चीन की वन रोड वन बेल्ट से निपटने के लिए RSS ने दिया खास सुझाव
चीन के वन बेल्ट वन रोड से निपटने के लिए आरएसएस ने दिया खास सुझाव, चीन के ओबीओआर के खिलाफ है भारत
नई दिल्ली। दुनियाभर में चर्चित चीन की महत्त्वकांक्षी वन बेल्ट वन रोड (ओबोर) नीति एक बार फिर सुर्खियों में है। इस नीति के जरिए चीन दावा कर रहा है कि मौजूदा चल रहे ग्लोबलाइजेशन विरोधी दौर में यह नीति एक तुरुप का इक्का साबित होगी। लेकिन दूसरी तरफ बहुत से जानकार इसपर सवाल भी उठा रहे हैं। वहीं आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने चीन के दावों पर सवाल उठाए हैं, इसके साथ ही भारत क इस समस्या से निपटने का खास तरीका भी बताया है।
पड़ोसी देशों पर प्रभुत्व कायम करना चाहता है चीन
ऑर्गनाइजर में छपे लेख में कहा गया कि चीन गलत तथ्यों के आधार पर यह बात साबित करना चाहता है कि विश्व की सभ्यता के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले 'रेशम मार्ग' को बनाने में सिर्फ चीन का योगदान था। लेख में दावा किया गया की दरअसल चीन अपने पड़ोसी देशों पर अपना प्रभुत्व कायम करने के लिए इस नीति पर काम कर रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने जताई चिंता
आरएसएस के मुखपत्र में छपे इस लेख में कहा गया है कि भारत ने जो चिंता जताई है, इसी तरह की चिंता अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने भी जताई थी, जब इस साल के मई माह में चीन ने पहली ओबोर समिट का आयोजन किया था। न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने एक लेख में कहा था कि चीन विश्व व्यापार को अपने हिसाब से चलना चाहता है। उसी लेख में यह भी लिखा था कि चीन की मंशा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मौजूदा नियमों को बदलकर अपने नियम स्थापित करने की है।
आरएसएस ने दिया खास सुझाव
ऑर्गनाइजर के लेख में ओबोर से निपटने के लिए एक सुझाव भी पेश किया गया है। लेख में कहा गया की चीन के झूठे दावों को उजागर करने के लिए भारत को 'वन कल्चर वन रीजन' की पॉलिसी अपनानी चाहिए। उसी लेख में कुछ तथ्यों को सामने रखते हुए आगे बताया गया की 'रेशम मार्ग' भारत ने स्थापित किया था, जिससे प्रभवित होकर चीन ने भी इसको मंजूर किया था। लेकिन भारत ने अपने इस सांस्कृतिक प्रभुत्व को राजनीतिक लाभ लेने के लिए कभी नहीं इस्तेमाल किया।
भारत ओबोर के खिलाफ है
दरअसल ओबोर नीति के तहत चीन दुनियाभर में सड़कें, बंदरगाह, रेल पटरियां और आर्थिक गलियारे बना रहा है। इसी कड़ी में चीन पाकिस्तान में भी ग्वादर नाम का बंदरगाह बना रहा है और अपने काश्गर नामक शहर को उस बंदरगाह से जोड़ने के लिए एक आर्थिक गलियारा भी बना रहा है, जो पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। यह गलियारा भारत की मंजूरी के बिना बनाया जा रहा है जिसपर भारत ने अपनी असहमति भी जताई है।