संत रामपाल चाहता था अलग धर्म का दर्जा
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। कथित संत रामपाल के कृत्यों के बारे में तो तमाम खुलासे हो रहे हैं, पर ताजा खुलासा बेहद हैरान करने वाला है। आजकल जेल में बंद रामपाल अलग धर्म चलाना चाहता था और उसने इस बारे में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को चिठ्ठी लिखकर अपने अनुयायियों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा देने की मांग भी की थी।
अलग धर्म बनाना चाहता था
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य अजायब सिंह ने यह जानकारी दी। जानकारों का कहना है कि हालांकि देश में तमाम संत,बाबा,फकीर आदि हैं, पर किसी ने यह नहीं मांग की कि उनके शिष्यों को अलग धर्म का दर्जा ही दे दिया जाए।
नहीं चली रामपाल की
यह बात अलग है कि आयोग ने उसकी मांग पर गौर नहींकिया। कारण यह है कि रामपाल की मांग सिऱे से बेवकूफ भरी थी। उसमें कोई दम नहीं था। जाहिर है,इसलिए उसे खारिज कर दिया गया।
कबीरपंथी रामपाल
दरअसल कबीरपंथी रामपाल की ओर से उसके अनुयायियों ने आयोग से मिलकर उन्हें अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा देने और इसमें उनसे मदद की मांग की थी, जिसे आयोग ने निरस्त कर दिया था। कबीरपंथ कोई अलग धर्म नहीं है और इसका अनुयायी कोई भी हो सकता है। जानकारों का कहना है कि अब हरिय़ाणा सरकार प्रदेश में फैल रहे डेरों और रामपाल जैसे कथित संतों पर नजर रखेगी ताकि इन पर वक्त रहते कार्रवाई हो सके।
इस बीच, अजायब सिंह ने कहा कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उत्थान के लिए अल्पसंख्यक आयोग निरंतर प्रयासरत है और आयोग के पास आने वाली शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए कड़ी कार्रवाई की जाती है। हरिय़ाणा मामलों के जानकार कहते हैं कि रामपाल का अपने शिष्यों के लिए अलग धर्म की मांग करने का मतलब है कि उसे कानून की समझ बहुत नहीं थी। कारण यह है कि इस तरह से अलग धर्म का दर्जा यूं ही नहीं मिल जाता।