नोटबंदी का फैसला नरेंद्र मोदी के भाषण से महज चंद घंटे पहले ही लिया गया था: RBI
एक आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ है कि भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड की मीटिंग पीएम नरेन्द्र मोदी के भाषण से चंद घंटे पहले हुई थी, जिसमें 500 और 1000 रुपए के नोटों को बंद किए जाने का फैसला किया था।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटबंदी का सुझाव पीएम मोदी द्वारा की गई घोषणा से चंद घंटे पहले ही दिया था। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने इस पर चर्चा की जिसके बाद 500 और 1000 रुपए के सारे नोट यानी कुल 86 प्रतिशत कैश को अमान्य किए जाने का फैसला लिया गया। यह फैसला पूरी तरह से गुप्त था। हालांकि, दोनों ने ही इस बात पर जोर दिया कि नोटबंदी की योजना काफी समय से चर्चा में थी, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं लिया जा सका था।
वित्त
सचिव
शक्तिकांत
दास
ने
8
नवंबर
को
पत्रकारों
से
कहा
था
कि
इस
फैसले
को
लेने
के
लिए
किसी
तरह
की
प्रक्रिया
में
जान
की
कोई
जरूरत
नहीं
थी।
सरकार
के
इस
फैसले
के
बाद
देश
भर
में
नकदी
की
समस्या
हो
गई
और
करोड़ों
लोगों
को
महीने
भर
से
अधिक
समय
तक
बैंकों
और
एटीएम
के
बाहर
लाइनें
लगानी
पड़ीं।
नकदी
निकालने
की
सीमा
तय
कर
दी
गई,
लेकिन
बावजूद
इसके
बैंक
लोगों
को
सीमा
के
अंदर
भी
पैसे
देने
में
असमर्थ
रहे।
वहीं
दूसरी
ओर,
विपक्ष
द्वारा
नोटबंदी
का
विरोध
किया
गया,
जिसके
चलते
संसद
के
पूरे
शीतकालीन
सत्र
में
कोई
काम
नहीं
हो
सका।
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'1970
की
नसबंदी
जैसी
है
पीएम
मोदी
की
नोटबंदी,
जनता
की
प्रॉपर्टी
पर
बड़ा
डाका'भारतीय
रिजर्व
बैंक
एक्ट
1934
के
तहत
केन्द्र
सरकार
को
किसी
भी
सीरीज
के
बैंकनोट
रद्द
करने
का
पूरा
अधिकार
है।
हालांकि,
यह
फैसला
सरकार
अकेले
नहीं
ले
सकती
है,
बल्कि
भारतीय
रिजर्व
बैंक
के
केन्द्रीय
बोर्ड
के
सुझाव
के
बाद
ही
ले
सकती
है।
सूचना
के
अधिकार
के
तहत
हिंदुस्तान
टाइम्स
द्वारा
मांगी
गई
जानकारी
में
यह
खुलासा
हुआ
है
कि
भारतीय
रिजर्व
बैंक
के
केन्द्रीय
बोर्ड
ऑफ
डायरेक्टर्स
ने
8
नवंबर
को
नरेन्द्र
मोदी
के
भाषण
से
कुछ
देर
पहले
नई
दिल्ली
में
मीटिंग
की
थी।
इस
मीटिंग
में
बोर्ड
के
कुल
10
सदस्यों
में
से
सिर्फ
8
सदस्य
ही
शामिल
हुए
थे।
इस
मीटिंग
में
भारतीय
रिजर्व
बैंक
के
गवर्नर
उर्जित
पटेल
और
वित्त
सचिव
शक्तिकांत
दास
के
अलावा
भारतीय
रिजर्व
बैंक
के
डिप्टी
गवर्नर
राहुल
गांधी
और
एसएस
मुन्द्रा,
बिल
और
मिलिंडा
गेट्स
फाउंडेशन
के
देश
के
डायरेक्टर
नचिकेत
एम
मोर,
मंहिन्द्रा
एंड
महिन्द्रा
फाइनेंशियल
सर्विसेस
लिमिटेड
के
पूर्व
चेयरमैन
भारत
नरोतम
दोशी,
गुजरात
के
पूर्व
मुख्य
सचिव
सुधीर
मानकड़
और
फाइनेंशियल
सर्विसेस
सेक्रेटरी
अंजुली
चिब
दुग्गल
मौजूद
थे।
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साइरस
मिस्त्री
विवाद
पर
रतन
टाटा
ने
तोड़ी
चुप्पी,
दुख
जताते
हुए
उन्होंने
क्या-क्या
कहा?कानून
के
अनुसार
21
सदस्यों
का
बोर्ड
हो
सकता
है,
जिसमें
14
स्वतंत्र
सदस्य
होते
हैं,
लेकिन
केन्द्रीय
बैंक
यह
बोर्ड
आधे
से
भी
कम
लोगों
से
चला
रहा
है।
भारतीय
रिजर्व
बैंक
के
बोर्ड
की
मीटिंग
और
पीएम
मोदी
की
घोषणा
के
बीच
सरकार
के
पास
बैंक
के
पूर्व
सुझाव
पर
बात
की
प्रक्रिया
को
पूरा
करने
के
लिए
सिर्फ
कुछ
घंटे
थे।
इस
बोर्ड
मीटिंग
के
पास
पीएम
मोदी
ने
अपने
कैबिनेट
की
एक
मीटिंग
की
थी,
जिसमें
सभी
मंत्रियों
को
इस
फैसले
के
बारे
में
बताया
गया।
आपको
बता
दें
कि
इस
मीटिंग
में
सभी
मंत्रियों
के
फोन
बाहर
रखने
को
कहा
गया
था
और
मीटिंग
में
मौजूद
सभी
मंत्रियों
को
तब
तक
वहीं
बैठने
को
कहा
था,
जब
तक
कि
पीएम
मोदी
का
भाषण
टेलीकास्ट
नहीं
हो
जाता।
ऐसा
नहीं
है
कि
इससे
पहले
सरकार
या
फिर
भारतीय
रिजर्व
बैंक
की
तरफ
से
इस
नोटबंदी
से
निपटने
की
कोई
तैयारी
नहीं
की
जा
रही
थी।
8
नवंबर
तक
भारतीय
रिजर्व
बैंक
ने
4.94
लाख
करोड़
रुपए
के
2000
रुपए
के
नोट
छाप
लिए
थे।
लेकिन
भारतीय
रिजर्व
बैंक
के
पूर्व
अधिकारियों
का
कहना
था
कि
ऐसा
लगता
है
जैसे
बोर्ड
का
अनुमति
तो
महज
एक
औपचारिकता
थी।
उनके
अनुसार
नोटबंदी
का
फैसला
जिस
तरह
से
लिया
गया
वह
अत्यधिक
अनियमित
था।
उनका
कहना
था
कि
उन्हें
नहीं
लगता
कि
सरकार
और
भारतीय
रिजर्व
बैंक
ने
लोगों
को
परेशानी
से
बचाने
के
लिए
पर्याप्त
कदम
उठाए।
वहीं
एक
अन्य
अधिकारी
ने
बताया
कि
केन्द्रीय
बोर्ड
में
लोगों
की
कमी
है।
14
स्वतंत्र
डायरेक्टर्स
में
से
सिर्फ
4
डायरेक्टर
ही
इस
बोर्ड
में
हैं।
आरटीआई
के
मुताबिक,
उनमें
से
भी
सिर्फ
3
ही
नोटबंदी
के
फैसले
को
लेकर
की
जा
रही
मीटिंग
में
उपस्थित
थे।