2014 में बद-जुबानी के चलते हिट हुईं साध्वी निरंजन
9. जुबान संभालकर साधवी निरंजन
राजधानी में एक सभा को संबोधित करते हुए केन्द्रीय फूड प्रोसेसिंग मंत्री साधवी निरंजन ने जिस तरह की टुच्ची भाषा का इस्तेमाल किया अपने भाषण के दौरान उसके चलते उन्होंने खूब मीडिया की सुर्खियां बटोरीं। अगर वे अपने मंत्रालय के काम से सुर्खियां बटोरती तो बेहतर रहता। एक साधवी से इस तरह की बयानबाजी या भाषणबाजी की अपेक्षा नहीं की गई थी। वे उत्तर प्रदेश में फतेहपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर आई हैं। यह वही सीट है,जिससे एक दौर में विश्वनाथ प्रताप सिंह चुनाव लड़ते थे।
बहरहाल,अब खबरें आ रही हैं कि महिला आरक्षण की वकालत करने वाली साधवी निरंजन इस मसले पर कुछ नहीं बोलतीं। उन्होंने यही किया हाल ही में कानपुर में। संसद में महिला आरक्षण की बाबत पत्रकारों ने पूछा तो उन्होंने इस बाबत कुछ कहने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह बाद का मुद्दा है। हालांकि कहा जा रहा है कि भाजपा आला कमान ने उन्हें कस दिया है कि वे अब अपनी जुबान पर लगाम लगाएं।
10- करेंगे रेलवे को चुस्त सुरेश प्रभु
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मालूम है कि रेलवे का विकास और देश का विकास एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। वे इसलिए रेलवे को बहुत महत्व देते हैं। उनके रेलवे को लेकर तमाम सपने हैं। उन सपनों को अमली जामा पहनाने के लिए ही मोदी ने सुरेश प्रभु को रेल मंत्री बनाया। सुरेश प्रभु चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। ईमानदारी में उनका कोई सानी नहीं है। वे शिव सेना से जुड़े थे।
भाजपा में आए और उन्हें मिल गया रेल विभाग का काम। उन्हें हरियाणा से राज्यसभा में भेजा गया है। सुरेश प्रभु को रेलवे को गति देनी होगी। इसमें निजी क्षेत्र की भागदारी को बढ़ाना होगा और मुसाफिरों की सुविधा के लिए लगातार प्रयास करने होंगे। प्रभु यह कर कते हैं। उनमें गजब की उर्जा है। वे मेहनती हैं । वे रेलवे का कायाकल्प कर सकते हैं। 2014 में उन्हें रेलवे विभाग का कामकाज सौंपा गया। उम्मीद करनी चाहिए कि वे भारतीय रेलवे को नई बुलंदियों पर लेकर जाएंगे। उन्हें रेलवे एक्सीडेंट भी रोकने के लिए सभी मुमकिन प्रयास करने होंगे।