केपीएस गिल: एक सुपरकॉप जिसने पंजाब में आतंक की कमर तोड़ी
केपीएस गिल ने अफगानिस्तान के मामले में भी काम किया था। वहां युद्ध के माहौल में भी 218 किलोमीटर देलारम-ज़रंज हाईवे का निर्माण चार साल में कराया था।
नई दिल्ली। पंजाब से आतंकवाद को उखाड़ फेंकने वाले सुपरकॉप कुंवर पाल सिंह गिल उर्फ केपीएस गिल का निधन हो गया। वो पंजाब के पूर्व डीजीपी रह चुके थे और उनकी उम्र 82 साल थी। उन्होंने शुक्रवार को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। गिल की मौत दिल का दौरा पड़ने की वजह से हुई है। गिल ने भारतीय पुलिस सेवा में अपने कैरियर की शुरुआत पूर्वोत्तर के राज्य असम से की थी। शुरुआती दिनों में ही उन्होंने खुद को एक सख्त अधिकारी के रूप में स्थापित कर लिया था। आईए आपको केपीएस गिल की पूरी प्रोफाइल बताते हैं।
लुधियाना में हुआ था जन्म
केपीएस गिल का जन्म पंजाब के लुधियाना में 1934 को हुआ। उन्होंने सन 1958 में पुलिस सेवा ज्वाइन की थी। 2006 में सुरक्षा सलाहकार रहते हुये उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार को बस्तर की तीन सड़कों के निर्माण की अनुशंसा की थी।
क्यों कहा जाता था सुपरकॉप
80 के दशक में जब पूरा पंजाब आतंकवाद की आग में झुलस रहा था तब उन्होंने खालिस्तानी आतंकवादियों से काफी सख्ती से निपटा था। उन्होंने राज्य में आतंकवाद की कमर तोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी।
ऑपरेशन ब्लू स्टार में की थी अगुवाई
ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान गिल ने ही अगुवाई की थी। इसके अलावा सिख बहुल राज्य पंजाब में अलगाववादी आंदोलन को कुचलने का मुख्य श्रेय गिल को ही मिला। पंजाब में मिली सफलता के बाद अपराधियों के बीच उनके नाम से घबराहट फैलने लगी थी।
इंडियन हॉकी फेडरेशन के अध्यक्ष भी थे
केपीएस गिल 1995 में पुलिस फोर्स से रिटायर हुए थे। गिल इंडियन हॉकी फेडरेशन (IHF) के प्रेसिडेंट भी थे। उन्होंने सिविल सर्विस में कामकाज के लिए 1989 में पद्म श्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
सख्त मिज़ाज
पुलिस से सेवानिवृत होने के बाद भी वह विभिन्न सरकारों को आतंकवाद विरोधी नीति निर्माण के लिए सलाह देने में हमेशा व्यस्त रहे। पिछले साल श्रीलंका सरकार ने भी उनकी सलाह ली। गिल फ़ॉल्टलाइन्स पत्रिका प्रकाशित करते थे और इंस्टीट्यूट ऑफ़ कन्फ़्लिक्ट मैनेजमेंट नामक संस्था चलाते थे। उन्होंने 'द नाइट्स ऑफ़ फ़ाल्सहुड' नामक एक किताब भी लिखी थी। .
विवादों में भी रहा नाम
पंजाब की एक वरिष्ठ महिला अधिकारी ने उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। अदालत ने इस मामले में गिल पर भारी ज़ुर्माना लगाया और जेल की सजा भी सुनाई थी। बाद में जेल की सजा माफ़ कर दी गई थी।
LTTE के खिलाफ रणनीती में की थी मदद
साल 1988 से 1990 तक पंजाब पुलिस के प्रमुख की भूमिका निभाने के बाद गिल को 1991 में फिर से पंजाब का डीजीपी नियुक्त किया गया था। इस दौरान पंजाब में सिख चरमपंथी और खालिस्तान आंदोलन समर्थकों सक्रिय थे। पंजाब में अलगाववादी आंदोलन को कुचलने के का सबसे ज्यादा श्रेय केपीएस गिल को ही जाता है। इसके बाद साल 2000 से 2004 के बीच श्रीलंका ने लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (LTTE) के खिलाफ रणनीती बनाने के लिए भी गिल की मदद मांगी थी।
अफगानिस्तान मामले में भी किया काम
केपीएस गिल ने अफगानिस्तान के मामले में भी काम किया था। वहां युद्ध के माहौल में भी 218 किलोमीटर देलारम-ज़रंज हाईवे का निर्माण चार साल में कराया था। उनके निधन की खबर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे दुखद करार दिया।