LCH TD-3 की सफलता से एचएएल को मिली नई दिशा
बेंगलुर।
हिन्दुस्तान
एरोनॉटिक्स
लिमिटेड
यानी
एचएएल
ने
लाइट
कॉम्बेट
हेलीकॉप्टर
(एलसीएच)
के
लिए
थर्ड
टेक्नोलॉजी
डेमॉन्स्ट्रेटर
(टीडी-3)
का
सफलतापूर्वक
परीक्षण
कर
डाला।
एचएएल के चीफ टेस्ट पायलट, रोटरी विंग और रिटायर्ड विंग कमांडर उन्नी पिल्लई और ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) और डिप्टी रोटरी विंग हरि नारायण ने करीब 20 मिनट तक एलसीएच टीडी-3 की टेस्टिंग की और यह पूरी तरह से सफल रही।
एचएएल के लिए इस सफलता के मायने
यह सफलता एचएएल के लिए कई मायनों में काफी खास है। टीडी-3 प्रोजेक्ट ऐसा प्रोजेक्ट है जिसके लिए 80 करोड़ रुपए का फंड है और एचएएल की ओर से यह सारा खर्च उठाया जा रहा है। बोर्ड की ओर से यह एक साहसिक कदम उठाया गया ताकि इस कार्यक्रम में तेजी लाई जा सके।
एचएएल ने 126 करोड़ रुपए एक और प्रोजेक्ट एलसीएच टीडी-4 के लिए रखे हैं। यह हेलीकॉप्टर भी जल्द ही टेकऑफ करेगा।
एलसीएच टीडी-3 की फ्लाइट जिसे बेंगलुरु में अंजाम दिया गया सस्पेंस और उत्सुकता से भरपूर थी क्योंकि मौसम की लुकाछिपी इसकी फ्लाइट पर कई तरह के सवाल खड़े कर रही थी। हल्की बौछारों के बीच पायलट्स ने
एचएएल
के
हेलीकॉप्टर
डिवीजन
से
इसे
टेकऑफ
कर
डाला।
ध्रुव
चॉपर
के
साथ
यह
अपनी
मंजिल
पर
निकल
पड़ा।
इस
पूरी
टेस्टिंग
के
दौरान
पायलट
का
आत्मविश्वास
देखने
वाला
था।
पायलट्स ने हेलीकॉप्टर को लैंड कराने से पहले लो-फ्लांइंग कर हेलीकॉप्टर कांप्लेक्स के ऊपर गुजारा। जमीन पर आने से पहले इसने प्री-फ्लाइट ब्रीफिंग सेशन के दौरान बताए गए सभी पैरामीटर्स को पूरा कर डाला था।
एचएएल के चेयरमैन आरके त्यागी ने वनइंडिया को बताया, 'फ्लाइट के दौरान हर टेस्ट प्वाइंट को काफी बेहतरी से पूरा किया गया। हमें पूरी उम्मीद है कि सितंबर 2015 में इसे इनीशियन ऑपरेशनल क्लीयरेंस (आइओसी) मिल सकेगी।'
यहां से बदलेगी सोच
जहां इस सफलता ने एचएएल के लिए एक नया अध्याय लिखा है तो वहीं इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि एचएएल के चेयरमैन आरके त्यागी के साहसिक कदमों ने एचएएल के बोर्ड को इस बात के लिए आश्वस्त कर डाला है कि वह एलसीएच के लिए अगले दो टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर के लिए भी फंड मुहैया कराएं।
इस बारे में त्यागी कहते हैं कि मुझे मालूम था कि इसके लिए जल्द से जल्द आईओसी हासिल करने का सिर्फ एक ही तरीक था कि इसके फ्लाइंग ऑवर्स को बढ़ाया जाए।
हम कस्टमर फंडिंग और मंजूरी के लिए और इंतजार नहीं करना चाहते थे। उनके मुताबिक यहां से एचएएल की सोच बदलेगी और इसके लिए और रास्ते खुलेंगे। जो नतीजें आए हैं वह सबके सामने हैं।
आर्मी और एयरफोर्स ने भेजे अपने प्रस्ताव
इस टेस्ट फ्लाइट से पहले त्यागी ने डिजायनर्स, इंजीनियर्स, टेस्ट पायलट्स और बाकी कर्मियों के साथ बातचीत की। इंडियन आर्मी की ओर से एचएएल को 114 एलसीएच और इंडियन एयरफोर्स की ओर से 65 हेलीकॉप्टर्स के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।
त्यागी ने बताया कि एलसीएच ऊंचाई वाली जगहों पर दुश्मनों पर कारगर हमले करने में कामयाब होगा और सेनाओं के लिए प्रभावशाली हथियार साबित होगा। इस बारे में आरके त्यागी ने कहा कि टीडी-1 और टीडी-2 की तुलना में टीडी-3 काफी अलग है और हमने इसमें कई बदलाव किए हैं।
इसे प्रयोग करने वालों ने हमें फीडबैक दिया और फिर हमारे डिजायनर्स ने सभी चुनौतियों को पूरा किया। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि एलसीएच टीडी-3 और टीडी-4 में ज्यादा से ज्यादा उपकरण हों जो पूरी तरह से भारतीय हों।
जो
उपकरण
इसमें
लगाए
गए
हैं
उनमें
इंटीग्रेटेड
एवॉनिक्स
और
डिस्प्ले
सिस्टम
के
अलावा
ऑटोमैटिक
फ्लाइट
कंट्रोल
सिस्टम
भी
शामिल
है।
त्यागी
की
ओर
से
दी
गई
जानकारी
के
मुताबिक
इसकी
फ्लाइट
पूरी
तरह
से
दोषपूर्ण
रही।
2015 की तैयारी
एचएएल के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर अशोक टंडन ने बताया कि बोर्ड की ओर से जो भी फैसले लिए गए, अब वह बेहतर नतीजे लेकर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब अगले दो टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर्स के लिए फंड देने का फैसला कर लिया है ताकि इस प्रोजेक्ट को बिना रुकावट पूरा किया जा सके।
उन्होंने जानकारी दी कि एचएएल का पूरा बोर्ड चेयरमैन के साथ है जो एलसीएच पर बहुत आगे की सोच रखते हैं। इस वजह से ही एलसीएच टीडी-4 के लिए 126 करोड़ रुपए इस वर्ष मार्च में देने का फैसला कर लिया गया है। इस प्रोजेक्ट के लिए सारी तैयारी हो गई है। हम अगले वर्ष इसकी टेस्ट फ्लाइट को अंजाम दिया जाएगा।
विंग कमांडर उन्नी के लिए खास मौका
वहीं टीडी-3 के सीटीपी रिटायर्ड विंग कमांडर उन्नी के लिए यह मौका उनके लिए एक यादगार पल में शुमार हो गया है। एलसीएच टीडी-3 की सफल फ्लाइट के साथ ही उनके करियर में एक और अहम पड़ाव दर्ज हो गया है।
इसके नए फीचर्स के बारे में विंग कमांडर उन्नी ने बताया कि इस हेलीकॉप्टर के लिफ्टिंग विंग अब बिल्कुल एमआई-25 और एमआई-35 की तर्ज पर ही हैं। उन्नी देश के ऐसे टेस्ट पायलट हैं जिन्हें 'सबसे साहसिक पायलट' का
दर्जा
हासिल
है।
उन्नी
ने
बताया
कि
यह
हेलीकॉप्टर
सियाचिन
जैसी
जगहों
जिनकी
ऊंचाई
18,000
फीट
है
और
सभी
बॉर्डर
इलाकों
पर
काफी
असरदार
साबित
होगा।