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नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी पर बड़ा खुलासा, फोर्ब्स के पत्रकार ने उठाए सवाल

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नयी दिल्ली। भारत में बाल अधिकारों और बच्चों के लिए कम करने वाले कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबल पुरस्कार मिला है। कल इस बात की घोषणा की गई जिसमें भारती की ओर से बचपन बचाओ आंदोलन चलाने वाले कैलाश सत्यर्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसूफजई को ये पुरस्कार मिला है।

kailash satyrathi

कैलाश को ये सम्मान मिलने के साथ ही कई सवाल भी उठने लगे है। अमेरिका की मशहूर मैग्जीन फोर्ब्स में काम करनेवाली एक महिला पत्रकार मेघा बाहरी ने कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल पुरस्कार दिए जाने पर सवाल उठाए हैं। फोर्ब्स के लिए लिखने वाली मेघा ने अपने पुराने अनुभवों को याद करते हुए उनपर आरोप लगाया है। मेघा ने कैलाश के एनजीओ बचपन बचाओ आंदोलन पर गलत तरीके से फंड जुटाने का आरोप लगाया है।

मेघा बहरी ने अपने पुराने समय को याद करते हुए लिखा है कि कैलाश सत्यार्थी को मिला यह पुरस्कार नोबेल योग्य नहीं है। मेघा ने उनकी संस्था 'बचपन बचाओ आंदोलन' पर गंभीर आरोप लगाते हुए लिखा है कि 2008 में कैलाश सत्यार्थी के एक सहयोगी ने यूपी के एक गांव में बाल मजदूरी को लेकर जो दावे किए थे वो झूठे निकले।

उन्होंने लिखा है कि 'बचपन बचाओ आंदोलन' ज्यादा से ज्यादा विदेशी फंड हासिल करने लिए बाल मजदूरी के झूठे आंकड़े देती है। अपने लेख में उन्होंने सत्यार्थी पर आरोप लगाते हुए लिखा है कि 2008 में फोर्ब्स के लिए भारत में बाल श्रम के उपयोग पर एक आर्टिकल लिखते वक्त मैं बचपन बचाओ आंदोलन से मिली।

संस्था से जु़ड़े व्यक्ति ने उन्हें बताया कि उत्तर प्रदेश का कार्पेट बेल्ट जहां गांव के हर घर के बच्चे दूसरे देशों को भेजे जाने वाले कालीन को बनाने में लगे हैं। जब मेघा से उस जगह को दिखाने की बात कही तो वो शख्स उन्हें घुमाता रहा। वो मेघा को लेकर यूपी के एर गांव में लेकर गया। मेघा ने अपने लेख मेम लिखा है कि मुजे उस गांव में कोई बच्चा काम करता नहीं दिखा। जब मैंने ससे सवाल किए तो वो मुझे एक घर के पास लेकर गया जहां कलाई का काम कर रहे लोगों के पास दो बच्चे बैठे थे। दोनों बच्चों में खास बात यह थी कि वे स्कूल ड्रेस में थे। मेघा आगे बताती है कि मैं वहां से खुद ही निकल पड़ी और कई जगह देखा। मुझे कई बच्चे दिखे जो घंटो छोटे से रकम पर काम करते हैं।

मेघा ने 2008 की इस पूरी घटना का जिक्र किया है और इसके पीछे की मंशा पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने सवाल उठाते हुए लिखा है कि जितने बच्चे को आप बचाते हुए दिखाते हैं विदेशों से उतना ही बड़ा चंदा आपको मिलता है। मेघा ने लिखा है कि जो सब उन्हें लिखा उससे साफ कहा जा सकता है कि भारत में बाल श्रम नहीं है। जो है, बड़े पैमाने पर है। हालांकि उन्होंने अपने लेख में सीधे तौर पर कैलाश सत्यार्थी के कामों पर सवाल नहीं उठाया है, लेकिन उन्हें नोबल पुरस्कार दिए जाने पर सवाल जरुर खड़ा किया है। वहीं मेघा के इस आरोप पर कैलाश सत्यार्थी के सहयोगी ने कहा है कि उन्हें ऐसे आरोपों पर कुछ नहीं कहना है।

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English summary
Questions raised by Forbes journalist Megha Bahree on Kailash Satyarthi being awarded Nobel Peace Prize. Take a look at these serious allegations on him.
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