्टी को देश से निकालो...." वह वीडियो एक मोदी समर्थक ने राहुल गांधी की स्पीच की एडिटिंग कर बनाया था। खैर सरकारी फरमान के बाद वह वीडियो तो डिलीट कर दिया गया, पर विचारधारा अब भी जिंदा है।

उस विचारधारा का असर ही है कि अब केंद्र में मोदी सरकार ने कांग्रेस पार्टी को वाकई में देश से निकालने की ठान ली है। सीधी बात कहें तो नेहरू गांधी परिवार से जुड़े लोगों के नाम से चल रहीं केंद्रीय योजनाओं को अब नये नाम दिये जायेंगे, जिसकी शुरुआत इंदिरा आवास योजना से की जा रही है।

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम से चल रही इस योजना का नाम बदल दिया जायेगा। केंद्र के एक अध‍िकारी ने बताया कि नाम में परिवर्तन का आधार यह होगा कि योजना को नये कलेवर में पेश किया जायेगा। गरीबों को मकान देने के साथ-साथ हर घर में शौचालय बनवाने का काम भी इसी योजना के तहत किया जायेगा, बस नाम इंदिरा की जगह किसी और का होगा।

इंदिरा अवास योजना से ही क्यों शुरु हो रही नाम बदलने की राजनीति?

भाजपा सरकार ने इंदिरा आवास योजना को ही सबसे पहले टार्गेट क्यों बनाया उसके पीछे दो बड़े कारण हैं। पहला यह कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनवाने का काम वृहद स्तर पर करने जा रही है। दूसरा बड़ा कारण यह है कि इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 1975 में आपातकाल के दौरान सरकार ने सबसे ज्यादा जुल्म भारतीय जनसंघ (जो बाद में भाजपा बनी) के नेताओं पर ढहाया।

हम आपको बता दें कि इमरजेंसी के दौरान जेल भेजे गये लोगों में 50 फीसदी से ज्यादा नेता व कार्यकर्ता भारतीय जनसंघ के ही थे। उसी दौरान इंदिरा गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को प्रतिबंध‍ित भी कर दिया था।

लिहाजा इतिहास की घटनाओं के बदले के रूप में अगर नाम परिवर्तन की राजनीति हुई तो जाहिर है इंदिरा आवास योजना का नाम बदल कर भाजपा या जनसंघ के किसी नेता के नाम से ही रखा जायेगा। हो सकता है आरएसएस के किसी पूर्व नेता के नाम से इस योजना का नाम रख दिया जाये, लेकिन ऐसी संभावना कम ही दिखाई दे रही है, क्योंकि आरएसएस खुद को कभी सक्रिय राजनीति में नहीं घसीटना चाहती है।

पर किसके नाम से होगी योजना?

सूत्रों के अनुसार नई योजना का नाम सरदार वल्लभभाई पटेल के नाम से रखी जा सकती है। या फिर हो सकता है दीन दयाल उपाध्याय या डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का नाम दिया जा सकता है। खैर सरकार जो नाम रखेगी वो रखेगी आप तो अपनी राय दे ही सकते हैं इस पोल में क्लिक करके!

कुल मिलाकर देखा जाये तो अब भाजपा सरकार सिर्फ राहुल-सोनिया से नहीं बल्कि‍ कांग्रेस के पूर्वज जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी तक से बदला लेने की तैयारी कर चुकी है।

हालांकि ऐसा देश में पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पहले भी केंद्र व राज्य सरकारें ऐसा कर चुकी हैं। हालिया उदाहरण उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने पेश किया था, जब 2012 में सपा ने सत्ता में आते ही डा. भीमराव अम्बेडकर, रमा बाई अम्बेडकर व अन्य दलित पूर्वजों के नामों से चल रही योजनाओं को बदल कर डा. राम मनोहर लोहिया के नाम से कर दी थीं। तब भी अख‍िलेश यादव ने यही तर्क दिया था कि नये नाम के साथ योजना नये कलेवर में पेश की जा रही है।

Comments
English summary
This would be a big shock for Congress Party as Narendra Modi Government in centre is going to rename the big development project Indira Awas Yojna.
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