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कितने लाल निशान हैं रक्षामंत्री एके एंटनी के रिपोर्ट कार्ड में

By Richa
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AK Antony
बेंगलूर। 26 फरवरी आईएनएस सिंधुरत्‍न हादसा और 28 मार्च को हरक्‍यूलिस सी-130 जे क्रैश, एक माह और दो दिनों के भीतर दो ऐसे हादसे जिसने इंडियन डिफेंस सेक्‍टर को हिला कर रख दिया। आइएनएस सिंधुरत्‍न हादसे को हमारे सैनिक भुला पाते कि सी-130 जे क्रैश हो गया। संभलने से पहले आर्म्‍ड फोर्सेज को एक ऐसा झटका लग जाता है कि उनका मनोबल और देश की सुरक्षा को लेकर उनकी तैयारियों पर असर पड़ने लगता है। वहीं हमारे डिफेंस मिनिस्‍टर एके एंटोनी हमेशा खामोश क्‍यों रहते हैं, यह कोई भी नहीं समझ पाता।

लोकसभा चुनाव के इस दौर में आपको अपनी वर्तमान सरकार में रक्षा मंत्री का रिपोर्टकार्ड जरूर देखना चाहिये। उनका रिपोर्ट कार्ड जिन्हें यूपीए ने साफ और ईमानदार छवि की वजह से डिफेंस मिनिस्‍ट्री का जिम्‍मा सौंपा था। लेकिन यह भी हकीकत है कि एंटोनी के नेतृत्‍व में रक्षा संबंधी तैयारियों पर खासा असर पड़ा है। विशषज्ञों की मानें तो देश में नितियों की कमी, रक्षा सौदों में रुकावट और एडमिनिस्‍ट्रेटिव अवरोधों की वजह से भारत की रक्षा तैयारियों और डिफेंस सेक्‍टर में इतनी गिरावट कभी नहीं आई।

देश के मशहूर डिफेंस एनालिस्‍ट मारूफ रजा की मानें तो डिफेंस मिनिस्‍टर के तौर पर एंटोनी देश के लिए एक बड़ी शर्म में तब्‍दील होते जा रहे हैं। वह देश के एक ऐसे रक्षा मंत्री के तौर पर सामने आए हैं जिनके पास कोई ठोस नीति ही नहीं है। रक्षा मंत्रालय का जिम्‍मा एक ऐसे मंत्री के हाथ में है जो अपनी जिम्‍मेदारियों को ठीक से निभा ही नहीं पा रहा है। मारूफ के मुताबिक अगर नेवी चीफ एडमिरल डीके जोशी एक बड़े हादसे के बाद इस्‍तीफा दे सकते हैं तो फिर रक्षा मंत्री क्‍यों नहीं ऐसे हादसों की जिम्‍मेदारी लेते हैं। मारूफ मानते हैं कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कितने र्इमानदार है लेकिन इस बात से फर्क जरूर पड़ता है और दुख भी होता है कि जो बहादुर बैटल फील्‍ड पर दुश्‍मनों का मुंह तोड़ सकते हैं, वह पुराने हथियारों, एयरक्राफ्ट्स, वॉरशिप्‍स और सबमरीन की वजह से बिना वजह अपनी जान गंवाने को मजबूर हैं।

रिसर्च एंड डेवलपमेंट में कोई इनवेस्‍टमेंट ही नहीं

साल 2006 से साल 2013, डिफेंस मिनिस्‍टर एके एंटानों के इन सात वर्षों के कार्यकाल में पिछले पांच वर्षों के दौरान भारत सबसे हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बनकर उभरा है। यह देश के लिए अच्‍छी बात नहीं है बल्कि यह हमारी कमजोरी में तब्‍दील हो गई है। मिनिस्‍ट्री ऑफ डिफेंस की ओर से देश की ऐसी कई प्राइवेट कंपनियां हथियारों के उत्‍पादन और डिफेंस सेक्‍टर में रिसर्च से जुड़े कामों को आगे ही नहीं बढ़ा पा रही है जो पिछले कई वर्षों से डिफेंस सेक्‍टर में आगे बढ़ने की बांट जोह रही हैं।

