रीयल टाइम डाटा बन सकता है हार्दिक पटेल का रीयल सॉल्यूशन
[अजय मोहन] हार्दिक पटेल की अगुवाई में पटेल समाज के लाखों लोग सड़कों पर उतरे। अहमदाबाद से लेकर सूरत तक, मेहसाणा से लेकर बरूच तक हिंसा की तमाम वारदातें हुईं। यह सब हुआ ओबीसी के अंतर्गत आरक्षण की मांग को लेकर... एक मिनट रुकिये यह सब आरक्षण की मांग को लेकर नहीं, बल्कि आरक्षण को जड़ से खत्म करने के लिये किया गया है।
जी हां अगर देश के तमाम राज्यों में पिछड़े समाजों का हाल देखें तो हार्दिक पटेल का यह आंदोलन आरक्षण खत्म करने के लिये उठी एक आग के समान दिखाई देता है।
इस आग की चिंगारी तो तब उठी थी, जब हार्दिक पटेल ने मंच से कहा था, "सरकार या तो पूरे देश को आरक्षण से मुक्त कर दे, या फिर पटेल समाज को ओबीसी के अंतर्गत सीटें प्रदान करे।"
अब सोचिये अगर पाटीदार आंदोलन की मांग सरकार ने मांग ली तो नॉर्थ ईस्ट में बोडो समाज खड़ा होगा, बिहार और उत्तर प्रदेश में कायस्थ्य खड़े हो जायेंगे और कहेंगे हमें भी आरक्षण चाहिये। अगर कायस्थ्य को आरक्षण मिल गया तो देश भर के ब्राह्मण और ठाकुर खड़े हो जायेंगे। कुल मिलाकर सरकार जितनी बार आरक्षण की मांगों को मानेगी, देश इस जाल में उतना फंसता जायेगा।
रीयल टाइम डाटा में है हार्दिक की समस्या का हल
केंद्र सरकार दावा करती है कि वो फसलों के रीयल टाइम डाटा को कलेक्ट करने का सिस्टम तैयार कर रही है। सरकार मौसम के अनुमान लगाने वाले सिस्टम को और दुरुस्त करने का काम कर रही है, जिससे किसानों का नुकसान नहीं हो और सरकार आधार कार्ड के जरिये सबके जरूरी ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रखने की प्लानिंग कर रही है।
अगर सरकार के पास इतने सारे डाटा कलेक्टट करने की क्षमता है, तो किस व्यक्ति की आर्थिक क्षमता कितनी है, उसका डाटा कलेक्टक किया जाना बड़ी बात नहीं है।
अगर देश के प्रत्येक परिवार की माली हालत का रीयल टाइम डाटा तैयार कर लिया जाये, तो आरक्षण का रीयल मकसद पूरा हो सकता है। ये वो व्यवस्था होगी, जिसमें आरक्षण जॉब में अप्लाई करने वाले की माली हालत को देख कर सीटें आरक्षित की जायें। फिर चाहे वो शुक्ला को या पटेल, सक्सेना हो या सिंह, मोहम्मद हो या यादव, आरक्षण सिर्फ उसी को जिसकी माली हालत खराब है।
जिस दिन सरकार ने यह व्यवस्था लागू कर दी, उस दिन हार्दिक पटेल और उनकी सेना अपने मोर्चे से तुरंत पीछे हट जायेगी, तब न लाठी चलाने की नौबत आयेगी न आंसू गैस छोड़ने की।