नोटबंदी के दौर में हैदराबाद हाईकोर्ट के जज और रजिस्ट्रार ने लिया ये बड़ा फैसला
नोटबंदी के 22 दिन बाद सबकी सैलरी आई, इसके साथ ही नकदी के लिए लोगों की समस्याएं बढ़ गई हैं। इसी क्रम में हैदराबाद हाईकोर्ट के जज और रजिस्ट्रार ने यह फैसला किया है।
नई दिल्ली। नोट बंदी के दौरान लोगों को दिक्कत तो हो ही रही है लेकिन बड़ी दिक्कत 1 दिसंबर से शुरू हुई जब लोगों की सैलरी खाते में आई।
इस मसले पर सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि बैंकों में पर्याप्त नकदी मौजूद है लेकिन लंबी-लंबी लाइनें अब भी लग रही हैं।
इसी कड़ी में हैदराबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश और रजिस्ट्रार ने फैसला लिया है कि फिलहाल अपनी तनख्वाह नहीं निकालेंगे। उन्होंने यह फैसला इसलिए लिया है ताकि स्टाफ में जरूरतमंद लोग अपनी सैलरी ले सकें।
आरबीआई का दावा था....
हालांकि इस मसले पर (आरबीआई) ने सरकार से कहा है कि किसी तरह की समस्या नहीं होने दी जाएगी। लोगों को ज्यादा से ज्यादा नगदी निकालने की व्यवस्था की गई है।
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आरबीआई ने बताया था कि 7 दिसंबर तक नगदी की मांग तेज रहेगी जिसे पूरा करने की कवायद तेजी से की जाएगी। इस बीच सरकारी प्रेस में 500 के नोटों की छपाई का काम तेजी से चल रहा है।
आरबीआई के दावों के बीच भी कई बैंक लगातार नगदी की कमी का रोना रो रहे हैं। ऐसे में सवाल है कि क्या लोगों को राहत मिलेगी?
बैंक अधिकारियों के मुताबिक कई बैंक की ब्रांचों में 500 के नए नोटों का इंतजार है। 100 के नोटों की आपूर्ति में भी कमी आई है। इस बीच ज्यादातर लोग 2000 रुपये के नोट लेने से कतरा रहे हैं।
नोटों की सप्लाई बढ़ाने की मांग
500 और 100 के नोटों की कमी इसकी अहम वजह है। बैंक यूनियन ने आरबीआई से ज्यादा से ज्यादा नोटों की सप्लाई करने की मांग की है।
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उनका कहना है कि नोटबंदी के बीच कैश की डिमांड लगातार बढ़ रही है। ऐसे में नए नोटों की जरूरत ज्यादा है।
लोगों को बैंक से एक हफ्ते में 24 हजार रुपये और 2500 रुपये एक दिन में एटीएम से निकालने की छूट दी गई है। हालांकि बैंकों में पर्याप्त कैश नहीं होने की वजह से लोगों को नगदी नहीं मिल पा रही है।
राजधानी दिल्ली में भी लोगों को कैश की कमी से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बैंक में दो घंटे से ज्यादा लाइन में लगने के बाद भी उन्हें पैसे नहीं मिल पा रहे हैं। जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ रही है।
कई बैंक के कर्मचारियों ने अगले कुछ दिनों के लिए पुलिस सुरक्षा की गुहार भी लगाई है।
विपक्ष ने लगाया आरोप
वहीं विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर नोटबंदी को लेकर अधूरी तैयारी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सरकार ने नोटबैन तो कर दिए लेकिन उसके बाद के हालात की तैयारी नहीं की थी।
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विपक्ष ने इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला करार दिया है। विपक्ष का कहना था कि भ्रष्टाचारियों से ज्यादा सरकार के कदम से आम आदमी को परेशानी हो रही है।
गौरतलब है कि गौरतलब है कि 8 नवंबर को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1,000 रुपए के बंदी की घोषणा की थी।उन्होंने कहा था कि इससे आतंकवाद और कालेधन पर लगाम लगेगी।