डिफेंस एक्सपार्ट मानते हैं कि मिनिस्‍ट्री की ओर से रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ओर से बजट मुहैया न कराने की वजह से इस फील्‍ड के सर्वश्रेष्‍ठ लोगों को आरएंडडी के लिए रिक्रूट हीं नहीं किया जा पा रहा है। ऐसे में देश में बडे़ पैमाने पर हथियारों का आयात करना पड़ता है। इतना ही नहीं कमजोर अर्थव्‍यवस्‍था के चलते कई ऐसी डील का रोक दिया गया है जो काफी अहम हैं। तेजस का उत्‍पादन अभी भी जरूरत के मुताबिक संख्‍या तक नहीं पहुंच सका है। फ्रांस के साथ कॉम्‍बेट जेट राफेल की डील को दो साल तक चली बातचीत के बाद भी फाइनल नहीं किया गया है।

सही नीतियों की कमी

कई सबमरींस के इंडक्‍शन में देरी हो रही है और वहीं ही में रूस से खरीदे गए यबसे बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर आइएनएस विक्रमादित्‍य के साथ मौजूद तकनीकी समस्‍याओं को भी सुलझाया नहीं गया है। पिछले साल अगस्‍त में आईएनएस सिंधुरक्षक हादसे के बाद फरवरी में आईएनएस सिंधुरत्‍न हादसे तक सात माह के दौरान 10 ऐसी घटनाएं हुईं जिनसे नेवी को 1,000 करोड़ से भी ज्‍यादा का नुकसान हुआ। एयरफोर्स के वरिष्‍ठ अधिकारी ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि जब नई टेक्‍नोलॉजी और नए एयरक्राफ्ट्स के इंडक्‍शन में देरी होगी तो फिर पुरानी चीजों से ही काम चलाना होगा। वहीं एक के बाद एक घोटालों ने डिफेंस मिनिस्‍ट्री की कमर तोड़कर रख दी है। टाट्रा ट्रक स्‍कैम, ऑर्डिनेंस फैक्‍ट्री बोर्ड स्‍कैंडल और हाल ही में सामने आया रोल्‍स रॉयस स्‍कैम।

एंटोनी घोटालों को रोक पाने में असमर्थ साबित हो रहे हैं। इसके अलावा किसी भी घोटाले का पता चलते ही एंटोनी हर तरह के ट्रांजैक्‍शन को फ्रीज कर देते हैं। वरिष्‍ठ अधिकारियों की मानें तो घोटालों को रोकने के लिए एंटोनी को भले ही यह कारगर तरीका लगे लेकिन इसकी वजह से मिलिट्री को जरूरी इक्विपमेंट्स और एम्‍यूनिशन मिलने में देरी होती है। एक वरिष्‍ठ अधिकारी की मानें तो बेहतर होता कि अगर डिफेंस मिनिस्‍टर एक ऐसी परमानेंट पॉलिसी बना देते जो प्रोक्‍यारेमेंट को आसान और ट्रांसपैरेंट बनाती। ट्रांजैक्‍शन फ्रीज करना सबसे लास्‍ट ऑप्‍शन होता है लेकिन मालूम नहीं क्‍यों एंटोनी इस तरह का कदम उठाने से बचते हैं। उनके फैसले की वजह से इजरायल की कई बेहतरीन मिलिट्री इंडस्‍ट्रीज भारत में निवेश ही नहीं कर पा रही हैं।

क्या उम्‍मीद करें

एक सैनिक के लिए हथियार और जरूरी इक्विपमेंट्स ही उसकी जिंदगी होते हैं लेकिन यही सैनिक मानते हैं कि इन हथियारों के साथ डील करना, वॉर जोन में दुश्‍मन का मुकाबला करने जैसा है। एक आर्मी ऑफिसर की मानें तो भले ही डिफेंस बजट में बढ़ोतरी होती जा रही हो लेकिन बेसिक चीजें वहीं की वहीं हैं। चीन, पाकिस्‍तान, अमेरिका, रूस, इंग्‍लैंड यह सारे देश आज आर्म्‍ड फोर्सेज को और ज्‍यादा मॉर्डर्न करने पर काम कर रहे हैं लेकिन हम इस तरफ सोच हीं नहीं रहे हैं। इस अधिकरी के मुताबिक रक्षा मंत्री और उनके मंत्रालय की ओर से भले ही ज्‍यादा प्रयास न हों लेकिन हमारी फौज अपने वादे के मुताबिक जल, थल और नभ में देश की सुरक्षा में लगी हुई है। बस एक उम्‍मीद हालातों में बदलाव आने की है।

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English summary
With the news coming from all corners related to C-130J's China made parts, its somehow become trueb that Indian defense sector is having a tough time with AK Antony.
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