16 वर्षों से पीओके में एक जमीन का किराया दे रही है इंडियन आर्मी
पीओके में जमीन एलॉटमेंट के जरिए ऑफिसर्स ने कमाई मोटी रकम। घोटाले के कागजों के मुताबिक 16 वर्षों से जमीन का किराया चुका रही थी इंडियन आर्मी। सीबीआई ने शुरू की जांच।
नई दिल्ली। सेंट्रल ब्यूरों ऑफ इनवेस्टीगेशन (सीबीआई) एक बड़े घोटाले की जांच में जुट गई है। यह घोटाला कोई ऐसा-वैसा घोटाला नहीं है बल्कि इस घोटाले पर अगर आप यकीन करें तो इंडियन आर्मी पिछले 16 वर्षों से उन जमीनों का किराया दे रही थी जो भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में पड़ती हैं।
गलत डॉक्यूमेंट्स किए गए थे तैयार
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गलत डॉक्यूमेंट्स की मदद से सरकारी खजाने से जमीन का किराया देने के लिए रकम निकाली जाती थी। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक वह इस बात की जांच कर रहे हैं कि हकीकत में यह किराया किस व्यक्ति को अदा किया गया था। किराया इंडियन आर्मी ऑफिसर्स की ओर से दिया जा रहा था। सीबीआई इस बात का पता भी लगा रही है कि रेंट के जरिए कितने लोगों को फायदा पहुंचाया गया है। जांच में सामने आया है कि किराया सेना की जमीन के लिए दिया जा रहा था जबकि जमीन एक व्यक्ति की है।
सरकारी खजाने से ली गई रकम
जो
डॉक्यूमेंट्स
रजिस्टर
हुए
हैं
उनके
मुताबिक
जमीन
वर्ष
1969-70
की
है
और
यह
जमीन
पीओके
के
किसी
मकबूजा
नामक
व्यक्ति
के
नाम
पर
दर्ज
है।
जमीन
के
कागज
जो
रजिस्टरी
में
दर्ज
हैं
उनका
खसरा
नंबर-
3,000,
3,035,
3,041,
3,045
की
122
कनाल
और
18
मारला
जमीन
को
इंडियन
आर्मी
प्रयोग
कर
रही
है।
सरकारी
खजाने
से
इन
जमीनों
के
किराए
की
रकम
भी
निकाली
जा
रही
है
जबकि
असल
में
ये
जमीनें
पीओके
में
हैं।
जांच
में
सामने
आया
है
कि
वर्ष
2000
में
जम्मू-कश्मीर
के
राजौरी
में
डिफेंस
एस्टेट
विभाग
के
सब-डिवीजनल
अफसर
ने
धोखाधड़ी
की
और
गलत
कागज
बनवाए।
नौशेरा
के
खंबा
गांव
के
पटवारी
दर्शन
कुमार,
एक
अन्य
व्यक्ति
राजेश
कुमार
और
उनके
दूसरे
सहयोगियों
ने
इसमें
उनकी
मदद
की।
इन्होंने
ऐसी
कई
जमीनें
आर्मी
के
कब्जे
में
दिखाईं
जो
वास्तव
में
पीओके
में
हैं।