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7 जजों की संवैधानिक पीठ से भिड़े जस्टिस कर्णन, कहा- मैं मानसिक रूप से सही, जनता के लिए हूं जवाबदेह

कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना का मामला चल रहा है। आरोप है कि वो न्यायपालिका के खिलाफ लड़ रहे हैं।

By Rahul Sankrityayan
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नई दिल्ली। कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय से भिड़ गए । शुक्रवार को खुद के खिलाफ अवमानना की सुनवाई के दौरान उन्होंने अपील की कि उन्हें प्रशासनिक और न्यायिक कार्यों के लिए बहाल कर दिया जाए।

संवैधानिक पीठ के खिलाफ जारी कर दिया आदेश

संवैधानिक पीठ के खिलाफ जारी कर दिया आदेश

हालांकि 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने कर्णन की मांग खारिज करते हुए उनसे 1 महीने के भीतर जवाब मांगा है। इसके बाद कर्णन ने कहा कि वो संवैधानिक पीठ के सभी 7 जजों, जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया भी शामिल हैं, उनके खिलाफ आदेश पास करेंगे। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या उनके पास इस कार्य का अधिकार है तो उन्होंने जवाब हां दिया। कुछ देर बाद उन्होंने सभी 7 जजों के खिलाफ आदेश जारी कर दिया।

अपने आदेश में कर्णन ने कहा

अपने आदेश में कर्णन ने कहा

कर्णन ने अपने आदेश में कहा है सभी 7 जज प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन कर रहे हैं। अपने न्यायिक शक्तियों को बहाल ना किए जाने का विरोध करते हुए कर्णन ने कहा कि इस मामले की अगली सुनवाई में वो अदालत में नहीं आएंगे। कर्णन ने कहा कि वो संवैधानिक पद पर है और उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाई साथ ही बिना उनकी बात सुने उनसे उनका काम वापस ले लिया गया। सुनवाई के चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि अगर कर्णन यह मानते हैं कि वो जवाब देने के लिए मानसिक रूप से सही नहीं है तो वो मेडिकल रिकॉर्ड दाखिल कर सकते हैं। जिसके जवाब में कर्णन ने कहा मुझे कोई मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाने की आवश्यकता नहीं है।

मैं जनता के प्रति हूं जवाबदेह

मैं जनता के प्रति हूं जवाबदेह

जब कर्णन से कहा गया कि अगर वो चाहें तो मौखिक या लिखित रूप से कुछ प्रस्तुत कर सकते हैं, जिस पर कर्णन ने कहा कि यह लड़ाई मद्रास हाईकोर्ट में भ्रष्टाचार के खिलाफ है, किसी एक की लड़ाई नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर आप चाहते हैं कि मेरी चेतना वापस आ जाए तो मुझे मेरा काम वापस दे दें। कर्णन ने यह भी कहा कि वो यह साबित कर सकते हैं कि वो न्यायपालिक के खिलाफ नहीं लड़ रहे हैं। जस्टिस कर्णन ने अदालत में कहा मैं एक चिंतक नहीं हूं और मैंने कोई गलत काम नहीं किया है। आपने स्वतः संज्ञान लिए अवमानना नोटिस को जारी करने से पहले कोई नोटिस नहीं किया। मुझे मेरा काम वापस दे दिया जाए और मैं जनता के प्रति जवाबदेह हूं।

ये है मामला, जारी हुआ था गैर जमानती वारंट

ये है मामला, जारी हुआ था गैर जमानती वारंट

बता दें कि जस्टिस कर्णन ने कर्णन ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को आदेश दिया था कि वो 20 से ज्यादा मौजूदा और रिटायर्ड जजों के खिलाफ मामले की जांच कर संसद को अवगत कराएं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाईकोर्ट के न्‍यायाधीश सी एस कर्णन के खिलाफ जमानती वॉरंट जारी किया और अदालत की अवमानना के मामले में कर्णन को सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया था। पर 10 मार्च को सुनवाई के दौरान 7 न्‍यायाधीशों की पीठ के सामने न्‍यायाधीश कर्णन पेश नहीं हुए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्‍य न्‍यायाधीश जेएस खेहर की अगुवाई वाली पीठ ने न्‍यायाधीश कर्णन के खिलाफ जमानती वॉरंट जारी किया है और 31 मार्च को कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है।

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English summary
Restore my work Justice Karnan shouts, SC asks if he is mentally fit
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