सर्वे: बढ़ती बेरोजगारी से लोगों में गुस्सा, मोदी सरकार की बड़ी चुनौती
सीएसडीएस की ओर से 'मूड ऑफ द नेशन' नाम से मई में सर्वे कराया गया। इसमें 19 राज्यों के 11 हजार लोगों से जवाब मांगे गए।
नई दिल्ली। बढ़ती बेरोजगारी और नौकरी को लेकर लोगों की बढ़ती हताशा से मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। ये खुलासा लोकनीति-सीएसडीएस की ओर से कराए गए सर्वे में सामने आया है। सर्वे में पता चला है कि नौकरी को लेकर लोगों में नकारात्मक धारणा बन रही है।
सर्वे ने बढ़ाई मोदी सरकार की परेशानी
सीएसडीएस की ओर से 'मूड ऑफ द नेशन' नाम से मई में सर्वे कराया गया। इसमें 19 राज्यों के 11 हजार लोगों से जवाब मांगे गए। इस सर्वे में बेरोजगारी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। सर्वे में एक-चौथाई लोगों ने बेरोजगारी को आज के समय की सबसे बड़ी समस्या करार दिया है।
रोजगार सृजन के बारे में लोगों की धारणा यूपीए सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान की तुलना में और भी खराब हुई है। पिछले सर्वेक्षणों की तुलना में ये स्थिति नजर आई है। 2013 में कराए गए ऐसे ही एक अध्ययन में 29 फीसदी लोगों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। वहीं 2013 से 2017 के बीच आंकड़ों को देखें तो अनुपात में 6 फीसदी की गिरावट नजर आई है और आंकड़ा 23 फीसदी हो गया है।
इस सर्वे के आंकड़ों पर गौर करें तो सबसे ज्यादा युवा बेरोजगारी की समस्या से परेशान हैं। सर्वे में शामिल लगभग एक-तिहाई युवा ओं (18-25 वर्ष) ने बेरोजगारी को सबसे बड़ी समस्या बताया। पूरी आबादी के लिए, यह शेयर 24 फीसदी से कम था।
सर्वे में शिक्षित युवा बेरोजगारी को लेकर ज्यादा चिंतित नजर आए। 33 फीसदी कॉलेज से शिक्षित युवाओं ने बेरोजगारी को सबसे महत्वपूर्ण समस्या बताया है। गैर साक्षर युवाओं में यह अनुपात 23 फीसदी से भी कम था। यह आंशिक रूप से देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता से संबंधित हो सकता है, जिसमें ऐसे स्नातक उत्पन्न होते हैं जो प्रायः बेरोजगार होते हैं।