‘मंदिर को तोड़कर उसके मलबे से बनाई गई थी बाबरी मस्जिद, इसे बाबर ने नहीं बनवाया था’
शिया वक्फ बोर्ड ने माना का बाबरी मस्जिद से पहले वहां मस्जिद थी, इसे बाबर नहीं नहीं बनवाया है, मंदिर को तोड़कर उसके मलबे से बनाई गई मस्जिद
नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिया वक्फ बोर्ड ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद को शिया मुसलमानों की संपत्ति करार देने की मांग की है। दरअसल शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट के सामने 1946 के ट्रायल कोर्ट के उस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है जिसमे बाबरी मस्जिद को सुन्नी मुसलमानों की संपत्ति करार दिया गया था।
मंदिर-मस्जिद को पास में नहीं बनवाना चाहिए
बता दें की शिया वक्फ बोर्ड ने ठीक एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के सामने एक एफिडेविट में सुझाव दिया था कि विवादित रामजन्म भूमि से थोड़ी ही दूर पर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में ही एक दूसरी मस्जिद का निर्माण किया जा सकता है जोकि हिन्दू-मुस्लिम एकता के एक प्रतीक के रूप में स्वीकारी जानी चाहिए। बोर्ड ने यह भी कहा था कि अगर मस्जिद और मंदिर आस-पास होंगे तो यह हमेशा के लिए विवाद का केंद्र बना रहेगा।
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बाबर 5-6 दिन के लिए आया था अयोध्या
अपनी
याचिका
में
बोर्ड
ने
कहा
है
कि
बाबर
जोकि
एक
सुन्नी
था,
उसका
बाबरी
मस्जिद
पर
कोई
अधिकार
नहीं
है।
जबकि
वह
अयोध्या
में
सिर्फ़
5-6
दिन
के
लिए
ही
आया
था।
बोर्ड
ने
आगे
बताया
की
स्थानीय
मान्यताओं
के
मुताबिक
वर्ष
1528
में
बाबर
अयोध्या
आया
था
और
उसी
के
शासन
काल
में
ही
वहां
पर
राम
जन्मभूमि
मंदिर
को
तोड़
कर
उसी
के
मलबे
से
मस्जिद
बनाई
गई
थी।
बाबर ने नहीं बनवाई थी मस्जिद
शिया
बोर्ड
ने
अपनी
याचिका
में
कहा
कि
1946
फैसले
में
इस
बात
को
दरकिनार
कर
दिया
गया
था
कि
बाबर
के
राज्य
में
दरबारी
रहे
अब्दुल
मीर
बकी
ने
अपने
ही
पैसो
से
बाबरी
मस्जिद
का
निर्माण
किया
था।
इस
वजह
से
बाबर
नहीं
बल्कि
अब्दुल
बाकी
बाबरी
मस्जिद
के
निर्माणकर्ता
कहलाए
जाने
चाहिए।
बोर्ड
ने
यह
भी
कहा
कि
ट्रायल
कोर्ट
ने
अपने
फैसले
में
खुद
ही
स्वीकार
किया
था
कि
अब्दुल
बाकी
की
पुश्तें
ही
मस्जिद
की
मुतवल्ली
हैं
जो
उसकी
देख
रेख
करती
आई
हैं।
अब्दुल मीर ही वाकिफ हैं
इसके अलावा बोर्ड ने दावा किया की अगर मान भी लिया जाए की मस्जिद बनाने का आदेश बाबर ने दिया था फिर भी मस्जिद को खुदा को समर्पित करके उसका वक्फ तो वाकिफ ही बनाता है जोकि इस मामले में अब्दुल मीर बकी ही हैं।