आखिर बनेंगी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अच्छी सड़कें?
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। देर से ही सही, पर सरकार को याद आ गया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रो में सड़कों की हालत बेहद खराब है। इन्हें किस तरह से ठीक किया जाए, इस बारे में केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और शिपिंग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कल रायपुर में वामपंथी उग्रवाद (एलडब्यू ई) प्रभावित आठ राज्यों के मुख्यनमंत्रियों की बैठक बुलाई है।
सड़क निर्माण में बाधा
जानकार कहते हैं कि वामपंथी चरमपंथ से प्रभावित क्षेत्रों में सड़क सुविधाएं नहीं होना बड़ी समस्या है। इन क्षेत्रों में नक्सली सड़क निर्माण को बाधित करते हैं और पहले से बनी सड़कों को उड़ा देते हैं।
दो चरणों में होगा काम
इस बात की रोशनी में केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत दो चरणों में नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों की हालत सुधारने का निर्णय लिया है। यह बैठक राज्ये के लोक निर्माण विभाग (पीडब्यूक डी) के जरिए किए जा रहे सड़क निर्माण के त्वकरित कार्यान्व यन में समस्या ओं के समाधान के लिए बुलाई गई है।
निकम्मी यूपीए सरकार
हालांकि यूपीए सरकार के दौर में नक्सलवाद को केवल विकास के रास्ते ही रोके जा सकने की बात को माना तो गया था पर इस बाबत अपेक्षित पहल नहीं हुई थी। केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों की हालत सुधारने का काम भी सही तरह से नहीं हो पाया था।
अहम बैठक
कल की बैठक में छत्तीकसगढ़, झारखंड और बिहार तथा अन्यय राज्योंक के पीडब्यूको डी मंत्रियों के शामिल होने की संभावना है। इसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, गृह मंत्रालय, राज्य पीडब्यूराज डी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और अन्यय संगठनों के वरिष्ठक अधिकारी भी शामिल होंगे।
34 प्रभावित जिले
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, वामपंथी उग्रवाद से बुरी तरह प्रभावित 34 जिलों में सड़क संपर्क सुधारने के लिए कुल 5,474 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर रहा है। इसकी सड़क आवश्यिकता योजना (आरआरपी) आठ राज्योंु को कवर करती है, ये राज्य़ तेलंगाना, बिहार, छत्तीरसगढ़, झारखंड, मध्यर प्रदेश, महाराष्ट्र , ओडिशा और उत्तंर प्रदेश हैं। आवंटित 5,469 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण में से 4,908 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया गया है।
इस योजना के तहत अबतक 3,299 किलोमीटर (67 प्रतिशत) सड़क निर्माण कार्य सम्पुन्नक हो चुका है, जिस पर 4,374 करोड़ रूपए खर्च किए गए हैं।