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जानें क्यों बुलाई गई आज देशव्यापी हड़ताल, क्या हैं मुख्य मांगें?

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नयी दिल्ली। अपनी 12 सूत्रीय मांगों के समर्थन में आज 10 ट्रेड यूनियन ने देशव्यापी हड़ताल बुलाई हैं। इस हड़ताल से दिल्ली समेत देशभर के कई शहरों में चक्का जाम हो चुका है। यातायात से लेकर जरुरी सेवाएं, बैंकिंग और सरकारी स्कूल तक इसके समर्थन में आ चुकते हैं।

Reasons behind Sept 2 Bharat Bandh

हालांकि भारतीय मजदूर संघ और नेशनल फ्रंट आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस ने हड़ताल में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। हड़ताल से पोर्ट, परिवहन, पोस्ट ऑफिस, सरकारी कंपनियों और सरकारी बैंकों पर असर पड़ा है। इस बीच सूत्रों का कहना है कि सरकार 12 मांगों में से 9 पर सहमत है।

तमाम सरकारी बैंक, बीमा कंपनियों के दफ्तरों में कामकाज नहीं हो रहा। कई जगहों पर ट्रांसपोर्ट व्यवस्था भी ठप रही। निजीकरण, ठेकेदारीकरण और खाली पदों पर नियुक्ति जैसी मांगों को लेकर 10 सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। सरकार से बातचीत बेनतीजा रहने पर हड़ताल का फैसला हुआ है।

कौन-कौन हैं शामिल

इस देशव्यापी ह़ड़ताल में बैंक, ऑटो टैक्सी यूनियनों के अलावा कोल माइंस यूनियन भी साथ है। हालांकि बीजेपी समर्थित भारतीय मजदूर संघ और नेशनल फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस ने हड़ताल में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। कई राज्यों में राज्य सरकार के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल होंगे।

जरूरी सेवाओं पर असर

इन 10 ट्रेड यूनियनों का दावा है कि देशभर में सरकारी और निजी क्षेत्र में उनके 15 करोड़ सदस्य हैं, जिसमें बैंक और बीमा क्षेत्र के कर्मचारी भी शामिल हैं। इतनी बड़ी तादाद में कर्मचारियों की हड़ताल पर जाने से जरूरी सेवाओं पर असर पड़ा है।

हड़ताल के कारण

  • केंद्रीय ट्रेड यूनियनों नेश्रम कानूनों में संशोधन के प्रस्ताव के खिलाफ आज हड़ताल का आह्वान किया है।
  • हड़ताल के कारण आज बैंक, बस, इनकम टैक्स और पोस्ट ऑफिस जैसी आवश्यक सेवाएं प्रभावित हैं।
  • दिल्ली-एनसीआर में 90 हजार ऑटो बंद।
  • न्यूनतम मजदूरी 15 हजार रुपए करने की मांग।

क्या हैं मांगें

  • ठेका मजदूरी खत्म करने, रोजगार के अवसर सृजित करने की मांग
  • महंगाई घटाने और ठेका श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा की मांग।
  • सरकारी संस्थानों का निजीकरण रोका जाए।
  • देश के कारोबार को बचाने के लिए विदेशी पूंजी निवेश रोका जाए।
  • ट्रांसपोर्ट सेफ्टी बिल रद किया जाए।
  • ठेके पर भर्ती कर्मचारियों को नियमित किया किया जाए।
  • किरत कानून को सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दी जाए।
  • हर मजदूर, किसान को चार हजार रुपय पेंशन दी जाए।
  • कानून में मजदूर विरोधी किए गए शोध को वापस लिया जाए
  • 43वीं, 44वीं, 45वीं भारती किरत कांफ्रेंस की सिफारिश को लागू किया हों।
  • सैलरी कम 15 हजार महीना तय किया जाए।
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English summary
Essential services are likely to be impacted tomorrow with 10 central trade unions going ahead with one-day nationwide strike to protest against changes in labour laws.
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