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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में महिलाओं को दिए गए थे चरखे, चार दिन भी नहीं टिके

कार्यक्रम में मोदी ने कहा था कि खादी ग्रामोद्योग का स्लोगन 'खादी देश के लिए' था लेकिन अब इसे 'खादी फैशन के लिए' होना चाहिए।

By Brajesh Mishra
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लुधियाना। खादी ग्रामोद्योग आयोग के कैलेंडर और डायरी पर चरखे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिस तस्वीर को लेकर विवाद छिड़ा है वह लुधियाना में एक कार्यक्रम के दौरान खींची गई थी। यह कार्यक्रम बीते साल अक्टूबर में हुआ था। इस कार्यक्रम में आयोजकों ने कई महिलाओं को चरखे बांटे भी थे लेकिन वे ज्यादा दिन टिक नहीं पाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 अक्टूबर को लुधियाना गए थे जिसे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (MSME) मंत्रालय की ओर से आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री महिलाओं के साथ मंच पर बैठे थे और चरखे पर सूत काता था। यह तस्वीर उसी दौरान ली गई थी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में महिलाओं को दिए गए थे चरखे, चार दिन भी नहीं टिके

'खराब क्वालिटी के चरखे दिए गए थे'
उद्यमियों का उत्साह बढ़ाने के लिए आयोजकों ने ग्रामीण क्षेत्रों और गरीब परिवारों की महिलाओं को 500 चरखे बांटे थे। आयोजकों के मुताबिक, चरखे से रोजाना करीब 150 रुपये की आमदनी हो सकती थी। कार्यक्रम में मोदी ने कहा था कि खादी ग्रामोद्योग का स्लोगन 'खादी देश के लिए' था लेकिन अब इसे 'खादी फैशन के लिए' होना चाहिए। जालंधर के जिस गांव की 20 महिलाओं को चरखे दिए गए थे उनमें से कुछ महिलाओं ने बताया कि चरखे कुछ दिन में ही खराब हो गए और मजबूरी में उन्हें बंद करके रख देना पड़ा। उन्होंने बताया कि चरखे खराब क्वालिटी के थे जिससे उनमें सूत कातना आसान नहीं था। READ ALSO: ...तो सोनिया की जगह रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी प्रियंका गांधी

20 साल पुराना तक चरखा इस्तेमाल करती हैं महिलाएं
कुलविंदर कौर नाम की महिला ने चरखे को एक बॉक्स में बंद करके रख दिया है। उन्होंने इसका नाम 'मोदी चरखा' रखा है। करीब 30 साल का अनुभव रखने वाली कुलविंदर अपना 20 साल पुराना चरखा इस्तेमाल करती हैं जो कि बेहतर काम करता है। उन्होंने 'मोदी चरखा' निकालकर उससे भी सूत कातने की कोशिश की लेकिन उसके चक्के जाम हो गए और आवाज भी कर रहा था। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, 'क्या करूं इसका अचार रखूं? इससे अच्छा था कि हमें कुछ पैसे दे दिए जाते। लुधियाना में जो चरखे दिए गए थे वो ऐसे ही दिख रहे थे, लेकिन ये सस्ते वाले लग रहे हैं।' उसी गांव में रहने वाली निंदर कौर ने कहा, 'यह काम करता है लेकिन मैं इसे इस्तेमाल नहीं करती क्योंकि इसका पहिया सही से घूमता नहीं है और सूत कातने में परेशानी होती है।' कुलविंदर ने कहा कि चरखे से 150 रुपये रोजाना कमाना असंभव है। पहले सूत का रेट 45 रुपये प्रति किलो था जिसे अब बढ़ाकर 57 रुपये कर दिया है।

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English summary
Reality check of modi charkha distributed in narendra modi's event in ludhiana.
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